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Stories related to मस्लोव की मानवीय सिद्धांत

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Madhusudan Shrivastava

ओस की बूंद : मानवीय लोभ #कविता

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वो ओस की बूंद : मानवीय लोभ

वर्षा ऋतु के रिमझिम बारिश से धुली,
दुब की पत्तियों पर टिकी,
शीतल ओस की बूंद, 
यूँ प्रतीत होती है मानो-

शरद पूर्णिमा का चाँद स्वयम,
अपनी उज्ज्वल, शीतल एवम स्वच्छ 
आभा के साथ, धरा के हरित पटल पर
नन्ही-नन्ही बूंदों के रुप में विराजमान हों।

और दिवाकर 
अपनी मुलायम, मद्धम, 
प्रथम लालिमा से, 
धरा की हरीतिमा पर
बिखरे शीतल चंद्र में,
अपनी चमक डालते हुए,
उन्हें मणि में परिवर्तित कर रहें हो।

सहसा

एक तरफ से,
बेक़ाबू भीषण जनसमूह,

अपने स्वार्थ के प्रभाव में,
सद्बुध्दि के आभाव में,

बिखरे मणियों को एक साथ समेटने को,
उन्हें अपनी चादर में लपेटने को, 

धरा पर टूटते हैं 
और मणियों को लूटते हैं।

मानवीय व्यवहारों से कूपित प्रकृति, आक्रोश में,
ले लेती है अपनी मणियों को, पुनः अपने आगोश में।

और मानव देखता रह जाता है, खाली आकाश को।
अपने लोभपूर्ण कर्मों से मिले, प्रकृति के संत्रास को।

'मधु' ओस की बूंद : मानवीय लोभ

Ek villain

#मानवीय धर्म की राह #Hope #Society

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23 मार्च के अंक में प्रकाशित आलेख कहानी याचना मालिक के महामंडल के में राज्य सरकार ने देश के ऐसे नेताओं का जिक्र किया जिन्हें देशद्रोही करार देना अनुचित नहीं होगा क्योंकि यह जिस आतंकी खलनायक का साथ देते हुए हमारे देश के लिए बड़ा खतरा साबित होता है हिंदुस्तान की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि हम पंथनिरपेक्ष अकीरा आंख बंद कर कर चलते हैं और यह भूल जाते हैं कि अभी भी बहुत कुछ से नेता ऐसे हैं जो महजब या धर्म को आड़ लेकर अपने देश में पीठ पीछे खंजर भोंकने का काम कर रहे हैं बाहर से भले ही पंथनिरपेक्षता की बात करें किंतु अंदर से वह पसंदीदा रंग चढ़ता से षड्यंत्र कर के भीतर चलते रहे इसलिए जब भी उनके अपने महेश पर कभी अतिक्रमण या खतरा होता देखने को मिलता है तो वह तुरंत सक्रिय हो जाते हैं लेखक या सनी मलिक की सच्चाई को सामने रखने के साथ ही नेताओं को आड़े हाथों लिया जाता यू आईना बनाने के लिए हुए कते समाज के नेताओं में बस कृत करना चाहिए जो आतंकी सहयोग करते हैं और उनसे जुड़ी चीजों को समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण डालने का प्रयास करते हैं जैसे सांप होने लग जाने के बाद वह काटना नहीं छोड़ सकता ठीक उसी तरह आतंकी की छवि कितनी ही अच्छी बन जाए किंतु वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकता इसके परिणाम आज यासमीन मलिक की स्थिति आया कर रही है समाज में पंथनिरपेक्ष तब तक संभव नहीं है जब तक धर्म की परिभाषा में जब के आधारों पर होगी सभी का एक ही सर्वोपरि धर्म होना चाहिए और वह मानवीय धर्म जिस पर कुछ नहीं हो सकता

©Ek villain #मानवीय धर्म की राह
#Hope

Parasram Arora

मानवीय इतिहास....... और जुगाली भैस की

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ये  भैंस  भी  जानती  थी 
क़ि   इतिहास  तुम्हारा  वीभत्स रहा हैँ 
और  ये  आने  वाली  पीड़ी  को  भृमित कर सकता हैँ.......... तभी  तो  वो भैंस  उस  इतिहास क़े  
पन्ने  चबा गई   और अभी तक   जुगाली करती हुईं 
उन पन्नो क़े  ऱस  का  पूरा  आनंद  ले रही हैँ 
और देखो  वो कितनी  खुश   भी  दिखाई  दे रही   हैँ 
इसप्रकार उस भैंस  ने  मानव क़े  इतिहास को  चबा चबा कर  अपने  विशाल  पेट  मे समाधिस्थ  कर  लिया हैँ मानवीय इतिहास....... और जुगाली भैस की

manoj kumar jha"Manu"

#सिद्धांत बनाएं

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अपने जीवन में कुछ नियम(सिद्धान्त) होने ही चाहिए। 
जिसके जीवन में कुछ शुभ संकल्प या नियम नहीं हैं, वह पशु से भी अधम हैं।
-
परम पूज्य डोंगरे जी महाराज #सिद्धांत बनाएं

dhalta bachpan

#God सिद्धांत #ज़िन्दगी

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जीवन में आपके सिद्धांत ही,आपकी पहचान है । 
बुद्ध शरणम् धर्म शरणम संघ शरणम गच्छामि।

©dhalta bachpan #God सिद्धांत

Bandhu Sahni

मानवीय सरोकार #जानकारी

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"Vibharshi" Ranjesh Singh

मानवीय प्रतिक्रिया

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हर‌ बदलाव का आंकलन करता हूं 
कौन कब बदला है उसकी भी‌ खबर रखता हूं 
वैसे तो चेहरे ‌सब मासुम लगते हैं 
इसलिए सबके इरादों पे नज़र रखता हूं 
रसायन शास्त्र के विपरीत, 
यहां लोगों के समीकरण कभी भी बदल सकते है 
इसलिए किसी को‌ अपना बनाने से पहले 
थोड़ी ‌सी‌ सब्र रखता हूं #NojotoQuote मानवीय प्रतिक्रिया

SHAYARA BANO

#मानवीय क्रूरता #कविता

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नफरत से भरी मेरी निगाहें,
और नफरत पर ही फिदा हूं मैं।

आंसू बहा रही इंसानियत
कितना बेरहम ,बेहया हूं मैं।

प्रकृति से लड़कर खुद के लिए
 इजाद कर ली आराम की चीज़ें,

अनेक जानें ली, प्रकृति को रौंदा 
कितना वहशी ,दरिंदा हूं मै।

जिससे है मेरा वजूद 
उसी से जुदा हूं मैं।

05/04/2023

©SHAYARA BANO #मानवीय क्रूरता

Bhanu Pratap

मानवीय रहें #Life_experience

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सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, सभी मौत से डरते हैं, बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को ना मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें। मानवीय रहें

DR. LAVKESH GANDHI

पत्थर के फूल #गिरते मानवीय संबंधों की गाथा # #कविता

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