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Ek villain
गोस्वामी तुलसीदास ने केवल हिंदी वाघनीय के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं बल्कि भारतीय साहित्य के ऐसे अन्यतम कवि हैं जिनकी व्याप्ति सदियों से है जीवन व्यवहार समाज आदर्श और करुणा का जो रूप उनके काव्य में मिलता है वह उन्हें ऐसे विशिष्ट कवि के स्तर पर प्रतीक्षा करता है जहां किसी दूसरे को स्थापित करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती रामचरितमानस के लेख में तुलसीदास ने श्रीराम को केंद्र में रखा जो सनातन धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रतिष्ठित है वैसे तो प्रत्येक सनातनी प्रभु श्री राम की नित्य प्रधाना करते हैं परंतु मैं इस सप्ताह बारिश श्री राम नवमी का पर्व भी है जो हम सभी के लिए विशेष उल्लास का विषय है ऐसे विवेक जोशी जोशी की पुस्तक तुलसीदास के विभिन्न विचारों को विश्लेषण करती हुई कहीं अधिकतम कई प्रतीत होती है साहित्य कला और संस्कृति की ख्याति आलोचक के रूप में प्रतिष्ठित ज्योति जोशी ने एक आधुनिक पाठ की तरह इस पुस्तक में तर्क के आधार पर अनेक प्रश्न खड़े किए उनके प्रश्न का उत्तर देने का गंभीरता से प्रयास भी किया गया है ©Ek villain #तुलसीदास के लेखन का सामग्री विशेषण #ramadan
NEERAJ SIINGH
अपने घर परिवार दुकान समाज सबको सुरक्षात्मक शहस्र शस्त्र से भरो और इतना रोष रखो की अगली बार को राक्षस रेकी करने आए तो सीधे निपटा दो, किसके लिए रुके कन्हैया कोई भाईचारा नही ,कोई व्यापार नही , देखना छोड़ दे , इनको ये कभी नहीं सुधर सकते, हिन्दू स्त्रियां भी शस्त्र चलाना सीखे और मुस्लिम किसी भी व्यक्ति से कोई भी बोल चाल या संबंध ना रखे, निष्कासन और भर्त्सना जरुरी हैं सामाजिक तौर से और मानसिक तौर पर भी अति हो चुकी है गंदगी की जब कन्हैया का लहू नाली मे बह रहा था तुम्हारा खून तब भी नही खोला हिंदुओं, राजपूती लहू कभी चुप नही बैठेगा , जय महाकाल #neerajwrites कन्हैया के लहू का रोष लौटेगा
Anupama Jha
एक दूजे के पूरक हम एक दूजे से अपनी पहचान प्रेम,विशेषण अपना तुम गर संज्ञा,तो मैं सर्वनाम। #संज्ञा #सर्वनाम #yqdidi #विशेषण
Mishra Kaushal
रोष में ही सही... आ ही जाओ इक दफ़ा ! खड़ी दूर,हो संग फिर मेरे।। #रोष#misraword#misralove
Ghumnam Gautam
Jai shree ram कलम कहाँ तक बयां करेगी! विशेषणों में कहाँ वो गुण है कि राम क्या हैं बखानने को न भू न अम्बर कोई निपुण है ©Ghumnam Gautam #JaiShreeRam #राम #विशेषण #ghumnamgautam
Ananya Singh
पृथ्वी बैठीं तट पर सोच रही थी खिन्न में, क्या बचाउ और क्या बह जाने दूं अपने इस रोष निर्झर में... #रोष #निर्झर #दिलकीबात #उदास_मन #तट
अशोक द्विवेदी "दिव्य"
जब अपने भी नहीं थे मेरे संग ©अशोक द्विवेदी "दिव्य" #जीवन #प्रेमदर्शन #कुंठा #रोष लक्ष्मी भारती