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Rj medy ❤️ RadiO GirL❤️
ऐ जान-ए-जहां ये कोई तुम सा है कि तुम हो ये ख़्वाब है ख़ुशबू है कि झोंका है कि पल है ये धुंध है बादल है कि साया है कि तुम हो इस दीद की साअत में कई रंग हैं लर्ज़ां मैं हूं कि कोई और है दुनिया है कि तुम हो देखो ये किसी और की आंखें हैं कि मेरी देखूं ये किसी और का चेहरा है कि तुम हो ये उम्र-ए-गुरेज़ां कहीं ठहरे तो ये जानूं हर सांस में मुझ को यही लगता है कि तुम हो हर बज़्म में मौज़ू-ए-सुख़न दिल-ज़दगां का अब कौन है शीरीं है कि लैला है कि तुम हो इक दर्द का फैला हुआ सहरा है कि मैं हूं इक मौज में आया हुआ दरिया है कि तुम हो वो वक़्त न आए कि दिल-ए-ज़ार भी सोचे इस शहर में तन्हा कोई हम सा है कि तुम हो आबाद हम आशुफ़्ता-सरों से नहीं मक़्तल ये रस्म अभी शहर में ज़िंदा है कि तुम हो ऐ जान-ए-'फ़राज़' इतनी भी तौफ़ीक़ किसे थी हम को ग़म-ए-हस्ती भी गवारा है कि तुम हो ऐ जान-ए-जहां ये कोई तुम सा है कि तुम हो ये ख़्वाब है ख़ुशबू है कि झोंका है कि पल है ये धुंध है बादल है कि साया है कि तुम हो इस दीद की साअत
waqil ahmad raza
वो अभी दुनिया भुला के लौटा है..... अपनी मासूमियत को वो छुपा के लौटा है वो अभी दुनिया भुला के लौटा है उन दिनों यारी थी उसकी कई तस्वीरों से, आज तस्वीर वो सारी जला के लौटा है रोज़ मिलना था मुहब्बत की सदी मे उसका , आज बिछङा तो दिल अपना जला के लौटा है ©waqil ahmad raza बज़्म ए सुख़न
Harsh Shrivastava
यूँ ही नहीं हैं ये मिरा तर्ज़-ए-सुख़न* ✍️ जज्बातों का साया हैं ये तर्ज़-ए-सुख़न* ♥️ हर्फ - ए - बेवफ़ाई हैं ये तर्ज़-ए-सुख़न* ✍️ वफ़ा के कैद से रिहाई हैं तर्ज़-ए-सुख़न* ♥️ इश्क़ की गवाही हैं तर्ज़-ए-सुख़न* ✍️ दो दिलों की तन्हाई हैं तर्ज़-ए-सुख़न* ♥️ मिरे दिल का चैन हैं ये तर्ज़-ए-सुख़न* ✍️ तिरे बेचैनी का कारण हैं ये तर्ज़-ए-सुख़न* ♥️ (तर्ज़-ए-सुख़न - Style Of Poetry)
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
सुख़न(ख़ब्तुल)
Mahesh Kumar Bose
अपनी ही कहानी से ना हो जाये कही बेदखल इसलिए, हम कि अहल-ए-सुखन बस किरदार बदलते रहते है। #बेखुदअनुराग अपनी ही कहानी से #बेखुदअनुराग #बेदखल #कहानी #अहल-ए-सुख़न #किरदार
Shayar Priyankur Shukla
शुभी
शहर में मैं मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू हो गया, तवायफ के प्यार में जो धूँ हो गया. मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू- topic of conversation बनती ग़ज़ल से मतला. #yqbaba #dimri #love #pyar #mohabbat #gazal #मतला #matla
Mo k sh K an
वो अक्सर मसल देती है सुख़न मेरा जैसे कोई नासूर हो शायद उसे सुकून मिलता हो सुख़न मेरा अक्स पराया था