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Diksha Kishori

बड़े भाग्य मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथिन गावा।। 🙏🏻🌼 #SADFLUTE

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jitukaka ka ज्ञान

गदर 2 मूवी सॉन्ग💕💕💞💞 उड़जा काले कावा तेनु, मुंग्ज़ खंड पावा💞💕 #Love

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Bhakti Kathayen

बड़े भाग्य मानुष तन पावा सफल बनाना है 🙇‍♀️🙏🙏... #bhaktikathayen #Hanuman #Bhakti #nojotohindi #motivate #viral #Trending #New #status Stori #Society

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yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात सुप्रभात प्रिय मित्र आणि मैत्रिणिनों आजचा विषय आहे कृष्ण रंगात... #कृष्णरंगात चला तर मग लिहुया.. #Collab #yqtaai तुमचे विषय कमेंट #YourQuoteAndMine

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कृष्ण रंगात रंगली ही धरणी सारी
वाजे पावा मधुर धून छेडी कृष्ण मुरारी.
मोहूनी जाई विश्व ही सारे होउनी दंग
रंगुनी ह्या सावळ्या श्री हरी संग. सुप्रभात सुप्रभात 
प्रिय मित्र आणि मैत्रिणिनों
आजचा विषय आहे
कृष्ण रंगात...
#कृष्णरंगात
चला तर मग लिहुया..
#collab #yqtaai 
तुमचे विषय कमेंट

Divyanshu Pathak

💕👨 शुभ संध्या जी ☕☕🍨🍨💕🍫🍫🍉🍧🍧☘🌱🍧🍧🍦🙏 : गुलशन में फूल खिले बहुतेरे कुछ कलियों के साथ जुड़े कुछ पर भँवरों के हैं डेरे मैं माली बनकर रह बैठा मौज ले #shweta #Deepti #komal #indu

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मेरा और तुम्हारा बंधन
मरने के भी वाद रहे !
अपने होने का अपनापन
जो जाने के वाद रहे !
जी पाएंगे क्या हम और तुम
जो सदियों तक आबाद रहे  ! 💕👨 शुभ संध्या जी
☕☕🍨🍨💕🍫🍫🍉🍧🍧☘🌱🍧🍧🍦🙏
:
गुलशन में फूल खिले बहुतेरे
कुछ कलियों के साथ जुड़े
कुछ पर भँवरों के हैं डेरे
मैं माली बनकर रह बैठा
मौज ले

J Narayan

दो बटें तीन हिस्से की बची हुई मोमबत्ती, कोने की तीरगी को रौशन करती हुई, मुझसे बेखौफ सवाल करती है, मैं भी जली, तुम भी जले, दोनों बराबर जले, #feelings #yourquote #yqbaba #yqdidi #yqdada

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एक वृतांत ।

(Please read in the caption ⬇️) दो बटें तीन हिस्से की बची हुई मोमबत्ती,
कोने की तीरगी को रौशन करती हुई,
मुझसे बेखौफ सवाल करती है,
मैं भी जली, तुम भी जले,
दोनों बराबर जले,

atrisheartfeelings

#atrisheartfeelings #ananttripathi #Sundarkand #Sunderkand अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥

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अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवन सुत बिदा कराई॥
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ। बन असोक सीता रह जहवाँ॥
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
कृस तनु सीस जटा एक बेनी। जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥
 #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand


अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 26 हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि। जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥ अ #समाज

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🙏सुन्दरकांड 🙏
दोहा – 26
हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है
पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥
अपनी पूंछ को बुझा कर, श्रम को मिटा कर (थकावट दूर करके),फिर से छोटा स्वरूप धारण कर के हनुमान जी हाथ जोड़ कर सीताजी के आगे आ खडे हुए ॥26॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

माता सीता का प्रभु राम के लिए संदेशा
सीताजी हनुमानजीको पहचान का चिन्ह देती है
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा।
जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा॥
चूड़ामनि उतारि तब दयऊ।
हरष समेत पवनसुत लयऊ॥1॥
और बोले कि हे माता!जैसे रामचन्द्रजी ने मुझको पहचान के लिये मुद्रिका का निशान दिया था,वैसे ही आप भी मुझको कुछ चिन्ह (पहचान) दो॥तब सीताजी ने अपने सिर से उतार कर चूडामणि दिया।हनुमानजी ने बड़े आनंद के साथ वह ले लिया॥

सीताजी श्री राम के लिए संदेशा देती है
कहेहु तात अस मोर प्रनामा।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥2॥
सीताजी ने हनुमानजी से कहा कि हे पुत्र!मेरा प्रणाम कह कर प्रभु से ऐसे कहना कि हे प्रभु!यद्यपि आप सर्व प्रकारसे पूर्णकाम हो(आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है)॥हे नाथ! आप दीनदयाल हो,दीनो (दुःखियो) पर दया करना आपका विरद है,(और मै दीन हूँ)अतः उस विरद को याद करके,
मेरे इस महासंकट को दूर करो॥

माता सीता का श्रीराम को संदेशा
तात सक्रसुत कथा सुनाएहु।
बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु॥
मास दिवस महुँ नाथु न आवा।
तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा॥3॥
हे पुत्र । फिर इन्द्र के पुत्र जयंत की कथा सुना कर प्रभु कों बाणों का प्रताप समझाकर याद दिलाना और कहना कि हे नाथ जो आप एक महीने के अन्दर नहीं पधारोगे,तो फिर आप मुझको जीवित नहीं पाएँगे॥

सीताजी को हनुमानजी के जाने का दुःख
कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना।
तुम्हहू तात कहत अब जाना॥
तोहि देखि सीतलि भइ छाती।
पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती॥4॥
हे तात! कहना, अब मैं अपने प्राणोंको किस प्रकार रखूँ?क्योंकि तुम भी अब जाने को कह रहे हो॥तुमको देखकर मेरी छाती ठंढी हुई थीपरंतु अब तो फिर मेरे लिए वही दिन हैं और वही रातें हैं॥
आगे शनिवार को ...,

Affirmations:-
6.मैं खुला हुआ हूँ और बहुत कुछ पाने के लिए तैयार  हूँ...,
7.हमारे अंदर जो उत्तर हैं वो आसानी से मुझे पता चल जाते हैं ...,
8.मैं अतीत को आसानी से पीछे छोड़ देता हूँ और जीवन की प्रक्रिया पर विश्वास करता हूँ ...,
9.मैं अपना व्यक्ति होने के लिए स्वतंत्र हूँ ...,
10. मैं उसी प्रकार से संपूर्ण हूँ जैसा मैं हूँ...,

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड 🙏
दोहा – 26
हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है
पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥
अ

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 7 भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7 #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 7
भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7॥
हे सखा, सुनो मै ऐसा अधम नीच हूँ तिस पर भी रघुवीरने कृपा कर दी,तो आप तो सब प्रकारसे उत्तम हो-आप पर कृपा करे इस में क्या बड़ी बात है- ऐसे प्रभु श्री रामचन्द्रजी के गुणोंका स्मरण करनेसे दोनों के नेत्रोमें आंसू भर आये॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

भगवान् को भूलने पर, इंसान के जीवन में दुःख का आना
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी।
फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा।
पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
जो मनुष्य जानते बुझते ऐसे स्वामीको छोड़ बैठते है,वे दूखी क्यों न होंगे?
इस तरह रामचन्द्रजीके परम पवित्र व
कानोंको सुख देने वाले गुणसमूहोंको कहते कहते,हनुमानजी ने विश्राम पाया,उन्होने परम (अनिर्वचनीय) शांति प्राप्त की॥

विभीषण हनुमानजी को माता सीता के बारे में बताते है
पुनि सब कथा बिभीषन कही।
जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता।
देखी चहउँ जानकी माता॥
फिर विभीषण ने हनुमानजी से वह सब कथा कही कि –सीताजी जिस जगह, जिस तरह रहती थी।तब हनुमानजी ने विभीषण से कहा, हे भाई सुनो,मैं सीता माताको देखना चाहता हूँ॥

अशोकवन का प्रसंग-हनुमानजी अशोकवन जाते है
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई।
चलेउ पवनसुत बिदा कराई॥
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ।
बन असोक सीता रह जहवाँ॥
सो मुझे उपाय बताओ।हनुमानजी के यह वचन सुनकर विभीषण ने वहांकी सब युक्तियाँ (उपाय) कह सुनाई।तब हनुमानजी भी विभीषणसे विदा लेकर वहांसे चले॥फिर वैसा ही छोटासा स्वरुप धर कर,हनुमानजी वहां गए, जहां अशोकवन में सीताजी रहा करती थी॥

सीताजी का राम के गुणों का स्मरण करना
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा।
बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
कृस तनु सीस जटा एक बेनी।
जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥
हनुमानजी ने सीताजी का दर्शन करके,
उनको मनही मनमें प्रणाम किया और बैठे-इतने में एक प्रहर रात्रि बीत गयी॥
हनुमानजी सीताजी को देखते है,सो उनका शरीर तो बहुत दुबला हो रहा है।
सर पर लटो की एक वेणी बंधी हुई है और अपने मनमें श्री राम के गुणों का जाप (स्मरण) कर रही है॥

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 289 से 300 नाम 
289 सत्यधर्मपराक्रमःजिनके धर्म-ज्ञान और पराक्रमादि गुण सत्य है
290 भूतभव्यभवन्नाथः भूत, भव्य (भविष्य) और भवत (वर्तमान) प्राणियों के नाथ है
291 पवनः पवित्र करने वाले हैं
292 पावनः चलाने वाले हैं
293 अनलः प्राणों को आत्मभाव से ग्रहण करने वाले हैं
294 कामहा मोक्षकामी भक्तों और हिंसकों की कामनाओं को नष्ट करने वाले
295 कामकृत् सात्विक भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
296 कान्तः अत्यंत रूपवान हैं
297 कामः पुरुषार्थ की आकांक्षा वालों से कामना किये जाते हैं
298 कामप्रदः भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
299 प्रभुः प्रकर्ष
300 युगादिकृत् युगादि का आरम्भ करने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 7
भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 21 जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि। तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ॥21॥ रावण का साम्राज्य, भगवान् राम के #समाज

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🙏सुन्दरकांड 🙏

दोहा – 21
जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि।
तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ॥21॥
रावण का साम्राज्य, भगवान् राम के बल के थोड़े से अंश के बराबर
और हे रावण! सुन,जिसके बल के लवलेश अर्थात किन्चित्मात्र, थोडे से अंश से तूने तमाम चराचर जगत को जीता है,उस परमात्मा का मै दूत हूँ जिनकी प्यारी सीता को तू हर ले आया है ॥21॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

रावण का सहस्रबाहु और बालि से युद्ध
जानउँ मैं तुम्हारि प्रभुताई।
सहसबाहु सन परी लराई॥
समर बालि सन करि जसु पावा।
सुनि कपि बचन बिहसि बिहरावा॥
हे रावण! तुम्हारी प्रभुता तो मैंने तभी से जान ली है कि जब तुम्हे सहस्रबाहु के साथ युद्ध करनेका काम पड़ा था और मुझको यह बात भी याद है कि
तुमने बालि से लड़ कर जो यश प्राप्त किया था।
हनुमानजी के ये वचन सुनकर रावण ने हँसी में ही उड़ा दिए॥

हनुमानजी ने अशोकवन क्यों उजाड़ा?
खायउँ फल प्रभु लागी भूँखा।
कपि सुभाव तें तोरेउँ रूखा॥
सब कें देह परम प्रिय स्वामी।
मारहिं मोहि कुमारग गामी॥
तब फिर हनुमानजी ने कहा कि हे रावण!मुझको भूख लग गयी थी
इसलिए तो मैंने आपके बाग़ के फल खाए है औरजो वृक्षो को तोडा है सो तो केवल मैंने अपने वानर स्वाभावकी चपलतासे तोड़ डाले है और जो मैंने आपके राक्षसों को मारा उसका कारण तो यह है की हे रावण!अपना देह तो सबको बहुत प्यारा लगता है,सो वे खोटे रास्ते चलने वाले राक्षस मुझको मारने लगे॥

हनुमानजी ने राक्षसों को क्यों मारा?
जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे।
तेहि पर बाँधेउँ तनयँ तुम्हारे॥
मोहि न कछु बाँधे कइ लाजा।
कीन्ह चहउँ निज प्रभु कर काजा॥
तब मैंने अपने प्यारे शरीर की रक्षा करने के लिए जिन्होंने मुझको मारा था उनको मैंने भी मारा।इस पर आपके पुत्र ने मुझको बाँध लिया है,हनुमान जी कहते है कि मुझको बंध जाने से कुछ भी लज्जा नहीं आती क्योंकि मै अपने स्वामी का कार्य करना चाहता हूँ॥

हनुमानजी रावण को समझाते है
बिनती करउँ जोरि कर रावन।
सुनहु मान तजि मोर सिखावन॥
देखहु तुम्ह निज कुलहि बिचारी।
भ्रम तजि भजहु भगत भय हारी॥
हे रावण! मै हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना करता हूँ।सो अभिमान छोड़कर मेरी शिक्षा सुनो॥और अपने मन मे विचार करके तुम अपने आप खूब अच्छी तरह देख लो और सोचनेके बाद भ्रम छोड़कर भक्तजनों के भय मिटाने वाले प्रभुकी सेवा करो॥

ईश्वर से कभी बैर नहीं करना चाहिए
जाकें डर अति काल डेराई।
जो सुर असुर चराचर खाई॥
तासों बयरु कबहुँ नहिं कीजै।
मोरे कहें जानकी दीजै॥
हे रावण! जो देवता, दैत्य और सारे चराचर को खा जाता है,वह काल भी जिसके सामने अत्यंत भयभीत रहता है॥उस परमात्मा से कभी बैर नहीं करना चाहिये।इसलिए जो तू मेरा कहना माने तो सीताजी को रामचन्द्रजी को दे दो॥

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 824 से 835 नाम 
824 अश्वत्थः श्व अर्थात कल भी रहनेवाला नहीं है
825 चाणूरान्ध्रनिषूदनः चाणूर नामक अन्ध्र जाति के वीर को मारने वाले हैं
826 सहस्रार्चिः जिनकी सहस्र अर्चियाँ (किरणें) हैं
827 सप्तजिह्वः उनकी अग्निरूपी सात जिह्वाएँ हैं
828 सप्तैधाः जिनकी सात ऐधाएँ हैं अर्थात दीप्तियाँ हैं
829 सप्तवाहनः सात घोड़े(सूर्यरूप) जिनके वाहन हैं
830 अमूर्तिः जो मूर्तिहीन हैं
831 अनघः जिनमे अघ(दुःख) या पाप नहीं है
832 अचिन्त्यः सब प्रमाणों के अविषय हैं
833 भयकृत् भक्तों का भय काटने वाले हैं
834 भयनाशनः धर्म का पालन करने वालों का भय नष्ट करने वाले हैं
835 अणुः जो अत्यंत सूक्ष्म हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड 🙏

दोहा – 21
जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि।
तास दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ॥21॥
रावण का साम्राज्य, भगवान् राम के
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