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Pradyumn awsthi
जीवन का सबसे मधुर,आनंददायक,यादगार और सबसे ज्यादा खुशी देने वाला समय - बचपन,बचपन की यादें और नानी दादी की वो मजेदार कहानियां जिनको सुनकर मन आनंद की मस्ती में झूम उठता था ©"pradyuman awasthi" #मधुर बाल्यावस्था
Ek villain
हरियाणा सरकार के निजी क्षेत्र के उधम में हरियाणवी युवाओं के लिए 75% आरक्षण का कानून को लागू कर दिया है लेकिन यह केवल नई भर्तियों पर ही लागू हुआ है जो काम कर पहले से ही कार्य करते उनको रोजगार नहीं खेलेंगे वह अपने संस्थान पर स्थानों के पूर्व तक कार्य करते रहेंगे और यह तो पहले से ही तय था कि प्रदेश के युवाओं के लिए उन्हें पदों पर आरक्षण रहेंगे जिन पदों पर ₹30000 तक का वेतन निर्धारित है एक अच्छी बात यह भी है कि यदि किसी आदमी को उसकी आवश्यकता के अनुसार प्रदेश से कुशल व्यक्ति नहीं मिलता तो उन्हें अन्य प्रदेशों के लोगों को नियुक्ति कर सकेगा लेकिन इसके लिए अन्य जिला इस्तर बनाई गई कमेटी में नियुक्ति नहीं होगी तो इसलिए अवश्य किया जाएगा कि हरियाणा के कुशल युवा मिलने का तर्क देकर अन्य प्रदेशों के लोगों की भर्ती कर सके उत्तर प्रदेश की व्यवस्था के स्वागत योग्य जो ने 2 वर्ष से नियम से छूट मिलेगी स्पष्ट है कि उद्योगों की आवश्यकता होती है इसी तरह का संकट नहीं उठा सकते रही बात की तो उसके बाद जो भर्तियां होंगी उन पर आरक्षण का नियम लागू होगा क्योंकि पुराने कर्मियों को ना निकाले जाने का प्रावधान है स्थानीय युवाओं को आरक्षण का नए नियम लागू होंगे जिन कर्मचारियों की संख्या 10 अथवा उससे अधिक है प्रदेश सरकार के इस नियम पर उसकी नियति पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता क्योंकि हर प्रदेश में युवाओं और रोजगार युक्त देखना चाहता है हर हाथ को काम देकर प्रदेश का विकास किया जा सकता है ©Ek villain # युवाओं में कौशल विकास #hills
Premsukh
क्या आप जानते हैं कि भारत में एक AC ट्रेन की शुरुआत 1 सितंबर 1928 को हुई थी जिसका नाम था- पंजाब मेल और 1934 में इस ट्रेन में AC कोच जोड़े गए और इसका नाम फ्रंटियर मेल रख दिया गया. उस समय में ट्रेनों को फर्स्ट और सेकेंड क्लास में बांटा गया था, फर्स्ट क्लास में केवल अंग्रेजों को सफर करने की अनुमति थी। इसी कारण इसे ठंडा रखने के लिए AC बोगी में बदला गया था। अंग्रेजों ने अपनी सुविधा के लिए ये सिस्टम बनाया था, जिसमें AC की जगह पर बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था, जो फ्लोर के नीचे रखी जाती थी. यह ट्रेन 1 सितंबर, 1928 को मुंबई के बैलार्ड पियर स्टेशन से दिल्ली, बठिंडा, फिरोजपुर और लाहौर होते हुए पेशावर (अब पाकिस्तान में) तक शुरू हुई थी, लेकिन मार्च 1930 में इसे सहारनपुर, अंबाला , अमृतसर और लाहौर की ओर मोड़ दिया गया। इसमें पहले बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल करके बोगी को ठंडा रखने का काम नहीं किया जाता था, लेकिन बाद इसमें AC वाला सिस्टम जोड़ दिया गया. इस ट्रेन का नाम फ्रंटियर मेल था, जो बाद यानी 1996 में गोल्डन टेम्पल मेल के नाम से संचालित की जाने लगी। फ्रंटियर मेल को ब्रिटीश काल की सबसे लग्जरी ट्रेनों में से एक कहा जाता था। पहले यह भाप से 60 किमी की रफ्तार से चलती थी, लेकिन अब इसे इलेक्ट्रिक से चलाया जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह ट्रेन 1,893 किमी की दूरी तय करती है, 35 रेलवे स्टेशनों पर रुकती है और अपने 24 डिब्बों में लगभग 1,300 यात्रियों को ले जाती है। यह टेलीग्राम ले जाने और लेकर आने के लिए भी चलाई जाती थी. इस ट्रेन को करीब 95 साल हो चुके हैं। ©Premsukh भारत में रेलवे का विकास
Ek villain
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में प्रति वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रपति बालिका दिवस की शुरुआत की थी इस दिन शिक्षा में लड़कियों को अधिकार शिक्षा और लैंगिक समानता दूर करने के प्रति जागरूक फैलाई जाती थी आज ऐसे ही कोई क्षेत्र नहीं है जहां लड़कियों के लिए अपने हुनर का लोहा मनवाया हो पर अभी तो बना दी कि आज भी लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है भले ही आज समाज में महिला समानता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह लेकिन ऐसा कोई भी चीज नजर नहीं आता जहां वीडियो को बराबरी का अधिकार दिया गया है उल्लेखनीय है कि जब आप किसी लड़कियों को स्कूल भेजते हैं तो इससे पहले काम का अवसर हमेशा के लिए रहता है यह पहला पीढ़ी तक जनहित के तमाम कार्य के लिए आगे बढ़ने का काम करती है स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक लाभ लेंगे का संबंध था और राष्ट्रीय समिति तक है अगर एक बालिका के स्कूल जाने पर मात्र से इतनी चीजें समृद्ध होती हैं तो फिर आज की शादी में भी हमारी सोच सुनने क्यों है क्यों आज भी अंधकार बच्चियों स्कूलों का मुंह देखने से वंचित रह जाती हैं स्कूल का मूर्ति भी है आगे की पढ़ाई जारी क्यों नहीं रख पाती ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि 1 दिन दिवस मनाए लेने के लिए स्थित बदलाव नहीं आने वाला है उसके लिए समग्रता स्तर पर और राज सामाजिक चेतना का विकास करना जरूरी है आज विश्व भर में जलवायु परिवर्तन समस्या की गूंज सुनाई दे रही है इससे होने वाले आर्थिक और समाजिक नुकसान की भी चर्चा आम बात हो गई है इस पर भी बड़ी समस्या और आधी आबादी के साथ हो रहे लेकिन इस पर नहीं होते ©Ek villain # संकुचित बेटी के विकास में बाधक #Walk
siddharth vaidya
ना धर्म की सीमा हो, ना जाति का हो बंधन, जब वोट करे कोई तो देखे केवल मन, राष्ट्र प्रेम जगाकर तुम मेरी जीत अमर कर दो।। विकास की गंगा बहाकर तुम, मेरी प्रीत अमर कर दो। #विकास siddharth vaidy #विकास
Datta Dhondiram Daware
प्रि-येचा कळाला नाही मला डाव..! ति-च्या अदाने केला ह्रदयी घाव..! वि-सरू शकत नाही,मी प्रेमफुला..! का-तिल नजरेन केले घायाळ मला..! स-मस्त काळजात तुझीच छबी..! चा-हूल लागे मनी गोडगुलाबी..! बु-डत्याला दिलास तुच आधार..! क-रू नकोस आता मला निराधार..! स्वा-भिमान माझ्या ह्रदयात पेटला..! र-क्ताने माझ्या तुझ्या कपाळी टिळा नटला.! विकास
संजय श्रीवास्तव
विकास विकास की इबारत चमचमाती सड़के क्यूँ रो रही हैं थका जिस्म औ बोझिल सांसे लिये जिंदगी सो रही है कौन सा सपना कौन सी मंजिल कुछ भी तो नही वक्त के ठेले में लगा के पहिया खुद को ढो रही है क्या करोगे सुनकर कहानी उसकी रोक सकते हो बूढ़ी होती जा रही जवानी उसकी अरे छोड़ो मियाँ चलो चलें वहां जहाँ समाजवाद की सभा हो रही है। समाज के अंतिम व्यक्ति की बात करके कितनो की आँखे खुद को भिगो रही है। संजय श्रीवास्तव विकास