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बेजुबान शायर shivkumar

रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम। जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। मेरे दिल

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रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल के हर वो गम-ए-जख्मों का इलाज हो तुम।

सदियों से चले आने वाला वो रिति-रिवाज हो तुम 
उस इश्क के मकान में भरे मेरे इम्तियाज हो तुम।

सोच कर तुम्हें ही अपने साथ मे हम भी मुस्कुराते हैं..
पर क्या करें अभी इस चेहरे से यु नाराज हो तुम ।।🪷👀

©बेजुबान शायर shivkumar रोज सुबह उठकर आने वाला मेरा ख्वाब हो तुम। 
कोरे पन्नों पर लिखे हर वो मेरे अल्फाज हो तुम।

जिसकी रोज कल्पना करूं अगर वह आज हो तुम। 
मेरे दिल

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके, ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं। शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़, वो भी

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Unsplash लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके,
ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं।

शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़,
वो भी बुझते-बुझते बस एक निशानी हो गईं।

इश्क़ में लिखते रहे हम हज़ारों किस्से,
मगर सच्चाई में वो सब बेमानी हो गईं।

वो कसमें, वो वादे, वो लम्हों की गहराइयाँ,
अब किताबों की तरह बंद कहानी हो गईं।

जो हमने देखा था कभी चाँद की रोशनी में,
वो उम्मीदें भी अब धुंधली कहानी हो गईं।

जिनसे रोशन था कभी हर एक कोना-ए-दिल,
वो रोशनी भी अंधेरों की मेहरबानी हो गईं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
लफ़्ज़ दिल में थे, वो कागज़ पे आ न सके,
ख़ामोशी में ही दबी सारी कहानी हो गईं।

शाम-ए-ग़म में जलाए थे जो उम्मीद के चराग़,
वो भी

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

चिलमन=पर्दे ख़लिश=शिकायत राफ़्ता= संबंधित दरमियां ए साहिल= मझधा, मुकद्दर(भाग्य) स्वलिखित गज़ल शीर्षक समंदर आंखों का विधा गज़ल भाव वास्त

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azad satyam

उकेर लेता है हर कोई तस्वीर कोरे कागज पर, दिल पर जो अमिट तस्वीर बना दे, ऐसा हर शख़्स आजाद तुझ सा नहीं होता...✍🏻 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

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उकेर लेता है हर कोई
तस्वीर कोरे कागज पर,
दिल पर जो अमिट तस्वीर बना दे,
ऐसा हर शख़्स आजाद
तुझ सा नहीं होता...✍🏻

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diwana_sa

©azad satyam उकेर लेता है हर कोई
तस्वीर कोरे कागज पर,
दिल पर जो अमिट तस्वीर बना दे,
ऐसा हर शख़्स आजाद
तुझ सा नहीं होता...✍🏻

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

azad satyam

लिखना चाहता हूं तुम्हे, दिल के कोरे कागज पर लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी, वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 ek_panchi_diw

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लिखना चाहता हूं तुम्हे,
दिल के कोरे कागज पर
लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी,
वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diwana_sa

©azad satyam लिखना चाहता हूं तुम्हे,
दिल के कोरे कागज पर
लेकिन बयां कर सके जो तारीफ तेरी,
वो अनकहे अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं

💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

#ek_panchi_diw

Raju Saini

#sad_quotes #Rajusaini #Saini #sainishayri #rajushayri ना #कागज़ ना #कलम ना #किताब से सीखा है ज़िंदगी जीने का #हुनर अपने #पिता और हालात से

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White ना कागज़ ना कलम ना किताब से सीखा है 
ज़िंदगी जीने का हुनर 
अपने पिता और हालात से सीखा है.

©Raju Saini #sad_quotes 
#Rajusaini #Saini #sainishayri #rajushayri 
ना #कागज़ ना #कलम ना #किताब से सीखा है ज़िंदगी जीने का #हुनर अपने #पिता और हालात से

Raju Saini

#safar कोई #हालात नहीं समझता, - कोई #जज़्बात नहीं समझता, ये तो अपनी-अपनी समझ की बात है जनाब, कोई कोरा #कागज़ समझ लेता है तो कोई पूरी #किताब

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White कोई हालात नहीं समझता, 
कोई जज़्बात नहीं समझता, 
ये तो अपनी-अपनी समझ की बात है जनाब, 
कोई कोरा कागज़ समझ लेता है 
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता !

©Raju Saini #safar कोई #हालात नहीं समझता, - कोई #जज़्बात नहीं समझता, ये तो अपनी-अपनी समझ की बात है जनाब, कोई कोरा #कागज़ समझ लेता है तो कोई पूरी #किताब

Sandeep Kothar

भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव म

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भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, 
लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, 
उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव महज एक कागज़ के पन्ने ही तो होते हैं।

©Sandeep Kothar भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, 
लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, 
उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव म

Ashtvinayak

कोई "हालात" को नहीं समझता, तो कोई "जज़्बात" को नहीं समझता.. ये तो बस अपनी-अपनी "समझ” है... कोई "कोरा कागज़” भी पढ़ लेता है, तो कोई पूरी "क

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Mohammad Ibraheem Sultan Mirza

मौलाना अरशद मदनी सहाब ने 1938 के कागज़ में लिखें हुए मुसलमानों से वादों को पढ़ के सुनाया, #jamiat_ulama_i_hind #molanaarshadmadani molanam

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