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SHOAIB STATUS
RV Chittrangad Mishra
आर वी चित्रांगद के कलम से चींटा की मिस चींटी के संग,जिस दिन हुई सगाई। चींटीजी के आंगन में थी,गूंज उठी शहनाई। घोड़े पर बैठे चींटाजी, बनकर दूल्हे राजा। आगे चलतीं लाल चींटियां,बजा रहीं थीं बाजा। दीमक की टोली थी संग में,फूंक रहीं रमतूला। खटमल भाई नाच रहे थे,मटका-मटका कूल्हा। दुरकुचियों का दल था मद में,मस्ताता जाता था। पैर थिरकते थे ढोलक पर,अंग-अंग गाता था। घमरे, इल्ली और केंचुएं,थे कतार में पीछे। मद में थे संगीत मधुर के,चलते आंखें मींचे। जैसे ही चींटी सजधज कर,ले वरमाला आई। दूल्हे चींटे ने दहेज में,महंगी कार मंगाई। यह सुनकर चींटी के दादा,गुस्से में चिल्लाए। 'शरम न आई जो दहेज में,कार मांगने आए। धन दहेज की मांग हुआ,करती है इंसानों में। हम जीवों को तो यह विष-सी,चुभती है कानों में।' मिस चींटी बोली चींटा से,'लोभी हो तुम धन के। नहीं ब्याह सकती मैं तुमको,कभी नहीं तन-मन से। सभी बाराती बंधु-बांधवों,को वापिस ले जाओ। इंसानों के किसी वंश में,अपना ब्याह रचाओ चींटा की मिस चींटी के संग, जिस दिन हुई सगाई। चींटीजी के आंगन में थी, गूंज उठी शहनाई। घोड़े पर बैठे चींटाजी, बनकर दूल्हे राजा। आगे चलतीं लाल
MohiniGupta
तुम मेरे जीवन का सार बन जाना, अजनबी से तुम मेरे यार बन जाना सगाई की अंगूठी मंगलसूत्र हार बन जाना माँग का सिंदूर मेरा सोलह श्रंगार बन जाना तु
Arun Singh
बेहिसाब सी है जिंदगी बेहिसाब है गम गमो भरी जिंदगी में महंगी लगी जिंदगी सस्ती लगी मौत।। महंगी
Hemant Sharma
Vickram
ना मालूम तूम मुझ में कहां कहां नहीं हो । मुझे तो अब मेरी जिंदगी भी अपनी नहीं लगती हैं। एक छोटी सी मजाक में तुम से ईश्क कर बैठा में। में जी नहीं पा रहा मुझे तेरी महोब्बत काफी महंगी पड़ी है ©Vickram काफी महंगी,,,,
Chintoo Choubey
आज भी हम आजाद कहाँ? आजादी के नाम है बस यहाँ, ना कोई है सुनने वाला, ना कोई है बचने वाला, सबको ये तड़पा कर मारेंगे, मालिक है, खाल नोंच कर ही मानेंगे, क्या तुम यही सोंच कर बैठे हो? नादानी की चादर ओढ़कर बैठे हो, कभी तो ये दयालु होंगे, कभी तो ये कृपालु होंगे, तो अच्छा ही है, जो इस गफलत में बैठे हो, अरे अंधों नींद से जागो, ये मालिक है, खाल नोंच कर ही मानेंगे तो फिर कहाँ कि आजादी? यहाँ कहिं नहीं है आजादी| महंगी आजादी
Parasram Arora
अपराध बोध से ग्रसित है ये स्वच्छद हवाएं चुप चाप आकर मेरी महंगी साँसे चुराकर ले जाती है और किसी और को लेजाकर ऊँचे दामों मे बेच देती है. कई बार वो किसी और की चुराई हुई सस्ती साँसे मुझे महंगे दामों मे बेच कर गायब हो जाती है ©Parasram Arora महंगी साँसे