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Rajiv Kumar

अच्छा निर्णय अनुभव से प्राप्त होता है लेकिन दुर्भाग्यवश, अनुभव का जन्म अक्सर खराब निर्णयों से होता है। - रीटा माए ब्राउन

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अच्छा निर्णय अनुभव से प्राप्त होता है लेकिन दुर्भाग्यवश, अनुभव का जन्म अक्सर खराब निर्णयों से होता है।

- रीटा माए ब्राउन अच्छा निर्णय अनुभव से प्राप्त होता है लेकिन दुर्भाग्यवश, अनुभव का जन्म अक्सर खराब निर्णयों से होता है।

- रीटा माए ब्राउन

Aacky Verma

चल कोई न तु मेरे नाल दगा कित्ता मैनु छड़ के ओरा नाल वफा कित्ता इस मोहब्बत विच नुकसान तो तेरा ही होया मैनु छड़ के तु मेरा ही नफा कित्ता www. #Wafa #Bewafa #mohabbat #punjabishayari #brokenbond #aackyshayari #dags

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SANGHARSH KE MOTI

आओ मिलकर याद करे , जन जन ह्रदय विजेता को , उस 'सुभाष' बलिदानी को, नेताओं के नेता को , था ,अलग ही "बोस" का ओरा , माने लोहा दुश्मन, भी गोरा , #subhashchandrabose #कविता #great #July #OneSeason #contentofmonth

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सुभाष चंद्र बोस


आओ मिलकर याद करे , जन जन ह्रदय विजेता को ,
उस 'सुभाष' बलिदानी को, नेताओं के नेता को ,
था ,अलग ही "बोस" का ओरा ,
माने लोहा दुश्मन, भी गोरा ,
घुमा रूस ,जर्मन , जापान ,
स्वतंत्र हो भारत , यही ध्येय प्रधान ,
'फॉरवर्ड ब्लॉग' का गठन किया ,
हिन्द फौज का संचलन किया ,
कहां ! खून के बदले आज़ादी दुंगा ,
कीमत लेष ना मेँ कम लुंगा ,
हैं ! रोष लहू में तो आजाओं ,
खाकर कसम ये दिखलाओं ,
अब दिल्ली सिंहासन दूर नहीं ,
सुनते ही लहू की नदी बही,
तन- मन समर्पण भारत को किया ,
जब तक जिया देश हित जिया ,
है , अमर 'सुभाष' सदा क्रांतिकारी विचारों में ,
समय-समय पर आती है ,विभूतियाँ अलग अलग किरदारों में

©SANGHARSH KE MOTI आओ मिलकर याद करे , जन जन ह्रदय विजेता को ,
उस 'सुभाष' बलिदानी को, नेताओं के नेता को ,
था ,अलग ही "बोस" का ओरा ,
माने लोहा दुश्मन, भी गोरा ,

Harshita Dawar

#cinemagraph #lifequotes #feelings #yqquotes #yqtales #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️ #jazzbaat चतुर कौन ज़िन्दगी। चट्टकारे लगाती हम पर।

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Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
चतुर कौन ज़िन्दगी।
चट्टकारे लगाती हम पर।
गोल गप्पे की तरह मुंह फूलाती।
फिर बच्चे की तरह खिलखती है।
ओस की बूंद की तरह चमकती।
धूप की तरह तपिंश दे जाती है।
ज़िन्दगी उफ़ ज़िन्दगी।
इतना भी ना स्वाद ले।
सारे मसाले भर मुठ्ठी में।
हम पर ही उड़ेल दे।
आंखो में मिर्च की जलन।
ज़ख़्मो में नमक ना बिखेंर दे।
कुछ चीनी सी मिठास बरकरार।
 मीठी वाणी से आवाज़ लगा।
कपूर की सुगंध से सकारात्मक।
ओरा प्रदान कर।।
गुलाबों की महक दिलो में दिमाग़ नहीं।
दिलों की धड़कन बढ़ा दे।
ज़िन्दगी उफ़ ये ज़िन्दगी।
सवालों का जवाबं दे।
ज़िन्दगी ए ज़िन्दगी।
खुश मिजाज़ रहा कर।
हमे भी साथ हंसाया कर।
ख़ुद भी मुस्कुराया कर। #cinemagraph #lifequotes #feelings #yqquotes #yqtales #yqhindi 
Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
चतुर कौन ज़िन्दगी।
चट्टकारे लगाती हम पर।

Harshita Dawar

#lifequote #words #feelings #yqbaba #yqdidi #yqquotes Written by Harshita ✍️✍️ #jazzbaat सम्भल लूं। सम्भलं लूं या परखं लूं। ओरा मेरा ना तेरी

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Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
सम्भल लूं।
सम्भलं लूं या परखं लूं।
ओरा मेरा ना तेरी ओर।
किस क़दर विश्वास करूं।
मुखौटें लगाएं जीते रहे।
परखु किसको जताऊं किसको।
तूं होते हुए भी कभी नहीं रहा।
खिलवाड़ करा दिखावा करता रहा।
चलती रही साथ देना था।
सिला मिला दिखावा तेरा।
ममता मेरी खिलवाड़ तेरा।
महज़ इतिफांक नहीं जाना तेरा।
मोरं की खाल में गिद्धों की तरह नोचा तुने।
मज़बूर होती थी मज़बूत बनाने लगी।
ज़िन्दगी की राह में कांटे।
बिछां में अकेले चलती रही।
अंधेरी रातों को जागताउदाहरण।
बन कर गुजरने की तरह जज़्बा रखती रही।
सम्भल लू या परखूं लूं।
ख़ुद को ख़ुद से पहचान लूं।
मां के हाथों की लकीरों में क़लम थाम ली।
अपने जीवन की कल्पना को सच्चाई बयान।
कर जीने की प्रबल इच्छा ज़ाहिर कर दी। #Lifequote #words #feelings #yqbaba #yqdidi #yqquotes
Written by Harshita ✍️✍️
#Jazzbaat
सम्भल लूं।
सम्भलं लूं या परखं लूं।
ओरा मेरा ना तेरी

AB

मृणाल चतुर्वेदी🐼 सुनो मृणाल, मृणाल माने कमल, कमल एक पुष्प, जो खिलता है पानी में, पानी में क्यूँ भला, पता है तुम्हें,!? क्यूँकि पानी का ना #alpanas

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Mri
Nal  मृणाल चतुर्वेदी🐼

सुनो मृणाल,

मृणाल माने कमल, कमल एक पुष्प, जो खिलता है पानी में, पानी में क्यूँ भला, पता है तुम्हें,!? क्यूँकि पानी का ना

atrisheartfeelings

#atrisheartfeelings #ananttripathi #Sundarkand #Sunderkand #yqbaba #yqdidi दोहा निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन। परम दुखी भा पवनसुत देख

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निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन।
परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन॥8॥

तरु पल्लव महँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई॥
तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा॥
बहु बिधि खल सीतहि समुझावा। साम दान भय भेद देखावा॥
कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी। मंदोदरी आदि सब रानी।।
तव अनुचरीं करउँ पन मोरा। एक बार बिलोकु मम ओरा॥
तृन धरि ओट कहति बैदेही। सुमिरि अवधपति परम सनेही॥
सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा। कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा॥
अस मन समुझु कहति जानकी। खल सुधि नहिं रघुबीर बान की॥
सठ सूनें हरि आनेहि मोही। अधम निलज्ज लाज नहिं तोही॥ #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand #yqbaba #yqdidi 

दोहा 
निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन।
परम दुखी भा पवनसुत देख

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 8 माता सीता का मन, श्री राम के चरणों में निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन। परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन ॥8॥ और अपन #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 8
माता सीता का मन, श्री राम के चरणों में
निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन।
परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन ॥8॥
और अपने पैरो में दृष्टि लगा रखी है- मन रामचन्द्रजी के चरणों में लीन हो रहा है-सीताजीकी यह दीन दशा(दुःख) देख कर,हनुमानजीको बड़ा दुःख हुआ॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

अशोक वाटिका में रावण और सीताजी का संवाद-रावण का अशोक वन में आना
तरु पल्लव महँ रहा लुकाई।
करइ बिचार करौं का भाई॥
तेहि अवसर रावनु तहँ आवा।
संग नारि बहु किएँ बनावा॥
हनुमानजी वृक्षों के पत्तो की ओटमें छिपे हुए,मन में विचार करने लगे कि
हे भाई अब मै क्या करू?इनका दुःख कैसे दूर करूँ?॥उसी समय बहुत सी स्त्रियोंको संग लिए रावण वहाँ आया।
जो स्त्रिया रावणके संग थी,वे बहुत प्रकार के गहनों से बनी ठनी थी॥

रावण सीताजी को भय दिखाता है
बहु बिधि खल सीतहि समुझावा।
साम दान भय भेद देखावा॥
कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी।
मंदोदरी आदि सब रानी॥
उस दुष्ट ने सीताजी को अनेक प्रकार से समझाया।साम, दाम, भय और भेद अनेक प्रकार से दिखाया॥रावणने सीता से कहा कि हे सुमुखी!जो तू एक बार भी मेरी तरफ देख ले तो हे सयानी, मंदोदरी आदि सब रानियो को॥

सीताजी तिनके का परदा बना लेती है
तव अनुचरीं करउँ पन मोरा।
एक बार बिलोकु मम ओरा॥
तृन धरि ओट कहति बैदेही।
सुमिरि अवधपति परम सनेही॥
(जो ये मेरी मंदोदरी आदी रानियाँ है, इन सबको)तेरी दासियाँ बना दूं, यह मेरा प्रण जान॥रावण का वचन सुन
बीचमें तृण रखकर (तिनके का आड़ – परदा रखकर),परम प्यारे रामचन्द्र जी का स्मरण करके,सीताजी ने रावण से कहा –

सीताजी रावण को श्रीराम के बाण की याद दिलाती है
सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा।
कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा॥
अस मन समुझु कहति जानकी।
खल सुधि नहिं रघुबीर बान की॥
हे रावण! सुन,खद्योत अर्थात जुगनू के प्रकाश से कमलिनी कदापी प्रफुल्लित नहीं होती।किंतु कमलिनी सूर्यके प्रकाश से ही प्रफुल्लित होती है।अर्थात तू खद्योत के (जुगनूके) समान है, और रामचन्द्रजी सूर्यके सामान है॥सीताजी ने अपने मन में ऐसे समझ कर, रावणसे कहा कि(जानकी जी फिर कहती है, तू अपने लिए भी ऐसा ही मन मे समझ ले)रे दुष्ट! रामचन्द्रजीके बाण को अभी भूल गया क्या?
वह रामचन्द्रजी का बाण याद नहीं है॥

सठ सूनें हरि आनेहि मोही।
अधम निलज्ज लाज नहिं तोही॥
अरे निर्लज्ज! अरे अधम!
रामचन्द्रजी के सूने तू मुझको ले आया।
तुझे शर्म नहीं आती॥

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विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 335 से 346 नाम 
335 पुरन्दरः देवशत्रुओं के पूरों (नगर)का ध्वंस करने वाले हैं
336 अशोकः शोकादि छः उर्मियों से रहित हैं
337 तारणः संसार सागर से तारने वाले हैं
338 तारः भय से तारने वाले हैं
339 शूरः पुरुषार्थ करने वाले हैं
340 शौरिः वासुदेव की संतान
341 जनेश्वरः जन अर्थात जीवों के इश्वर
342 अनुकूलः सबके आत्मारूप हैं
343 शतावर्तः जिनके धर्म रक्षा के लिए सैंकड़ों अवतार हुए हैं
344 पद्मी जिनके हाथ में पद्म है
345 पद्मनिभेक्षणः जिनके नेत्र पद्म समान हैं
346 पद्मनाभः हृदयरूप पद्म की नाभि के बीच में स्थित हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 8
माता सीता का मन, श्री राम के चरणों में
निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन।
परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन ॥8॥
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