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नवनीत ठाकुर
White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा? जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से, वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा? जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू, वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा? जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी, वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा? जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर, वो औरों को ख्वाब क्या देगा? ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों
#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash तू बारिशों में भी नहीं रुक सका कभी, क्या ख़ामोशी को आवाज़ देगा। तू देख न पाया किसी के आँसुओं को कभी, क्या किसी मुस्कान को सुकून देगा। कितनी दफ़ा टूट कर बिखरे हैं अरमान, ख़ुद तो संभल न सका, तू किसे क्या देगा। तू साया भी तो न बन सका किसी का ' नवनीत ', क्या और दिल को आराम देगा। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तू बारिशों में भी नहीं रुक सका कभी, क्या ख़ामोशी को आवाज़ देगा। तू देख न पाया किसी के आँसुओं को कभी, क्या किसी मुस्कान को सुक
#नवनीतठाकुर तू बारिशों में भी नहीं रुक सका कभी, क्या ख़ामोशी को आवाज़ देगा। तू देख न पाया किसी के आँसुओं को कभी, क्या किसी मुस्कान को सुक
read morePraveen Jain "पल्लव"
Unsplash पल्लव की डायरी जड़ो से काटकर शिक्षा कैसा ज्ञानी बना रही है उधेड़ रही परिवार समाज की बुनियाद आज रिश्तों की बाँट लगा रही है बढ़ रहे है चरित्रों में दोष वासनाओ में युवा डूबकी लगा रहे है लज्जा हया शर्म सब ताक पर है उच्च शिक्षा पाकर भी निखार उनके जीवन मे नही आ रहा है डिग्रियों के नाम पर भारत का स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #leafbook जड़ो से काटकर शिक्षा, कैसा ज्ञानी बना रही है
#leafbook जड़ो से काटकर शिक्षा, कैसा ज्ञानी बना रही है
read moreनवनीत ठाकुर
उम्र के सफ़र में ये पल अनमोल हैं, फिर भी हम फ़िक्र का भार बना रखा है। जिनसे मिली हो ख़ुशबू जीने की, उन लम्हों को ही बेकार बना रखा है। ख़ुदा की रहमत का शुक्र न किया, हर ख़्वाहिश को इंतज़ार बना रखा है। जो मिल रहा है, वो सब खास है, फिर भी किस्मत से तकरार बना रखा है। पलकों पे रखिए हर इक ख्वाब को, जिंदगी को क्यों बेज़ार बना रखा है? ©नवनीत ठाकुर हर ख्वाहिश को इंतजार बना रखा है
हर ख्वाहिश को इंतजार बना रखा है
read moreनवनीत ठाकुर
मौत आई तो सबने दिल से दुआ मांगी, जिंदगी में हर पल शिकवा बना रखा है। जिन ख्वाबों को हकीकत समझा था, उन्हें जागने के बाद फसाना बना रखा है। जिंदगी के सफर में मौत ही है एक सच, सच्चाई को ही डर का किस्सा बना रखा है। हर एक सांस को नियामत समझिए, हमने तो इसे भी उधार बना रखा है। ©नवनीत ठाकुर #किस्सा बना रखा है
#किस्सा बना रखा है
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