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Satya Mitra Singh

डॉ आंबेडकर

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बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 128वीं जयंती पर  नमन। उनका व मेरा मानना है कि बिना बंधुत्वभाव (Fraternity) और समान भाव (Equality) के स्वतंत्रता (Liberty) का कोई मूल्य नहीं है। डॉ आंबेडकर

manoj solanki boddhy

# बाबासाहेब आंबेडकर #note #डॉ_बाबासाहेब_भीमराव_अंबेडकर

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बोद्धिसत्व  #डॉ_बाबासाहेब_भीमराव_अंबेडकर  जी के जीवन संघर्ष को कुछ प्रश्नों के रूप में प्रस्तुत करना चाहता हूं।

10 प्रश्न एवं उनके उत्तर आपके सामने रखूंगा,
कृपया जुड़े रहिएगा।
आपको भी अच्छा लगेगा पढ़िएगा जरूर 

प्रश्न 1. डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी का जन्म कब हुआ? 
किस स्थान पर हुआ?
वह अपने माता पिता की कौन सी संतान थे?
उनके दादा का नाम क्या था?
और उनके पिता का नाम क्या था?

उत्तर:- डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल1891 में महू छावनी, इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ। 
वह अपने माता पिता की चौदहवीं संतान थे, 
उनके दादा का नाम मालोजी सकपाल था 
एवं उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था।

प्रश्न 2:- बाबा साहेब की माता जी का नाम क्या था?
उत्तर:- भीमाबाई

प्रश्न 3:- मालोजी सतपाल की पुत्रियों के नाम क्या थे?
उत्तर:- तुलसी और मीराबाई 

प्रश्न 4:- बाबा साहेब का पैतृक गांव कौन सा था?
उत्तर:- अम्बाडवे, तहसील खेड़, जिला रत्नागिरी (महाराष्ट्र प्रदेश) 

प्रश्न 5:- बाबासाहेब की माता की मृत्यु (परिनिर्माण) कब हुआ? 
उत्तर:- बाबा साहेब की माता भीमाबाई की मृत्यु सन 1896 में हुई थी जब बाबासाहेब की उम्र 5 वर्ष की थी।

प्रश्न 6:- बाबा साहेब की दूसरी माता का नाम क्या था?
उत्तर:- जीजाबाई

प्रश्न 7:- सिद्धार्थ गौतम तथा बाबा साहेब की बचपन में क्या समानता है?
उत्तर:- सिद्धार्थ गौतम की माता महामाया की मृत्यु सिद्धार्थ के जन्म के पांचवें दिन तथा बाबासाहेब की माता भीमाबाई की मृत्यु भीमराव के जन्म के 5वे वर्ष में हुई।

दोनों का पालन पोषण दूसरी माता ने किया अर्थात सिद्धार्थ का पालन पोषण माता महाप्रजापति ने किया तथा बाबासाहेब का पालन पोषण माता जीजाबाई ने किया।

प्रश्न 8:- बाबासाहेब के पिता का क्या व्यवसाय था?
उत्तर:- सेना के सूबेदार के पद पर नौकरी करते थे

प्रश्न 9:- बाबा साहेब का दाखिला कहां कराया गया?
उत्तर:- दापोली के प्राइमरी स्कूल में,
जहां पर कक्षा 4 तक पेंडसे नाम के उनके गुरु जी थे।

प्रश्न 10:- सिद्धार्थ गौतम और बाबा साहेब के विवाह की उम्र में क्या समानता है?

उत्तर:- सिद्धार्थ गौतम और बाबा साहेब का विवाह 16 वर्ष की उम्र में हुआ था,
बाबा साहेब का विवाह 4 अप्रैल सन 1906 में 16 वर्ष की उम्र में हुआ।

जय भीम नमो बुद्धाय🌹🌹

#Note:- लिखने के दौरान या जानकारी के अभाव में 
यदि कोई गलती हो जाए 
तो कृपया अवश्य अवगत कराएं मैं उसे अपडेट कर दूंगा 🙏 # बाबासाहेब आंबेडकर

Lokesh Late

#राजगृह #डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर #nojotovideo

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माने रमाकांत

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर #poem

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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर
                                       
गुलामगिरीत पडला होता
माझा बहुजन समाज
सगळे काही सहन करीत
त्यांना वाली कोण नव्हतं
भरडला जात होता बहुजन समाज
पशुसारख जीवन जगत

14 एप्रिल 1891 ला भीमाईच्या पोटी
बहुजनांचा हिरा जन्मला
तो जगला नाही स्वतः साठी
तो जगला फक्त समाजासाठी

नव्हती समानता समाजात
माणसाला माणूस म्हणून
जगण्याचा नव्हता अधिकार
मनु व्यवस्थेने काढला होता
जगण्याचा अधिकार, मान सन्मान नव्हता

रायगडाच्या पायथ्याशी भिमराव कडाडला
मनुस्मृती दहन करूनी
मनु व्यवस्थेला हादरा दिला
समानता आणली समाजात
                = माने रमाकांत किसन डॉ बाबासाहेब आंबेडकर

jk

बाबा साहेब आंबेडकर

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अच्छा * दिखने * के लिए
मत जिओ
बल्कि *अच्छ * बनने के
लिए जिओ । बाबा साहेब आंबेडकर

SUREKHA THORAT

# बाबासाहेब आंबेडकर #JallianwalaBagh

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जिवंत  होतो  पण  वाचा  नव्हती 
विचार  होते  पण  अंधकाराने  गुरफटलेले 
तन  होत  स्वतःच 
मालकी  मात्र  दुसर्‍य साठी
 ना  हक्कासाठी लढायला बळ होत ना  कर्तुत्व गाजवायला  पंख होत 
मरमर  मरत  होतो  या देहाची  नको  तेवढी  निंदा  करत  होतो
प्रत्येक दिवशी  खरकटावर  जगत  होतो 
ना  मुक्त  होतो 
ना  तृप्त  होतो
निराशा  न् आयुष्य जनांवरासारखं  नाही  त्याच्या  पलीकडे जाऊन  म्हटले  तर  बत्तर  झालतं
ते  क्षण  आठवावे  तर 
काही  केल्या  जीव  तरमळलत  सुटतो...... 
 भावनाविना  जीवन  काय  असतं  याच  उदाहरण म्हणजे  उच  -नीच  
शूद्र  ब्राम्हण हे  भेद  
करणार्‍या ने  अन्याय  केला 
भोगणाऱ्या ने भोगला....... 
पण  एक  बदल  नाही  चक्र  पालटल  
दलितांना  अन्यायाविरुद्ध लढायला बळ मिळाल
मानेन  जगायला 
हक्कासाठी लढायला 
कर्तुत्व गाजवायला हा  सर्व  बदल  फक्त  अन्  फक्त शिक्षणाने  
अन  दलितांचे कैवारी युगपुरुष तो  महामानव   डॉ  बाबासाहेब आंबेडकरांनी यांच्या  
अथक परिश्रमानेच  शिक्षणाची  ज्योत   घरा घरांत  पोहोचली। 
जाती  भेद  हा  अन्याय आहे  गुन्हा आहे 
अंधरुढी  परंपरांचा  नाश झाला 
समानतेची  एकतेची  जाणीव झाली 
हक्काची  चाड  अन  लढण्याची  जिद्द अंगी आली
कुपरंपरा  सनातनी  विचारांचा  प्रभाव कमी झाला फक्त  दलितांचे कैवारी यांच्यामुळे।
आज  जे  काही  आहोत  ते सगळं त्यांच्या अथक प्रयत्नांमुळे।

©SUREKHA THORAT #  बाबासाहेब आंबेडकर 

#JallianwalaBagh

Lokesh Late

#डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर #राजगृह #story #nojotovideo

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©vrem_lecture

डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर #nojotophoto #Life_experience

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 डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर

Sunil Sunil

फोटो मेरी फोटो #શાયરી

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डॉ.अजय कुमार मिश्र

डॉ. भीमराव आंबेडकर #Drown #विचार

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*बाबा साहब डॉ.भीमराव आंबेडकर के जयन्ती पर उन्हें शत-शत नमन??*
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         प्रकृति का शास्वत नियम है परिवर्तन,लेकिन प्रकृति उस परिवर्तन को स्वयं एवं पुरुष के संयोग से कराती है,उसमें भी जो पुरुष अचेतन/जड़ प्रकृति को हृदयंगम कर सकल कल्याण के निमित्त परिवर्तन का ध्वजवाहक बनता है,उसे मानव समाज ईश्वर मानता है,क्योंकि वह व्यक्ति विशेष जड़ प्रकृति से आत्म चेतना का संयोग कर मानव कल्याण के निमित्त प्रकृति-जन्य कालातीत नियम-निर्देशों में परिवर्तन करता है।
        वह परिवर्तन सार्वभौमिक,एकाकी,समुदाय विशेष, समाज विशेष,क्षेत्र विशेष,वर्ण विशेष अथवा वशुधैवकुटुम्बकम के प्रति भी हितकारी एवं कल्याणकारी होता है;परन्तु वह परिवर्तन कालांतर तक ग्राह्य नही होता,अपितु वह परिवर्तन भी पुनः परिवर्तन रूपी कार्य के लिए कारण रूप बनता है;क्योंकि मानव अज्ञानता से ज्ञान के तरफ उन्मुख होता हुआ अपनी उत्कट इक्षाओं एवं आकांक्षाओं से सदैव सर्वोच्चता को शिरोधार्य करना चाहता है;जिसके निमित्त कभी वह भाग्य का सहारा लेता है,तो कभी सद्कर्मों का लेकिन जब मानव कर्महीन,ज्ञानहीन होकर परिवर्तन के आदर्श को अपना नायक मानकर सर्वस्व प्राप्ति की इक्षा से समाज पर अपने आधिपत्य को स्थापित करना चाहता है,तो पुनः प्रकृति किसी पुरुष विशेष को अपने संयोग से नायक बनाकर नवीन परिवर्तन का रेखांकन करने  को उद्वेलित होती है।
        बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी ने प्रकृति जन्य नियमों को सामाजिक कुरीतियों की संज्ञा देकर उन नियमोँ में परिवर्तन कर वर्ण विशेष और समुदाय विशेष में एक नव-चेतना का संचार किया;जिससे कि उत्कृष्ट समाज के समतुल्य समस्त मानव समाज उत्कृष्ट बन सके;लेकिन प्रतिकात्मक सम्बल लेकर नही अपितु ज्ञान-कर्म एवं विद्वेष-रहित सद्भावना को आत्मसात कर;परंतु आज जिस चिंतन से बाबा साहब ने सामाजिक कुरीतियों को समाप्त कर युग निर्माण के ध्वजवाहक बने आज उस ध्वज वाहक के आदर्शों को हम केवल प्रतीकात्मक अधिकार के रूप में स्वीकार करने एवं प्राप्त करने की आकांक्षाओं को प्रबल करने में समाज में पुनः नित नवीन कुरीतियों को जन्म देने एवं पुनः परिवर्तन के मार्ग को प्रशस्त करने को आतुर हैं।
      अतः आज के दिन आवश्यक है कि हम बाबा साहब के विचाओं ,सिद्धांतों एवं उनके आदर्शों को आत्मसात कर पुनः सामाजिक कुरीतियां उतपन्न न हो इसका संकल्प लें।
     *!!पुनः पुनः नमन!!*

     *डॉ.अजय कुमार मिश्र*
  (पूर्व-संयुक्त मंत्री-suacta)

©डॉ.अजय मिश्र डॉ. भीमराव आंबेडकर

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