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Dalip Kumar 'Deep'
Shayer tera ©Dalip Kumar 'Deep' ✍🏿😊आज हमार बारी हो जाये🌹🌹💕💕
Ashutosh Mishra
White हमें यकीन था तुम पर न दोगे दगा मुझे दिलाया था विश्वास तुमने भी ना साथ छोड़ेगे हम बना बैरी ये जमाना या किस्मत धोखा दे गई बनते बनते तकदीर के ,,तस्वीर ही बदल गई अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #emotional_sad_shayari हमें यकीन था तुझ पर ना दोगे दगा मुझे दिलाया था विश्वास तुमने भी ना छोड़ेगे साथ हम बना बैरी ये जमाना या किस्मत धोखा द
AD Kiran
ओ हमार करेजा... क्या कभी मछली जल से जुदा हो सकती है ? अगर हो भी गई भूल-बस तो, क्या वह जिंदा रह सकती है? ©AD Kiran ओ हमार करेजा..SabitaVerma
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का , पूरा रखूँ खयाल ।। आये कितनी दूर से , देखो है ये ग्वाल । हे राधा छू लेन दो , यही नन्द के लाल ।। हर कोई मोहन बना , लेकर आज गुलाल । मैं कोई नादान हूँ , सब समझूँ मैं चाल ।। भर पिचकारी मारते , हम भी तुझे गुलाल । तुम बिन तो अपनी यहाँ , रहती आँखें लाल ।। रिश्ता :- रिश्ता अपना भी यहाँ , देखो एक मिसाल । छुपा किसी से है नही , हम दोनो का हाल ।। रिश्ते की बुनियाद है , अटल हमारी प्रीति । क्या तोड़ेगा जग इसे , जिसकी उलटी रीति ।। रिश्ते में हम आप हैं , पति पत्नी का रूप । मातु-पिता को मानते , हैं हम अपने भूप ।। रिश्तों की बगिया खिली , तनय उसी के फूल । लेकिन उनमें आज कुछ , बनकर चुभते शूल ।। एक रंग है रक्त का , जीव जन्तु इंसान । जिनका रिश्ता ये जगत , जोड़ गया भगवान ।। रिश्ता छोटा हो गया , पति पत्नी आधार । मातु-पिता बैरी बने , साला है परिवार ।। ०७/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR घर से निकली गोपियाँ , लेकर हाथ गुलाल । छुपते फिरते हैं इधर , देख नगर के ग्वाल ।। लेकर हाथ गुलाल से , छूना चाहो गाल । आज तुम्हारी चाल का
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सरसी छन्द अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती हैं सब सखियां , कहके विरहन आज । जबकी दिल पे मेरे साजन , बस तेरा ही राज ।। आओ अपने अंग लगा लो , बस इतनी है चाह । अबकी होली सुन लो प्रियतम .... माह जेष्ठ में भू ये जलती , तुम बिन जिया हमार । अबके फागुन में आ जाओ , हो मन का शृंगार ।। बिरहन बनकर कब देखूँ , मैं अब तेरी राह । अब की होली सुन .... आज विरह में तन ये काला , मल दो प्रीत गुलाल । बनकर मीरा दर-दर भटकू, आओ मेरे ग्वाल ।। आज प्रेम की मीरा प्यासी , करे मिलन की चाह । अब की होली सुन लो प्रियतम..। अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। ०७/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द अबकी होली सुन लो प्रियतम , मेरे मन की चाह । संग तुम्हारे खेलूँ होली , तकती तेरी राह ।। अबकी होली सुन लो प्रियतम.... ताने देती ह
दूध नाथ वरुण
बैरी पिया मोहे निंदिया न आए, याद तोहार मोहे हरपल सताए। मोसे जो कहिके गयो हम आईब हो,सदियां गयो पर तुम नही आए।। ©दूध नाथ वरुण #बैरी पिया