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Stories related to हम दिवाने हो गये

tripathi

#Sad_Status तुम बिजी हो खुद की जद्दोजहद में हम की तुम्ही को सोचते है

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White तुम बिजी हो खुद की जद्दोजहद में
हम की तुम्ही को सोचते है

©tripathi #Sad_Status तुम बिजी हो खुद की जद्दोजहद में
हम की तुम्ही को सोचते है

dilkibaatwithamit

वो बुलाएँ तो क्या तमाशा हो हम न जाएँ तो क्या तमाशा हो ये किनारों से खेलने वाले डूब जाएँ तो क्या तमाशा हो बंदा-पर्वर जो हम पे गुज़री है

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White वो बुलाएँ तो क्या तमाशा हो 
हम न जाएँ तो क्या तमाशा हो 

ये किनारों से खेलने वाले 
डूब जाएँ तो क्या तमाशा हो 

बंदा-पर्वर जो हम पे गुज़री है 
हम बताएँ तो क्या तमाशा हो 

आज हम भी तिरी वफ़ाओं पर 
मुस्कुराएँ तो क्या तमाशा हो 

तेरी सूरत जो इत्तिफ़ाक़ से हम 
भूल जाएँ तो क्या तमाशा हो 

वक़्त की चंद साअ'तें 'साग़र' 
लौट आएँ तो क्या तमाशा हो

©dilkibaatwithamit वो बुलाएँ तो क्या तमाशा हो 
हम न जाएँ तो क्या तमाशा हो 

ये किनारों से खेलने वाले 
डूब जाएँ तो क्या तमाशा हो 

बंदा-पर्वर जो हम पे गुज़री है

Yunus golden

#Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये यूनुस गोल्डन

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White जो इक बार नज़र से उतर गये 
फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये 
यूनुस गोल्डन

©Yunus golden #Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये 
फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये 
यूनुस गोल्डन

- Arun Aarya

#HeartBreak #ले गये

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मेरे आँखों की रौशनी , मेरी चमक , मेरे उजाले ले गये !

 मेरी गाँव की मोहब्बत को आकर ,, शहर वाले ले गये..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #HeartBreak #ले गये

Praveen Jain "पल्लव"

#library अजायबघर जैसे घर हो गये

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Unsplash पल्लव की डायरी
प्यार के काबिल थे हम
घरौंदा अपना सजाना था
परवरिश देकर परिवारों को
संस्कारो और ममता का दायरा बढ़ाना था
मगर जमाने ने नारी को बरगला रखा है
खुद के बजूद की दुहाई देकर
शोषण का बाजार सजा रखा है
टूट रही है बुनियाद परिवारों की
सन्तति अमर्यादित हो रही है 
भोगवाद की भेंट चढ़ाकर
दायरे सब सिमट रहे है
माँ बहन बेटी सब कमाने निकल गये
अजायबघर जैसे घर हो गये 
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #library अजायबघर जैसे घर हो गये

Praveen Jain "पल्लव"

#GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है

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White पल्लव की डायरी
छाँव की पर्दादारी गयी
रिश्ते सब टूट गये
खिल ना सके
 इन पतझरो के बाद
कैद कही हवा पानी हो गये
ठूठ से हम बंजर खड़े है
खाद्यपानी नेता चर गये
अग्नि परीक्षा देते देते हम
ओवरेज की उम्र में चले गये
खता जो मैने समझी अब तक
साजिशों से ठगे गये है
बूँद तक की प्यास के लिये
कितने पहरे ईजाद किये गये है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है

चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो

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जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो, 
हमें अपेक्षा रहती है, हमसे किसी की उपेक्षा ना हो, 
हमने भी देखा है , ज़माने में लोगों को बदलते हुए, 
हमसे छोटा ही रहें, संसार में हमसे कोई बड़ा ना हो। 
(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी 
४/१/२०२५, ७:३० अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो

RUPESH Kr SINHA

#घट गये जीवन का एक वर्ष

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©RUPESH Kr SINHA #घट गये जीवन का एक वर्ष

shayariwaladoctor

उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय

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उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये
कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये
 बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह 
दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये

©shayariwaladoctor उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये
कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गय

Praveen Jain "पल्लव"

#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये

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पल्लव की डायरी
सुबह शाम रहती थी मेरे नाम
अरमान सब के मुझसे जुड़े थे
फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी
जोड़े रहते सबको एक सूत्र में
बस परिवारों की मुस्कराहट पर
हम फिदा रहते थे
 व्यस्त हो गये सब अपने मे अब
हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये
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