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Naveen Mahajan
"नफ़रतों का लंगर" नफ़रतों का लंगर, लगा के बैठे थे दीन वाली गोली, खा के बैठे थे कुछ आये और खा गये, सबकुछ पचा गये कुछ भांप सा गये, और साथ ले गये पके हुए अनाज से, बीज कर लिये भर-भर फसल तैयार है, मेरे-तेरे लिए आज अब अहसास है, चूज़ी हैं नफरतें हैं दीखतीं तभी, जब अपना रुख करें शान्ति पाठ कर लूं, इनको जमा करूं इल्ज़ाम हों ठण्डे, तो लंगर मैं फिर करूँ। #NaveenMahajan नफ़रतों का लंगर
बेइंतेहा दर्द
MANJEET SINGH THAKRAL
गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा दूधतलाई उज्जैन में लगातार उज्जैन सिख समाज द्वारा ज़रूरत मंद लोगो के लिए लंगर प्रसाद बनाने का सेवा कार्य जारी है
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
🌷ये मुफ़्त में लंगर लगाते हैं🌷 (कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) 🌷ये मुफ़्त में लंगर लगाते हैं🌷 सिख एक ऐसा कौम है, जो अपने कर्म से जाने जाते हैं, ख्याति पाना इनका शौक नहीं, बस अपना धर्म निभाते हैं। सना
MANJEET SINGH THAKRAL
*गरीब का मुँह गुरु की गोलक* *कोरोना महामारी* के कारण पैदा हुये संकट की इस घड़ी में *श्री गुरू नानक साहिब जी* के लंगर के सिद्धांत पर चलते हु
ख़ाकसार
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं चादर-वादर, तकिय
MANJEET SINGH THAKRAL
लंगर के पिज्जे तो तुम्हें दिख गये, दिसम्बर की ठंड तुम्हें दिखी नहीं। ढूंढने में लग गये तुम देशद्रोही, इन किसानों में रिटायर फौजी तुम्हें दिखे नहीं। इन्हीं के बेटे लड़ रहे हैं सरहद पर, इनके किये उपकार तुम्हें दिखे नहीं। तन-मन समर्पित है इनका इस मिट्टी को, भला क्यूँ ये किसान भाई तुम्हें दिखे नहीं। फ़ंडिंग किसने की ये तुम पूछते हो, लॉक डाउन में किये दान तुम्हें दिखे नहीं। भगत सिंह को भी टेररिस्ट कहा गया था कभी, इन सरकारों के झूठे बयान तुम्हें दिखे नही। मसाज करती कुछ मशीनें तो तुम्हें दिख गईं, पैरों के जख्म तुम्हें दिखे नहीं। लंगर के काजू-बादाम तो तुम्हें दिख गये, इन बुजुर्ग किसानों के बलिदान तुम्हें दिखे नहीं। आजाओ बचा लो पूँजीपत्तियो से देश को, ऐसा ना हो कि फ़िर कभी किसान दिखे नहीं। किसान एकता जिंदाबाद👍 #IndiaWithFarmers #KisanAndolan #Youth4Farmers #किसान_एकता_मोर्चा ©MANJEET SINGH THAKRAL लंगर के पिज्जे तो तुम्हें दिख गये, दिसम्बर की ठंड तुम्हें दिखी नहीं। ढूंढने में लग गये तुम देशद्रोही, इन किसानों में रिटायर फौजी तुम्हें दिख
Wakeupishere
SUNIL SAXENA SIWAN