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Parasram Arora
माना कि तुम सुरक्षित हो इस किनारे पर लेकिन जिस दिन अस्तित्व तुम्हे पुकारेगा. उस किनारे से तुम्हे उतरना पड़ेगा बींच सागर मे सारे सुरक्षा कवच तोड़ कर ©Parasram Arora सुरक्षा कवच
Anjana Gupta Astrologer
दुर्गा सप्तशती में स्पष्ट लिखा है , व्याप्तं तयैतत्सकलम ब्रह्मांडम मनुजेश्वर! महाकाल्या महाकाले महामारी स्वरूपया!! सैव काले महामारी सैव सृष्टिर्भवत्यजा, स्थितिम् करोति भूतानां सैवकाले सनातनी!! भवकाले नृणां सैव लक्ष्मीवर्द्धिप्रदा गृहे, सैवाभावे तथाअलक्ष्मीरविनाशायोपजायते!! अर्थात- महाप्रलय के समय महामारी का स्वरूप धारण करने वाली महाकाली ही इस समस्त ब्रह्मांड में व्याप्त है ! वे ही समय-समय पर महामारी होती है और वे ही स्वयं अजन्मा होती हुई भी सृष्टि के रूप में प्रकट होती है,वे सनातनी देवी ही समयानुसार सम्पूर्ण भूतों की रक्षा करती है ! इसलिए सभी सनातनियो से निवेदन है कि इस संकट की घड़ी में कल से नित्य " दैवीकवच" का पाठ करे और नित्य दैवी उपासना करें ,वैसे भी शक्ति उपासना का पर्व आ रहा है तो इस मौके का लाभ अवश्य ले!🙏🌹 अंजना ज्योतिषाचार्य दुर्गा कवच
meena mallavarapu
अंधियारी वह रात , सूझे न हाथ को हाथ मेरे मन में भी घना अंधेरा उस काली गहन रात का है भी या नहीं सवेरा! छोटा सा दिया जलाया था नही विश्वास, सह पाएगा तूफ़ान का आक्रोश! कहां वह घनघोर घटा वह चकाचौंध करने वाली बिजली कहां दिए की छोटी सी लौ! छोटी सी पर सशक्त आवाज़ ने कहा दृढ़ लहज़े में आंधी तूफ़ां,बिजली बौछार नहीं बिगाड़ सकते कुछ उस दिए का जो जलता है हृदय के अन्दर आस्था और आत्मविश्वास सका सुरक्षा कवच! सुरक्षा कवच......
Satish Kumar Meena
जब बहिन भाई को राखी पर, रेशम का धागा बांधती हैं। एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस ! उसी को तो वो जानती हैं ।। प्रेम का बंधन बडा निराला, भाई-बहन में मिलता है। इसमें न रज, तम का मेल हैं, सत्व प्रबल हो खिलता है।। जो रक्षा- सूत्र कलाई पर, रेशम का धागा होता है। भाई हृदय से माने तो उसे, कभी नहीं वो खोता है।। राखी पर हर बहिन भाई को, रक्षा का कवच मानती है।। एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस ! उसी को तो वो जानती हैं।। भाई -फर्ज वो भी हैं निभाते, जो मातृभूमि के प्रहरी हैं। तन से तो फौलादी है पर,, मन में पीड़ा गहरी है।। राखी के रंग अनेक हैं, पर अर्थ तो उनका एक है। जब बहिन मांगे रक्षा दान,, करता अर्पण, नेक हैं।। हिन्दुत्व ही नहीं,हर धर्म-जात ! राखी का ममत्व पहचानती है। एक वचन जो अनमोल रत्न,, बस ! उसी को तो वो जानती हैं।। रक्षाबंधन:बहिन का कवच
Rajesh rajak
वैक् सीन के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है, मैंने और मेरे परिवार ने भी लगवाई है, सुरक्षित रहना है तो वैक् सीन जरूर लगवा लें ©Rajesh rajak सुरक्षा कवच, वैक्सीन,,
गुमनाम शायर
क्यू घबराते हो तुम मै हूं ना साथ तेरे,माना की मुश्किल है डगर लेकिन तू रख हौसला,कैसी भी हो राह ये मां साथ हैं तेरी कैसी भी हों प्रस्थिति हर मोड़ पे,तेरी डाल बनूंगी मैं मां नही सिर्फ तेरी सुरक्षा कवच बनके हर मोड़ पे तेरे साथ रहूंगी,तू ना घबराना ना होना तू कभी उदास मैं हूं हर पल साथ तेरे,ना होना कभी भी तू हताश जब मां है तेरे साथ,तो हर मुश्किल हो जाएगी कुछ ही पलों में पार।। ©Shurbhi Sahu मां का कवच
Ek villain
हाल में भारतीय रेलवे ट्रेनों को आपस में टकराने से बचाने के लिए स्वदेशी सुरक्षा तकनीकी कवच का सफल परीक्षण किया इसके लिए दो ट्रेनों को आमने सामने चलाया गया दो ट्रेन एक दूसरे के करीब 380 मीटर की दूरी पर रुक गई कवच लगने की वजह से ट्रेनों में अपने ब्रेक लगाए दरअसल भारतीय रेल से सुरक्षा हमेशा में एक बड़ी चुनौती रही है अब कवच तकनीकी का प्रयोग कर भारतीय रेल एक नया रचना जा रही है यह तकनीकी 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही है ट्रेन को रोक देगी इसके प्रयोग से देश में आए दिन होने वाले ट्रेन हादसे के रोकथाम होगी जिससे रेलवे को नुकसान से राहत मिलेगी साथ ही लोगों की जान माल की सुरक्षा होगी कवच तकनीकी की जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए विकसित किया गया है और उस स्थिति में स्वचालित रूप से रोक देगी अभी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी रेल फाटक आने पर कवच तकनीकी खुद सीट बजाना शुरू कर देगी लोकपाल द्वारा लाल सिग्नल को नजरअंदाज किए जाने और सी ट्रेन जाएगी जिससे उस में टकराव की आशंका नहीं रहेगी स्वदेशी में निर्मित तकनीकी विदेशी सुरक्षा प्रणाली से बहुत सस्ती है कवच तकनीकी के संचालक 5000000 रुपए के प्रति किलोमीटर आएंगे जबकि विस्तार से इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर 2 करोड रुपए आएगा ©Ek villain #ट्रेनों को टकराने से रोकेगा कवच #Moon
Vivek Kumar Singh
इंद्र -"हे सूर्यपुत्र! तुम तो अतुलित बल के धाम हो, विनयशील हो, दानवीरता के ही दूजे नाम हो। मैं हूँ एक निर्धन याचक, एक एहसान चाहता हूँ, मैं तुमसे कवच और कुंडल का दान चाहता हूँ।" कर्ण - "समझ गया मैं, आप विप्र नहीं कोई और हैं, देवराज हैं, आप ही देवताओं के सिरमौर हैं। लेकिन मोह में पड़कर मेरा बल हरने आए हैं, हे देवेंद्र स्वपुत्र हेतु आप छल करने आए हैं। पर चलिए कवच और कुंडल मैं दान करता हूँ, हे देवेंद्र! आपकी याचना का मैं मान करता हूँ। पुत्र पर विश्वास नहीं जो मुझे निर्बल करते हैं, सुत समर्थ नहीं हैं तो, मुझे विकल करते हैं ।" इंद्र- " हूँ लज्जित, प्रतिक्षण मैं धरा में धँसा जाता हूँ, हे कर्ण! मैं इस समय पुत्रमोह में फँसा जाता हूँ। तेरी हानि की कुछ भरपाई होगी, ऐलान करता हूँ, मैं तुम्हें अपना एकघ्नी वज्र प्रदान करता हूँ। सिर्फ़ एक बार तुम इसका उपयोग कर सकते हो, चाहे कोई भी हो, तुम उसके प्राण हर सकते हो।।" कवच-कुंडल का दान #vks #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqmuzaffarpur #yqgudiya