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Rajesh Arora
........... ©Rajesh Arora पेट्रोल हो रहा मंहगा #nojoto #nojotohindi #nojotoenglish #nojohindi #शायरी #Shayar #poem
gkp Chhatra Neta
Sudha Tripathi
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी ट्रेन दूसरे दूरवाले नए स्टेशन पे आने वाली थी पहली बार वो स्टेशन जाना हुआ बड़ी हिम्मत करके तैयार तो हो गई लेकिन आते समय अपने याददाश्त शक्ति के क्षमता अनुसार रास्ता भूल गई एक तो इतने सारे निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से सारे रास्ते को ब्लॉक किया हुआ था सब कुछ बंद होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था किस एरिया में हूँ केवल कुत्ते की भौंकने की डरावनी आवाज हर ओर से आ रही थी मोबाइल में नेट नहीं पेट्रोल देखा तो वह भी रिजर्व..... नाइट कर्फ्यू की वजह से एक इंसान कहीं नहीं अब पूँछू भी तो किससे परिस्थितियां कुछ ऐसी थी आगे जाँऊ या पीछे जाँऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं रुक कर हर पोस्टर पर एरिया का नाम ढूंढने का प्रयास करने लगी तभी पीछे से आवाज आई क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं मेरी स्थिति क्या थी वो मैं बता नहीं सकती बहुत हिम्मत करके पीछे देखा पूरी तरह से कवर केवल आँखे दिख रही थी दोनों स्थितियां चल रही थी एक ओर आशा की किरण तो दूसरी ओर........ मैंने कहा भाई साहब रेस कोर्स अभी कितनी दूर है यहां से उन्होंने कहा बेन बहुत आगे आ गए हो आप उन्होंने मुझे समझाया मुझे नहीं पता नाईट कर्फ्यू में वो कहां से आये मैं इतनी अधिक डरी हुई थी कि जल्दी जल्दी मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके बताए गए रास्ते से जब रेसकोर्स के आसपास आई तो मेरी जान में जान आई घर पहुंच कर आधे घंटे लगे होंगे मेरी धड़कनों को सामान्य होने में और उस दिन समझ में आया अंधेरा क्या होता है? सन्नाटा क्या होता हैं?कुत्तों का भौंकना कितना भयानक होता है? अनजान रास्ते पर अकेले इंसान का मिलना क्या होता है? रास्ता भूल जाना क्या होता है? और भी बहुत सारी बातें.... ©Sudha Tripathi मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह
RAKESH KUMAR. SINGH
keshav
Das Sumit Malhotra Sheetal
शीर्षक:- आजीविका की वस्तुओं में वृद्धि। जब भी आजीविका की वस्तुओं में वृद्धि जब होती, गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों को परेशानी होती। कभी रसोई गैस सिलेंडर के दाम सरकार बढ़ाती, कभी पेट्रोल और डीजल के दाम सरकार बढ़ाती। लोगों के लिए दो वक़्त की रोजीरोटी कमाना मुश्किल, किराने का सबसे ज़रूरी सामान भी खरीदना मुश्किल। आजीविका की वस्तुओं पर तो हम सभी निर्भर करते, आटा, दालें व खाद्य तेल पर तो हम सभी निर्भर करते। आजीविका की वस्तुओं के बिना जीना सबसे मुश्किल है, कभी प्याज़ तो कभी टमाटर भी महंगा सरकार करती है। सरकार देश का बजट नियत्रंण में करने का प्रयास करती, भरसक प्रयासों के बावजूद मंहगाई बढ़ती सदा ही जाती। ©Das Sumit Malhotra Sheetal शीर्षक:- आजीविका की वस्तुओं में वृद्धि। जब भी आजीविका की वस्तुओं में वृद्धि जब होती, गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों को परेशानी होती। कभी रस