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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।। फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो । जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।। गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल । जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।। प्रकृति रही है खेल , सभी से अब के बी सी । कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।। कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी । किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।। दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई । मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।। गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था । पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।। खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए । मैं यहीं थककर रुका तो ये हमारी हार है ।। कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले । निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।। हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे । देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।। कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये । आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।। जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर । जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग
Happy Rai Enjoy
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कुल में धर्म का, धर्म के आचरण का, अपने-पन के सम्मान का जब नास या पतन होता है, तो उस कुल को पाप, व अधर्म दबा लेता है।। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} किसी भी कुल में धर्म का, धर्म के आचरण का, अपने-पन के सम्मान का जब नास या पतन होता है, तो उस कुल को पाप,
Mahadev Son
White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह
Ankit Singh
“एक राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति को उसके जानवरों के साथ व्यवहार से ठीक किया जा सकता है।” ©Ankit Singh एक राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति को उसके जानवरों के साथ व्यवहार से ठीक किया जा सकता है #animals
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है, तब व्यक्ति का पतन हो जाता है. ©N S Yadav GoldMine #Hope {Bolo Ji Radhey Radhey} क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता
poonam atrey
**आपसी रंजिश** रिश्तों के अब , सरेआम क़त्ल होने लगे, नाते और संबन्ध ,अपनी शक़्ल खोने लगे, भाई ही भाई के , खून का प्यासा हुआ, दौलत की ऐसी होड़,रिश्ते भीड़ में खोने लगे, आपसी रंजिश में करते क़त्ल अपने खून का, फूल से रिश्तों में अब हम ,शूल क्यों बोने लगे, जो लील जाए प्रेम को,वो दौलत किस काम की, दिल के क़रीम धागों में, माया क्यूँ पिरोने लगे, धन दौलत तो बेवफ़ा के ,कब किसी के साथ गई, क्यूँ दौलत की ख़ातिर, खून रिश्तों का बहाने लगे।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #आपसीरंजिश #पूनमकीकलमसे #पतन #नोजोटोराइटर्स Neel Srk writes Mahi Ravikant Dushe ( prahlad Singh )( feeling writer) honey khattri Shiv Ki