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Dev Rishi
ताज की महक तुम हो ये लिबास पहनी क्या तुम हो वो कौन थे समाज के चंद लोगों में शामिल मज़ाक हर जात का उड़ा रहे थे क्या तुम थे..? ©Dev Rishi #तुम थे
Babli BhatiBaisla
देख दिखावे दुनिया के हड़कंप मचाए रहते हैं सत्य सारथी अकेले ही शंखनाद बजाए रहते हैं घोर अंधेरे जी भर के घमासान मचाए रहते हैं हौसले हुनर के जलवों से चिराग जलाए रहते हैं खुद को बहुत तपाने वाले ही बुलंदियों पर चमकते हैं जो बीज बड़ी मेहनत से बोए सोने की तरह दमकते है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla सारथी Sethi Ji Rama Maheshwari 0 Neel Anshu writer Bhardwaj Only Budana
veena khandelwal
कान्हा प्रीत का रंग चढ़ा,संग चढ़ी है भंग। आंखें कान्हा ढूंढती,डालूं उन पर रंग। जन जन से मग पूछती, कहां छिपा चितचोर - पूछे रंग गुलाल भी,होली किसके संग।। वृंदावन कोई कहे ,जॅंह कदंब अरु मोर, बरसाना की राधिका,गये कृष्ण उस ओर। मधुबन में कोई कहे,दिखे कर रहे रास- बरसाने -नॅंदगांव तक, ढूंढ रही हर ठौर।। बरसाने की राधिका, कान्हा की जो प्रीत, रंगे बिहारी संग उन, यही है ब्रज की निति। यमुना तट बेनू अधर,गोपि ग्वाल के संग- नहीं हृदय तो चरण में,जगह मिले यह रीति।। अंतस प्रिय कान्हा बिना,होली किसके संग। मतवाली सी घूमती , मुट्ठी में भर रंग। संग किशन राधा दिखी,समझी तब मैं प्रीत- अब अखियन जल सींचती,जुगल जोड़ि के अंग।। वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal #Holi होली किसके संग
Bhupendra Rawat
Blue Moon किसके लिए रोई थी तुम रात भर किसके लिए अश्रु बहाए थे छोड़ कर चले गए जो वो अपने नही पराए थे ©Bhupendra Rawat #bluemoon किसके लिए रोई थी तुम रात भर किसके लिए अश्रु बहाए थे छोड़ कर चले गए जो वो अपने नही पराए थे
Salim Saha
एक शराबी की दास्तां, सोच रहा हूँ दारू छोड़ दूं, पर किसके सहारे छोडू ? सभी कमीने है साले पी जायंगे !! ©Salim Saha सर्वनाम# दारू छो#ड़ दो पर किसके सहारे छोड़ो#
Sangeeta Kalbhor
इक समा ऐसा भी था थे हम हमारे जैसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे ना तो मन में उमंग है ना ही दिल को भाता रंग है चल रही है जिंदगी मानो कोई कटी पतंग है हम है अब जैसे हम ना थे कभी ऐसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे रहा ना साथ साथी रहा ना कोई सारथी जिसे भी हम पुकारे निकलता है वो स्वार्थी भावनाओं का सौदा यहाँ हर कोई चाहता है पैसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #stilllife इक समा ऐसा भी था थे हम हमारे जैसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे ना तो मन में उमंग है ना ही दिल को भाता रंग है चल