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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
Rupesh Pachauri
shudhanshu sharma
प्रेम प्रेम एक रसायन है क्योंकि यह यंत्र नहीं विलयन है, द्रष्टा और दृष्टि का। सौन्दर्य के दृश्य तभी द्रष्टा की दृष्टि में विलयित हो पाते हैं, और यही अवस्था प्रेम की अवस्था होती है। प्रेम और सौन्दर्य दोनो की उत्पत्ति और उद्दीपन की प्रक्रिया अन्तर से प्रारम्भ होती है। सौन्दर्य मनुष्य के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, और प्रेम उस सौन्दर्य में समाया रहता है। प्रेम में आसक्ति होती है। यदि आसक्ति न हो तो प्रेम प्रेम न रहकर केवल भक्ति हो जाती है। प्रेम मोह और भक्ति के बीच की अवस्था है। ©shudhanshu sharma प्रेम कि परिभाषा अपने शब्दों में प्रेम - प्यार (love) द्रष्टा - देखने वाला विलयित - विलय होना (dissolved ) उद्दीपन - प्रज्ज्वलित (catal
prashant Singh rajput
Call Drop मीनिंग इन हिंदी क्या है कॉल ड्रॉप जानिये हिंदी मे ? पूरा पढ़े नीचे दिए गए लिंक पर तुरंत क्लीक करें 👇👇👇👇👇👇👇 https://techadvicesps0
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
psychology cal ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust शिक्षा मनोविज्ञान VEDANT GURUKULAM EDUCATIONAL PSYCHOLOGICAL WORLD 1. मनोविज्ञान के जनक. = अरस्तू 2. मनोविज्ञान के जनक= विलियम जेम्स 3. प्रय
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
JALAJ KUMAR RATHOUR
प्लेसमेंट-एक सफल असफलता (पार्ट-16) चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से जड़े झुमके, अवनी और मेरे प्रति उद्दीपन को प्रकट कर रहे थे। तभी अवनी ने कहा, " कहाँ खो गए मिस्टर स्वप्निल, मैंने मन में बड़बडाते हुए कहा, "तुम्हारी आँखो में', अवनी ने शायद पढ लिया था मेरे मन को, वो मुस्करा कर बोली, " तो बताओ कैसी लग रही हूँ मैं, मैंने हँसते हुए कहा ,"कतई जहर" , वो हंसती रही कुछ मिनिटो तक फिर बोली, "तो मिस्टर स्वप्निल मेरे लिए रोज वगैरा नही लाये मैंने अवनी की इस फरमाईश को सुनकर ,उसका हाथ थाम ,उसे डायेरेक्टर ऑफ़िस के सामने वाले बाग में ले गया, जहाँ गुलाब के फूल खिले हुए थे। अवनी को उन फूलों का स्पर्श कराते हुए मैंने उसे छायावाद के कवि माखन लाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा की पंक्तियाँ" चाह नही, मैं सुरबाला के गहनो में गूंथा जाऊँ, चाह नही मैं विधप्यारी को लल चाऊँ.... हे वनमाली देना मुझे उस पथ पर फेंक,मातृ भूमि पर शीष चढ़ाने जिस पथ पर जावे वीर अनेक",अवनी मुझे देख रही थी और वो खामोश थी । खामोशी किसी भी चीज की अधिकता के पश्चात आती है और अधिकता तो संघर्ष से या संघर्ष के समय मिलती है, परंतु अवनी खुश थी। शायद उसे पुष्प की अभिलाषा समझ आ गयी थी, जिसके आगे उसकी अभिलाषा बहुत ही छोटी थी। जब हम किसी की ख्वाहिश के लिए अपनी ख्वाहिश को भुला देते है। उस दिन हम माँ और प्रकृति का एक हिस्सा बन जाते है। क्युकी देने की भावना ही तो माँ और प्रकृति है। थोडी देर बाद हम लोग कैंटीन पहुँच गये। आज कैंटीन में केक और लड़को की जेब दोनो कट रही थी। मगर फिर भी चारों तरफ खुशी का माहौल था। मगर अवनी इन सभी से अलग थी जो रुपयो के मामले मे बिल्कुल निष्पक्ष व्यवहार रखती थी। हमारी इसी बात पर तो झगड़े होते थे कि इस बार बिल मैं पेय करता हूँ पर अवनी अपना हिस्सा नही देने देती थी किसी को, शायद उसे लगता था कि किसी के बिल को चुकाने से हम उसके दिल के करीब हो जाते है, पर अवनी तो मेरे करीब पहले से ही थी, समोसा और पेस्टीज खाने के बाद हम चल दिये, लेक्चर लेने,पर अवनी ने कहा"स्वप्निल चल यार लंका होते हुए,अस्सी घाट चलते है, मैंने सिर हाँ में हिला दिया और हम निकल पड़े अस्सी घाट की ओर..... .... #जलज कुमार राठौर प्लेसमेंट-एक सफल असफलता पार्ट-16 चमकदार छोटे छोटे सितारों से सजी अवनी की गुलाबी ड्रेस, माथे पर छोटी सी गुलाबी बिंदी और कानो मे गुलाबी नख से
DR. SANJU TRIPATHI
तेरे ही प्यार के रंगों की ओढ़ के चुनरिया पिया मैं तो तेरे ही रंगों में रंग गई, कल तक थी तुझसे बिल्कुल अनजान, प्यार का बंधन करके तेरी हो गई। तेरे नाम की लगाई है माथे पर बिंदिया तेरे ही नाम की हाथों में मेहंदी रचाई है, लाल जोड़ा पहन के सजी हूँ आज मैं झिलमिल सितारों वाली चुनरी मंगाई है तेरी दुल्हन बनी हूँ माँग में भरकर तेरे नाम का सिंदूर सोलह श्रृँगार पूरे किये हैं बड़ी मन्नतों व दुआओं के बाद जिंदगी में यह वस्ल की चाहत की रात आई है। तेरा साथ पाकर तो जिंदगी का हर मुश्किल सफर भी हँसते हँसते कट जाएगा, तेरे प्यार की खुशियों की छाँव तले जिंदगी के सारे गम धीरे धीरे खिसक जाएंगे। नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय
Insprational Qoute
नित नित नयनो में स्वप्न जगाती कब हो मिलन का सवेरा, विरले ही मुझे बस रंग देता उफ़्फ़ ये रंगों सा इश्क़ तेरा, मेरे आहत व क्रंदन हृदयाघात को स्पर्श तेरा मनुहार करे, सिर्फ़ तेरे श्वाशो के स्पंदन से छट जाता फिर काला अँधेरा, मिलन की सरिता सर सर निर्झरिणी सी अनवरत बहती है, जैसे क्षितिज में अंतराल का मानो कोई लगा हो एक फेरा, चिंतित मन भार से पीड़ित अनायास ही सोच में पड़ जाता है, मेरे तिमिर को कर प्रकाशमान मिटा दो जीवन का तुम घनेरा, विस्तृत असीमित नभ में अनगिनत चहुँओर फैले जो तारे है, ऐसे ही अमिट अनन्त हो सातों जन्म का ये बंधन तेरा मेरा।। नमस्ते रचनाकारों 🙏🏼 जैसा कि आप सभी जानते है आदरणीया सुनीता जौहरी जी द्वारा kitab-e-zindagi मंच पर हर शुक्रवार, kitab-e-ras क्लास आयोजित किय