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Vrishali G

आज प्रीतीला पंख हे लाभले रे सुधीर फडके आशाताई # selfduet. कुंकवाचाकरंडा #मराठीशायरी

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Vrishali G

आज प्रीतीला पंख हे लाभले रे सुधीर फडके आशाताई # selfduet. कुंकवाचाकरंडा #शायरी

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Vrishali G

धुंदी कळ्यांना.. गीत जगदीश खेबुडकर आशा भोसले आणि सुधीर फडके यांचे भावगीतं #मराठीशायरी

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Vrishali G

एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा माझा एक प्रयत्न #मराठीकविता

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एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा माझा एक प्रयत्न #मराठीशायरी

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एक वार पंखा वरूनी फीरो तुझा हात. सुधिर फडके.. गदिमा माझा एक प्रयत्न #कविता

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Vrishali G

तुला पाहते रे तुला पाहते चित्रपट जगाच्या पाठीवर आशा भोसले गदिमा आणि सुधिर फडके #मराठीशायरी

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Gurudeen Verma

शीर्षक- और तो क्या ?
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खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #लेखक

Andy Mann

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Sabir Khan

लेखक #Pehlealfaaz

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#Pehlealfaaz लिखने वाले समाज के रचयिता हैं, 

समाज लिखने वालों से ही चलता है। 

अब लिखने वाले ही स्वयं सोच लें कि

उनको समाज कैसा बनाना है। लेखक
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