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vishal
Career का हिंदी में अर्थ विकास, पेशा, व्यवसाय, आजीविका आदि होता है. कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी में प्रगति लाने के लिए या आजीविका चलाने के लिए जो कार्य करता है उसे करियर कहते है. आजीविका उस कार्य को कहते है जिससे जीविकोपार्जन होता है. उदाहरण के लिए शिक्षक, वकील, कलाकार, डॉक्टर, ब्लॉगर, ड्राइवर आदि कुछ आजीविकायें है. अक्सर हम अपने दोस्तों के साथ जब बात करते है तो उनसे पूछते है कि तुम किस क्षेत्र में अपना करियर बनाओगे। यानि तुम किस क्षेत्र में विकास करोगे। या किस क्षेत्र में रोजगार या नौकरी करोगे। कई सफल लोगो से सलाह भी लेते है कि किस क्षेत्र में करियर बनाना उचित रहेगा। कई प्रोफेशनल इंस्टिट्यूट बच्चों की काउन्सलिंग करते है ताकि सही करियर चुनने में उनकी मदत की जा सके. अगर माता-पिता शिक्षित होते है तो बच्चे की रुचि और शौक के अनुसार उसे कार्य करने देते है और उसको उसमें अपना करियर बनाने देते है.h ©vishal Career का हिंदी में अर्थ विकास, पेशा, व्यवसाय, आजीविका आदि होता है.
paritosh@run
Good Morning घूँट-घूँट, धीरे-धीरे चाय पीने का मज़ा कुछ और ही है... उनकी यादों के साथ कुछ वक्त मैं ऐसे भी बिताता हूँ... घूँट-घूँट किसी चाय...
PS T
श्रीकृष्ण.. धर्म कार्य के लिए युक्ति से काम लेना उन्हीं से सीखा... चाणक्य बाद में हुए पहले श्रीकृष्ण ने महाभारत में जो नीति युक्ति कम्युनिकेशन स्किल दिखाई... कहाँ ताकत कहाँ सिर्फ दिमाग.. कहाँ छल फैन हूँ मैं "श्रीकृष्ण" का.. पांडवों को खासकर अर्जुन को "गीता" से प्रेरित करना.. बाल लीला तो पुछो ही मत.. बचपन मे सबसे अच्छा अनुभव "कृष्ण लीला" ही था... #महाभारतचरित्र #yqdidi #challenge ...... समर उर्दू में समर का अर्थ होता है - फल
Diwan G
एक घूँट काफी नहीं है, तुझे भुलाने के लिए। रोज बोतल चाहिए, खुद को सुलाने के लिए। ©Diwan G #घूँट
Sumit Kumar
मैं डयरी पेन लेकर बैठा सोचा अपने जज़्बात लिख दूं फिर एक दम से ख्याल आया क्यों ना अपना पहला प्यार "चाय"लिख दूँ.. खुद के जज़्बात और चाय का घूँट
संजय कुमार सन्जू
"दो घूंट" अद्भूत सहास जगाया हे मानव खुद को ही बहकाने का खुशी मना रहा है या गम छूपा रहा जमाने का रईस इतना हो गया या कारोबार बढ़ा रहा महकाने का समझ नही आता हे मानव राज़ दो घूंट लगाने का॥ रूठ गया है क्या दिल तेरा जो करता कोशिश मनाने का भूल गया है सब कुछ या स्वांग रचा रहा भूलाने का चर्चित हो गया हे मानव पाथिक राज घराने का॥ शौक इतना हो गया है या आदि हो गया है पिने का भूल गया जो अपनापन या भूला रहस्य जिने का पूछ ला अब तू हे मानव हाल ए दर्द सिने का॥ खूब ढूढां है ये साथी खुशियो को मनाने का खूब ढूढां है तुने सहभागी गमो को भूलाने का गवां दिया तुने हे मानव अद्भूत प्रेम ज़माने का॥ ............संजय कुमार "संजू" दो घूँट
Pushpendra Pankaj
जीवन मे कितनी ही बार सब्र के कङवे घूँटो को पिया है, बार बार बताकर आपका जायका क्यों खराब करूँ। ©Pushpendra Pankaj कङवे घूँट
Himanshu Dhawan
जब रह जाएगा नदी में दो घूँट पानी तो शायद तुम्हे पानी कि किमत का पता चलेगी। जब हो जाऊंगा तुझ से दूर तो तुझे मेरे न होने का पता चलेगा जब रह जाएगा नदी में दो घूँट पानी।