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DrLal Thadani
क्या खोजते रहते हो ? मेरा खुद का अस्तित्व क्या है बस शून्य एक बूंद जो मिल जाए एक स्वाति तो धन्य हो जाऊं जीवन सार्थक हो जाए डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे क्या सोचते रहते हो? #क्यासोचतेहो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi क्या सोचते रहते हो ? क्या खोजते रहत
@Devidkurre
एक वस्तु है अस्तित्व क्या है ? इनका वास्तव में हर एक आदम जात की कठपुतली शायद आज इस घिन चीज को सभी जानते हैं शायद नही भी लेकिन एक वस्तु हैं वो एक जीवित वस्तू आदम जात की एक कठपुतली सी तो नहीं? पर क्या करे अस्तिव शायद यही है सही 🤔🙁 डेविड एक वस्तु है अस्तित्व क्या है ? इनका वास्तव में हर एक आदम जात की कठपुतली शायद आज इस घिन चीज को सभी जानते हैं शायद नही भी
🇮🇳always_smile11_15
"अस्तित्व" (अनुशीर्षक पढ़े)....✍️🕊️🖤 ©🇮🇳always_smile11_15 मेरा अस्तित्व क्या है मैं क्या होते जा रही जहां था संभलना वहां गिरे जा रही बिखर रही हुं मैं या खुद को समेटे जा रही
jai shankar pandit
कौन हूँ मै कभी कभी अक़्सर ख़यालो में खो जाती हूँ ये ढूँढने निकल जाती हूँ एक से शून्य में हो जाती हूँ मेरा अस्तित्व क्या है सोचती हूँ की मै कौन हूँ ? क्यूँ आई हूँ ? इस जहां में किसके लिए ?? आई हूँ और कौन है ? यहाँ पर मेरा बस इसी उलझन में फँस कर रह जाती हूँ यूँ तो हर रिश्ते को बखूबी निभाया है हमने हमको कौन निभा रहा है बस ये ढूँढने लग जाती हूँ वैसे तो सभी अपने होते है "मगर कोई एक ख़ास जो अपना सा लगने लगता है जिसको देखते ही हृदय तो क्या अंतर्मन भी सजदा करने लगता है ©Shankar Bhardwaj Prajapati कौन हूँ मै कभी कभी अक़्सर ख़यालो में खो जाती हूँ ये ढूँढने निकल जाती हूँ एक से शून्य में हो जाती हूँ मेरा अस्तित्व क्या है
Kritika Kiran
अन्याय के विरुद्ध जो कलम स्वयं ईश्वर की ख़िलाफ़त करने की क्षमता रखती है... उसके साहस के आगे.. तुम.. तुम्हारे शब्द.. तुम्हारा क़द... तुम्हारा पूरा अस्तित्व... क्या है? (in caption) ©Kritika Kiran अन्याय के विरुद्ध जो कलम स्वयं ईश्वर की ख़िलाफ़त करने की क्षमता रखती है... उसके साहस के आगे.. तुम.. तुम्हारे शब्द.. तुम्हारा क़द...
Suyash
असफ़ल हो गया था एक महत्वपूर्ण इन्तेहाँ में मैं , किसे सुनाता अपने इस असफलता की दास्तां मैं ? कौन सुनता मेरी जीवन की ऐसी कहानियां ? क्यों सुनता कोई भी मेरी ऐसी बेकार सी बात ? क्या अच्छा किया था जो मैंने सुनेंगे मुझे सब लोग ? ये कौन सी उपलब्धि थी जो जानना चाहेंगें लोग ? ये समझ पाना बड़ी मुश्किल था अब क्या करूँ मैं ? यूँ रोता ही रहूँ या हमेशा के लिए हो जाऊँ चुप मैं ? आज कई सवालों पैदा हो रहे थे अब मन मे हमारे आज सोचने पे मजबूर हुआ था मैं आखिर कौन हूँ मैं ? दुनिया मे अस्तित्व क्या है मेरा शायद कुछ भी तो नहीं , सोचने पे विवश था मैं जीने की क्या वजह है अब मेरी ? मैं रहूं या ना रहूँ तो क्या फ़र्क पड़ेगा अब इस धरती पर ? अबतक खुद को भी ना जान पाया था आखिर कौन हूँ मैं ? इस प्रश्नों के हल ढूंढने के कई प्रयास करते रहता था मैं , जो बोल नहीं सकता था वो लिखने पे मजबूर अब था मैं , कोई ना था मेरी असफलता की ये दास्तां सुनने को वहाँ उन परिस्थितियों ने ही मुझे सब लिखना सीखा दिया था , अब ख़ुद से पूछता हूँ मैं रोज ये सवाल आख़िर कौन हूँ मैं!! ~एक असफ़ल छात्र Part 1 (एक असफ़ल छात्र) More part coming soon ... 🙂 [ एक असफ़ल छात्र ] असफ़ल हो गया था एक महत्वपूर्ण इन्तेहाँ में मैं , किसे सुनाता अपने इस
Dr Upama Singh
“स्त्री का अस्तित्व” अनुशीर्षक में समाज कहता है तेरा अस्तित्व क्या है स्त्री दुखों को दूर कर खुशियाँ बिखरती स्त्री सदियों से चली आ रही है बस एक यही परम्परा स्त्री को आज भी अ
lokesh keshri
जब अस्तित्व होता है तब तो उसकी अवहेलना करता रहता है आदमी जब अस्तित्व मिटने को होता है तब उसको खोजता रहता है आदमी जब अस्तित्व होता है