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Rajesh Khanna
सोच कर क्या करूं अब तेरा तुझे चाहने की मत मारी गई है अब कुछ नहीं होता तेरा फोन आने से लेकिन मैं पहले था जैसे वो मेरी लात मारी गई है ©Rajesh Khanna #Exploration लात मारी गई है
Shriprakash Kashyap
जिसकी जेब खाली, उसको अपनों ने भी लात मारी। जिसके जेब मे पैसा है, लोग पूछते है भाई कैसा है।। ©Shriprakash Kashyap जिसकी जेब खाली, उसको अपनों ने भी लात मारी। जिसके जेब मे पैसा है, लोग पूछते है भाई कैसा है।। Read my thoughts on @YourQuoteApp #yourquote #
Pratima pandey
विष्णु लक्ष्मी से पूछते हैं कि वह ब्राह्मणों से नाराज क्यों रहती हैं तो उत्तर देती हुई लक्ष्मी कहती हैं—अगस्त्य ऋषि ने नाराज होकर मेरे पिता समुद्र को ही पी लिया था, ब्राह्मण भृगु ने क्रोध में आकर आपकी छाती पर लात मारी थी और ये ब्राह्मण लोग बचपन से ही मेरी सौत सरस्वती को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते रहते हैं, प्रतिदिन शिव की पूजा के लिए मेरे निवास स्थान से कमल पुष्पों को उजाड़ देते हैं। हे स्वामी! यही कारण है, जिससे मैं ब्राह्मणों से सदा दूर रहती हूं। । ©Pratima pandey विष्णु लक्ष्मी से पूछते हैं कि वह ब्राह्मणों से नाराज क्यों रहती हैं तो उत्तर देती हुई लक्ष्मी कहती हैं—अगस्त्य ऋषि ने नाराज होकर मेरे पिता
Pratima pandey
विष्णु लक्ष्मी से पूछते हैं कि वह ब्राह्मणों से नाराज क्यों रहती हैं तो उत्तर देती हुई लक्ष्मी कहती हैं—अगस्त्य ऋषि ने नाराज होकर मेरे पिता समुद्र को ही पी लिया था, ब्राह्मण भृगु ने क्रोध में आकर आपकी छाती पर लात मारी थी और ये ब्राह्मण लोग बचपन से ही मेरी सौत सरस्वती को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते रहते हैं, प्रतिदिन शिव की पूजा के लिए मेरे निवास स्थान से कमल पुष्पों को उजाड़ देते हैं। हे स्वामी! यही कारण है, जिससे मैं ब्राह्मणों से सदा दूर रहती हूं। इस श्लोक का सामान्य भाव यह है कि ब्राह्मण अधिक लोभी नहीं होते और वे प्रारंभ से ही धन कमाने की प्रवृत्ति से रहित होकर विद्या अध्ययन में लगे रहते हैं। धन-संपत्ति जुटाने पर उनका विशेष ध्यान नहीं होता। इसीलिए वे विद्वान तो होते हैं, ... Good morning ✍️✍️Pratima pandey ©Pratima pandey विष्णु लक्ष्मी से पूछते हैं कि वह ब्राह्मणों से नाराज क्यों रहती हैं तो उत्तर देती हुई लक्ष्मी कहती हैं—अगस्त्य ऋषि ने नाराज होकर मेरे पिता
शुभी
कुम्बा-ए-मशरिक़ से फिर रंजिश निकाली है, वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है. (check caption) तितली के परों को कुचल, फिर उसकी इज़्ज़त उतारी है, वाकई दिल्ली बड़ी दिल वाली है. अनसुना कर उसकी गुहार, फिर मानवता को लात मारी है, वाकई दिल
MANJEET SINGH THAKRAL
पहले पेट पर लात, अब पीठ पर लाठी मार रही है सरकार! • क्या इतनी भी संवेदना नहीं कि अगर इन बेबस मजदूरों का सहारा नहीं बन सकते तो कम से कम इन्ह
Pankaj Singh Chawla
Feelings of a father एहसास एक पिता बनने का (👇अनुशीर्षक पढ़े👇) नोवां महीना:- बच्चे के जन्म का दिन करीब आ गया है, रात का समय हो चला मैं दुकान से घर आया हाथ मुँह धो
Pankaj Singh Chawla
एहसास एक पिता बनने का (👇अनुशीर्षक पढ़े👇) नोवां महीना:- बच्चे के जन्म का दिन करीब आ गया है, रात का समय हो चला मैं दुकान से घर आया हाथ मुँह धोकर पत्नी के साथ खाना खाया और सोने के लिए
Hrishabh Trivedi
😊निक्की की दुल्हनिया😊 (भाग2) (अनुशीर्षक में पढ़े) (दो दिन पहले) मूड थोड़ा सा अपसेट था क्यूंकि कुछ ही दिन पहले ही एक एग्जाम का रिजल्ट आया था और कड़ी मेहनत के बावजूद भी इसमें मेरा सिलेक्शन नह