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Nikhat
'अरे भगाओ इस बालक को, होगा यह भारी उत्पाती जुलुम मिटाएंगे धरती से इसके साथी और संघाती यह उन सबका लीडर होगा नाम छपेगा अखबारों में बड़े-बड़े मिलने आएंगे लद-लदकर मोटर-कारों में' व्याख्या - कवि कहता है कि एक निम्नवर्गीय परिवार में जिस बच्चे ने जन्म लिया है वह बड़ा होकर निम्नवर्गीयो वर्गों का नेता होगा और अपने साथियों से मिलकर व्यवस्था परिवर्तन कर देगा। ये पंक्तियाँ कवि की मार्क्सवाद के प्रति आस्था को व्यक्त करती हैं। वह इस मार्क्सवादी विचार में विश्वास रखता है कि क्रांति होगी और निम्नवर्ग में क्रांति करने की शक्ति है। मात्र उसे सही नेतृत्व की जरूरत है। ©Nikhat #आधुनिक हिंदी कविता, कवि - नागार्जुन
Manoj Bhatt
(हिन्दी का उद्भव और विकास) हिंदी से मैं पढ़ा लिखा हिंदी की बात बताता हूं, हिंदी है मां मेरी में उसकी गाथा गाता हूं। संस्कृत है जननी उसकी उर्दू कि वो बहन बनी, पांचों को फिर गोद लिया ना जाने कितनों का रूप बनी। तुलसी का वो मानस है सुर-मीरा का गीत बनी, वीरों का वो रासो है जन-जन का संगीत बनी। अ अज्ञानी से शुरू हुई ज्ञ ज्ञानी बना कर छोड़ा है, ऐसी है वो मां हिंदी जिसने सबका दिल जोड़ा है। ऐसी हिंदी की गाथा कैसे तुम्हें बताऊं मैं, चंद शब्दों में कैद कर महिमा कैसे गाऊ में ।। (m.bhatt) ©Manoj Bhatt #हिंदी का विकास
Ek villain
आर्थिक विकास या सामाजिक विकास को ही पूर्ण विकास समझा जाता है मगर यह विकास का रूट अर्थ है वास्तव में मानसिक और आत्मिक विकास प्रत्येक मनुष्य के जीवन विकास से जुड़े हुए हैं दोनों के विकास के बिना जीवन की पूर्णता नहीं हो सकती इसलिए आत्मिक विकास को धर्म और आत्मिक ग्रंथ में सबसे अधिक महत्व दिया गया है आत्मिक विकास हो जाने के बाद अन्य सभी तरह के विकास की सार्थकता दिखाई देने लगती है इसलिए चरित्र निर्माण में आत्मिक विकास का होना आवश्यक माना गया है हमारे अंतर्मन में पवित्रता शहर छोड़ दे और भी नर्मदा का विस्तार आत्मिक विकास होना मारा जाता है इसी तरह क्षमता उदारता दया करुणा प्रेम सत्य और अहिंसा जैसे सद्गुणों का जब जीवन में समावेश हो जाता है तब आत्मिक विकास संभव लगने लगता है समस्त ब्रह्मांड में मानव ऐसी प्राणी है जो बुद्धि और विचार के साथ कार्य करने के लिए स्वतंत्र है सद्बुद्धि वाला व्यक्ति उपकार करता है और दुर्बुद्धि उपकार करता है उपकार के बाद जब हम उसी व्यक्ति के प्रति नतमस्तक होते हैं तब हमारी प्रतिज्ञा होती है यदि उपकार के बदले हृदय में कृतज्ञ की भावना ना उत्पन्न हो तो वह मानवीय संस्कारों के विरुद्ध मानी जाती है यह प्रतिज्ञा व्यक्ति को भीतर और बाहर दोनों स्तरों पर बड़ा बनाती है उपकार स्वीकृति मिलती है और कृतज्ञ से विकृति मिलती है अध्यात्मिक होते ही व्यक्ति इस सकल जगत के प्रति कृतज्ञ से भर जाता है वह अंदर और बाहर के से एक जैसा होता है उसके रोम रोम में कृतज्ञ रूपी अमृत रस टपकता दिखाई पड़ता है उसका प्रत्येक स्पंद कृतज्ञ के भाव से भूषित होता है वह प्रत्येक प्राणी में उसी परम आत्मदेव का दर्शन करता है जैसे अपने अंदर दिव्य शक्ति से ओतप्रोत ऐसे व्यक्ति यह सही अर्थ में साधक होता है इसी साधक से वास्तविक आत्मिक विकास संभव है ©Ek villain # आधुनिक विकास #Nature
अदनासा-
हे समस्त वृक्षों हे कानन हमें क्षमा कर दो, हम मानव तुम्हारे पतन का कारण बन चुके है, हम विकसित मानव चरम विकास में मग्न है अब हम सुंदर परिधान धारक है नग्न नही, अपितु चरम आधुनिक काल के अंतर्गत, हमें हमारे हर स्थान को सुविधा एवं सरलता में बदलना है, तुम्हारी दुविधा एवं पीड़ा से हमारा नाता नही है, हमारी चिंताएं अधिक है हमें स्वयं का अधिकार चाहिए, तुम्हें अधिकार नही है क्योंकि तुम बोल नही पाते, वैसे हमारी स्वयं की सुनवाई ही कम हो रही है, तो तुम्हारी सुनवाई भला कौन कैसे करे ? हमारा स्वयं से नाता न्युन एवं यंत्र से अधिक है, भला जीव जंतुओं की चिंता एवं चिंतन संभव कैसे हो ? हम विकसित विकासशील मानव पुनः क्षमा प्रार्थी है, माना की हम एकदा विद्यालय में पर्यावरण के विद्यार्थी भी थे, हम सुशिक्षित सुसभ्य केवल हृदय से सॉरी ही कह सकते है, हमें केवल और केवल सुविधाजनक विकास चाहिए, स्वयं के ह्रास हेतु अत: असुविधा हेतु खेद प्रकट करते है, हमने तुम्हारे पतन में स्वयं का उत्थान खोज लिया है। ©अदनासा- #हिंदी #कानन #वृक्षों #आधुनिक #विकास #उत्थान #पतन #Instagram #Facebook #अदनासा
Parasram Arora
मेरी प्राचीन कविताओं का काव्यसंग्रह .जंगलगी संदूक की छत तोड़ अपने अस्तित्व की की सुरक्षा हेतु मुझसे गुफ्तगू करना चाहता है .....परन्तु मैं तो व्यस्त रहा निरन्तर नए संदर्भो और छंदो की तलाश में .....नतीजतन पुरानी पड चुकी कविताये उपेक्षित. होकर चलन से बाहर हो गई .....अबजबकि सब कुछ बदल चूका आधुनिकता के परिवेश में ..और नई कविताये गर्भ से आनेके लिए छटपटा रही है ...लेकिन अमर्यादित भाषा की आवारगी .देख खुदकशी के लिए मन बना रही है ........वे नवजात आधुनिक कविताये ...... आधुनिक कविता की खुदकशी
دردِ عشق
मस्जिद के सामने उसका घरहै, उसके घर के सामने मस्जिद ! अब इस आशिक का किब्ला किस रूख होगा ? उसका सज्दा पहले कहां कबूल होगा ? या इन दोनों खुदा हो के बीच में , वो इश्कीयां होगा... या काफ़िर हो? #काफ़िर का #सज्दा #हिंदी #कविता
Vikas Mahto
विकास महतो #विकास_दुर्गा_महतो #vikas_durga_mahto #कविता #काव्य #हिंदी #साहित्य #प्रेम #love #poem