Find the Latest Status about ईश्वर से प्रेम from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos.
Ravi Shankar Kumar Akela
धार्मिक परिभाषा ईश्वर से प्रेम और उसकी पूजा करना बताता है पूरे दुनिया में धर्म और धार्मिक लोक कहते हैं कि कामवासना गलत है उससे आप परमात्मा के नियुक्त नहीं आ सकते इसीलिए वह स्वयं पर नियंत्रण करने पर जोर देते हैं ©Ravi Shankar Kumar Akela #paani धार्मिक परिभाषा ईश्वर से प्रेम और उसकी पूजा करना बताता है पूरे दुनिया में धर्म और धार्मिक लोक कहते हैं कि कामवासना गलत है उससे आप पर
Devesh Varshney
हवा को किसने देखा है, ना मैंने ना तुमने,जब पेड़ की पत्तियां हिलती हैं तो हवा महसूस होती है,जब पेड़ की छाया में शीतल पवन आपके शरीर को छूती है तब क्या सुखद अहसास होता है। प्यार भी इस हवा की तरह है जिसका अहसास बड़ा प्यारा है। प्यार किसी से भी हो सकता है जरूरी नहीं कि स्त्री पुरुष का ही प्यार होता है। पशु से प्रेम,प्रकृति से प्रेम,ईश्वर से प्रेम सब प्यार ही तो है। सबसे बड़ी बात खुद से प्रेम करोगे तो सभी से प्रेम करोगे। हवा को किसने देखा है, ना मैंने ना तुमने,जब पेड़ की पत्तियां हिलती हैं तो हवा महसूस होती है,जब पेड़ की छाया में शीतल पवन आपके शरीर को छूती है त
Er Avi
हर शाम मै समंदर किनारे बैठता कितना विशाल हृदय हैं समंदर का सोचता उसे अशंख्य सम्भावनाओं और आश्चर्यों से भरा हुआ पाता कश्ती डूबेगी या नही, कितनी दूर तलक ऊंची लहरे उठेगी या ज्वार भांटा उठेगी कही वो गोल गोल सुनामी तो नही घूमेगी जो कश्ती को नीचे बहुत नीचे ले जाती है जो कहते हैं समंदर का पानी खारा है वो पानी नही विरह विलाप के अश्रु है मुझे लगता है समुंदर एक बहुत सुंदर स्त्री रही होगी अकेली सुंदर स्त्री जिसने ईश्वर से प्रेम किया एक स्त्री जिसने अपना समर्पण प्रेम को किया होगा और उसे दण्ड में बहिषकृत किया गया प्रेम विलाप में वो इतना रोई की सारा देह अश्रुपूर्ण हो गया जिसका ह्रदय एक कुंवारी पवित्र माँ का ह्रदय सा होगा जो प्रेम क्षम्य कर्म साम्य समभाव से लबालब भरी होगी और ये लहरें उसकी खुली झुल्फ़े है जो हवाओं के झरोखों से लह लहा रही होती है वह अपनी लहरों को न दूर जाने से न ही वापस आने से रोकती है -Avi Soni #seaside हर शाम मै समंदर किनारे बैठता कितना विशाल हृदय हैं समंदर का सोचता उसे अशंख्य सम्भावनाओं और आश्चर्यों से भरा हुआ पाता कश्ती डूबेगी
Er Avi
Vandana
प्रेम में इतना मोह क्यों है इतना आकर्षण क्यों है इतनी सुंदरता क्यों है। प्रेम में इतना मोह क्यों है इतना आकर्षण क्यों है इतनी सुंदरता क्यों है। क्योंकि प्रेम हर तरफ फैला है प्रेम में रस है प्रेम से ही जीवन रसमय ह
Varsha Sharma
आस्तिकता व नास्तिकता के बीच, "तुम और मैं" तुम्हारा ये नास्तिक होना, कदापि गलत नहीं है... जानाँ ! जो इंसान जानना चाहता है इस संसार की हकीकत को, जो खुद से तलाशना चाहता है उस विधाता को,
Varsha Sharma
आस्तिकता व नास्तिकता के बीच, "तुम और मैं" तुम्हारा ये नास्तिक होना, कदापि गलत नहीं है... जानाँ ! जो इंसान जानना चाहता है इस संसार की हकीकत को, जो खुद से तलाशना चाहता है उस विधाता को,
अशेष_शून्य
उसे गर्व है कि इन सभी द्वंद के मध्य .... उसने प्रेम का चयन किया है , ईश्वर का चयन किया है ...!!-Anjali Rai ( Read in caption plz ) मिट्टी से कुम्हार का प्रेम महज़ प्रेम ही नहीं उसके जीवन का आधार है..!! परन्तु कुम्हार इस मूल से परिचित नहीं अगर तो... मिट्टी के बाह्य आवरण क
कवि राहुल पाल 🔵
प्रेम और प्यार में अंतर वैसे तो शाब्दिक अर्थ के हिसाब से "प्रेम" और "प्यार" शब्द में कोई अंतर नही है| लेकिन जिस सन्दर्भ में ये शब्द लोगोंं द्वारा प्रयोग किए गये हैं