Nojoto: Largest Storytelling Platform

New दर्द भरे सॉन्ग Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about दर्द भरे सॉन्ग from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, दर्द भरे सॉन्ग.

    LatestPopularVideo

AD Grk

#GoodMorning #NojotoADGrk Anupriya RAjain kumar Neel NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Kshitija #Love

read more

AD Grk

#GoodMorning #NojotoADGrk Anshu writer Mili Saha J P Lodhi. #शून्य राणा NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) #Life

read more

aaj_ki_peshkash

#संगीत की #धुन से #जीवन को #साज़ करें, #दिल की गहराईयों में छू जाए वो तार बसाएं। #दर्द को आहटों में पिघलाए, संगीत ही है जो #रूह को #सुकून दि

read more

Kavi Himanshu Pandey

दूसरों का दर्द #beingoriginal Hindi #Dard #Poetry #nojotohindi

read more

आगाज़

#दर्द aditi the writer Senty Poet #शायरी

read more

aaj_ki_peshkash

#दिल की बातों को #अल्फ़ाज़ में बयां करना #मुश्किल है, पर हर एक #ख्वाब के पीछे एक अधूरी #चाहत होती है। मोहब्बत की #राह में, हर #दर्द को सहना #Poetry #रात #सुबह #इंतज़ार

read more

Abhay maurya (pathik)

#Moon Swati sharma PФФJД ЦDΞSHI rasmi indu singh Rajat Bhardwaj Madhusudan Shrivastava NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Nîkîtã Guptā Pihu Singh #Love #शून्य

read more

Yusuf Shayar New

SAD vineetapanchal Sethi Ji Andy Mann sana naaz Riti sonkar Neelam Modanwal Farooq Farooqui NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) gum_nam_shayar_7

read more

Sonali Ghosh

#दर्द

read more
White अब मुझे दुसरो से शिकायत नहीं अपनेआप से है।
मेरे दिल में दबे हुए गम बेहिसाब से हैं।

©Sonali Ghosh #दर्द

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच #कविता

read more
चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।।
नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।।

कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।।
आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।।

यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।।
देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।।

खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।।
पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।।

आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे ।
स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।।

बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा ।
दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।।

लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े ।
बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।।

राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते ।
अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी ।

प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा ।
जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।।

२४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :-

पीर पराई बनी बिवाई ।  हमको आज कहाँ ले आयी ।।
मन के अपनी बात छुपाऊँ  । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।।

चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile