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Stories related to उम्मीदें वर्सेस असलियत

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर "तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा, कितनी तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।" तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी

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"तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा,
कितनी  तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।"

तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी दिल दर्द से भर गया,
हर बार तुमसे जो उम्मीदें थीं, इस बार भी ख्वाबों की तरह बिखरा।

"तेरी कसमों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा,
कितनी  तुझसे उम्मीदें थीं,  वो सब झूठा निकला।"

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
"तेरी बातों पे विश्वास किया, फिर भी दिल टूटा,
कितनी  तुझसे उम्मीदें थीं, वो सब झूठा निकला।"

तुम्हारी बातों पर था यकीन, फिर भी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिल के गहरे कोने में जो दर्द छुपाए थे, वो कोई था, जो हर राज़ जानने वाला था। राहों में तन्हाई के साये थे, फिर भी उम्मीदें ज़िंद

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दिल के गहरे कोने में जो दर्द छुपाए थे,
वो कोई था, जो हर राज़ जानने वाला था।

राहों में तन्हाई के साये थे, फिर भी उम्मीदें ज़िंदा थीं,
 हमें यकीन था, कोई तो हमारा था।

ग़मों की धुंध में कभी उसने हंसी दी थी,
अब वही शख़्स, हमें छोड़कर जा रहा था।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
दिल के गहरे कोने में जो दर्द छुपाए थे,
वो कोई था, जो हर राज़ जानने वाला था।

राहों में तन्हाई के साये थे, फिर भी उम्मीदें ज़िंद

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख़्म गहरे हैं, फिर भी चेहरे पे शिकन नहीं, हमने खुद को समझा है, कोई ज़रूरत नहीं। दर्द छुपाकर जीते हैं, सुकून में रहते हैं, जिन

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ज़ख़्म गहरे हैं, फिर भी चेहरे पे शिकन नहीं,
हमने खुद को समझा है, कोई ज़रूरत नहीं।
दर्द छुपाकर जीते हैं, सुकून में रहते हैं,
जिनसे उम्मीदें थीं, उनसे कोई शिकायत नहीं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़ख़्म गहरे हैं, फिर भी चेहरे पे शिकन नहीं,
हमने खुद को समझा है, कोई ज़रूरत नहीं।
दर्द छुपाकर जीते हैं, सुकून में रहते हैं,
जिन

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं, जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।

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Unsplash दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं,
जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दिल की उम्मीदें सज़ा की तरह मिलीं,
जो कभी अपना था, वो हमारा न हो सका।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी, साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए। नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत, मगर इतना त

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White  गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी,
साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए।

नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत,
मगर इतना तो हुआ, कुछ चेहरे पहचानने गए।

इक हल्की सी लहर ने सारा दरिया हिला दिया,
वक्त की शिद्दत से कुछ अरमाँ तक उड़ने गए।

जो साथ थे कभी, अब दिलों में दूरियाँ बन गईं,
लेकिन उन दूरियों से कुछ रिश्ते नया रंग लेने गए।

अल्फाज़ वो जो कभी मुस्कान से बयाँ होते थे,
वो अब चुप्पियों में छुप कर रह जाने गए।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
  गुफ़्तगू थी जिनसे, अब खामोशियाँ हैं बाकी,
साथ जो चलते थे, वो कारवां ठिकाने गए।

नक़ाबों के पीछे छुपी थी जो असलियत,
मगर इतना त

नवनीत ठाकुर

"जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी, हम वहां से नई शुरुआत करते हैं। जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे, हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।

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"जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी,
हम वहां से नई शुरुआत करते हैं।
जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे,
हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।

©नवनीत ठाकुर "जहां से सब छोड़ देते हैं उम्मीदें सारी,
हम वहां से नई शुरुआत करते हैं।
जिस शाख से पत्ते भी झड़ जाएं सारे,
हम वहीं से उड़ान भरते हैं ।

varsha Mahananda

White  उम्मीदें अंधेरों में एक लौ की तरह जलती हैं,
हर कदम हर मुश्किल में साथ साथ चलती हैं।

©varsha Mahananda #उम्मीदें

वीrendra yadav

Nurul Shabd

#दिल #में #बसी उम्मीदें कभी खत्म नहीं होतीं Shayari

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Vinod Mishra

उम्मीदें, जिम्मेदारी, उम्मीदवारी

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