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पण्डित राहुल पाण्डेय
ध्यान देना 🚩🙏 कितनी शर्म की बात है हम लोगों के लिए हम दूसरों को सद्भावना देते देते अपना सब कुछ भूल बैठे और आजकल हमारे बच्चे यह तो इनको हम लोग बैकवर्ड लगते हैं यह मॉर्डन होते जा रहे हैं नंगापन फैशन हो गया है*हम सभी के लिये सोचने वाला तथ्य -* पेठा , बेसन के लड्डू , गाजर का हलवा , रसगुल्ला , गुलाब जामुन , जलेबी, कलाकंद, खोपरा पाक , खीर , नानखटाई , 100 तरह के पेडे , काजू कतली , रसमलाई , सोहन हलवा , बूंदी , बरफी , 50 तरह के श्रीखंड , पूरण पोली , आम रस , दुधि हलवा , गोल पापड़ी , मोहन थाल , सक्कर पारा, तिलगुड़ के लड्डू , बेसन के लड्डू, मुम्बई आइस हलवा , चीकू बर्फी, चूरमा लड्डू, घुघरा, हलवा, खजूर पाक, मगज पाक, रेवडी, घेवर वगैरह वगैरह जैसी हज़ारों शुध्द मीठी चीजें जिस देश के लोग बनाना और खाना जानते हों , उस देश में चॉकलेट दिवस मनाना और कुछ मीठा हो जाये कह के करोडों की चॉकलेट बेच के विदेशी कम्पनियों का हमारा करोडों रूपया लूट लेना ये दर्शाता है कि........ हम सब को यह सिखाया जा रहा है कि मिठाई खाने से शुगर हो जाती है यह चॉकलेट खाने से कुछ नहीं होता कोई बीमारी तो उसको खाने से भी होती होगी 👆!हमारा कितना बौद्धिक और नैतिक पतन हो गया है..और हम कितना नीचे गिर गए हैं...... !! अरे हमारे देश में रोज मीठे का डे होता है ठाकुर जी का भोग लगाओ और सारे घर को खिलाओ और हम आजकल फैशन के चक्कर में सब कुछ भूलतेजा रहे हैं ध्यान देना बुरा लगे तो लगना भी चाहिए इसलिए तो कहा है मैंने🙏🙏जय जय श्री राधे 🙏🙏☺️🚩 ©पण्डित राहुल पाण्डेय ध्यान देना 🚩🙏 कितनी शर्म की बात है हम लोगों के लिए हम दूसरों को सद्भावना देते देते अपना सब कुछ भूल बैठे और आजकल हमारे बच्चे यह तो इनको हम लो
Gautam_Anand
बेहतर होगा तुम अपनी खोखली बातें बंद करो, बेहतर होगा तुम अपने घड़ियाली आँसू बंद करो, बेहतर होगा तुम मुझको देवी का सम्बोधन देना बंद करो! नहीं चाहिये मुझको तुमसे कोई सम्वेदना, नहीं चाहिये मुझको तुमसे कोई आश्वासन, ये रटी-रटायी बहसें, बेमतलब के तर्क-कुतर्क सब बंद करो! #प्रतिकार बेहतर होगा तुम अपनी खोखली बातें बंद करो, बेहतर होगा तुम अपने घड़ियाली आँसू बंद करो, बेहतर होगा तुम मुझको देवी का सम्बोधन देना बंद क
Mili Saha
// अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वाधिक उचित ही होगा, क्योंकि नारी शक्ति में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक पुरुष जो नारी को कमज़ोर कहता है, उसे सम्मान नहीं देता, उसका तिरस्कार करता है। उसे इस बात का ज्ञान क्यों नहीं कि औरत के बिना आखिर उसका अस्तित्व ही क्या है? औरत उस वृक्ष के समान है जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ खड़ी रहकर राहगीरों को छाया प्रदान करता है। किंतु उसकी इस सहनशीलता और कोमलता को पुरुष प्रधान समाज उसकी कमज़ोरी समझ लेता है। ये समाज क्यों नहीं समझता कि नारी की सहनशीलता और कोमलता के बिना मानव जीवन का अस्तित्व संभव ही नहीं। इस बात में किंचित मात्र भी संदेह नहीं है कि औरत ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक का कार्य करती है। संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय औरत को ही जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति में औरतों के सम्मान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है किंतु वर्तमान में औरतों के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। एक नारी का अपमान अर्थात संसार का, समाज का नैतिक पतन है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का सम्मान दिया गया है। एक समय था जब औरत को उसके पति के देहांत के बाद उसे उसके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। ऐसी ही समाज की अनगिनत कुप्रथाओं के कारण औरत को हर युग में रीति-रिवाजों की बेडियो में बांँधकर समाजिक सुख सुविधा, गतिविधियों और शिक्षा से दूर रखा जाता था। किंतु इन सभी बंँधनों के बावजूद भी कितनी ही ऐसी महिलाएंँ हैं जिन्होंने अपने हिम्मत और हौसले से अपनी उपस्थिति को हर क्षेत्र में दर्ज़ करवाया है, इतिहास रचाया है, अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाया है। पूर्व काल से ही नारी अपने हक के लिए लड़ती आई है और आज भी लड़ रही है। इस हक की लड़ाई का ही परिणाम है कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज की प्रगति में अपनी भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने अपनी शक्ति और कौशल से कर दिखाया है कि वो किसी भी मायने में कमजोर नहीं, एक शक्ति है जो अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है। ©Mili Saha // अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वा
Sabir Khan
नैतिक शब्द पढ़ना आसान है परंतु नैतिकता अपनाना दुनिया का सबसे कठिन कार्य है। जिसने नैतिकता को अपनाया उसका संसार में बुरा हाल रहा है किंतु वह कालजयी हुआ है। ऐसे महान व्यक्ति ही इस संसार की नींव हैं, जिनके कारण आज संसार खड़ा है। नैतिक
Parasram Arora
सुना है सिंहों की संख्या जगत में रोज़ कम हों रही है. पर आदमी की जनसंख्या प्रतिदिन बड़ रही है मुमकिन है मरा हुआ हर्. सिँह आदमी की शक्ल में नया जन्म ले रहा हों सत्य और. अहिंसा की ज़मीन पर ऐसा होना दुःखद है अगर ऐसा ही है तो क्योंकि इस आयातीत हिंसा से मशनवीयता. का पतन होना निश्चित है ©Parasram Arora पतन......
HP
जिस प्रकार पवित्र निर्विकार एवं निर्मल अन्तःकरण ईश्वर का सन्देश वाहक है उसी प्रकार मलिन एवं दूषित अन्तःकरण पैशाचिकता का केन्द्र है नारकीय खण्डहर है जिसमें पापात्माओं की प्रेतवाणी गूँजती रहती है जो मनुष्य को पतन की ओर ही प्रेरित करती है। पतन
HP
जो मनुष्य मात्र की उन्नति के लिये अपने जीवन का दाँव लगा देते हैं अपना सर्वस्व समष्टि को समर्पित कर देते हैं, वे ही उस उच्च शिखर पर पहुँचते हैं जहाँ से पतन की कोई आशंका नहीं रहती। पतन
Bhaparam Suthar
खूबसूरत लोग जो सोचा है, वही करो वही आपके लिये बेहतर है नैतिक इंडिया