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Dinesh Sharma Dinesh
Jeevan Rana
इस आधुनिक युग में मोबाइल ने बांध रखा है मुझे अपनी डोर से, चाह कर भी इससे छूट नही सकता अपनी ओर से। ऐसा लगता है मोबाइल ही जिंदगी बन गई हो हमारे गठजोड़ से, चाहें कितना भी एकांत हो और मोबाइल पास हो फिर नही फर्क पड़ता दुनिया के शोर से। ©Jeevan Rana #addiction इस आधुनिक युग में मोबाइल ने बांध रखा है मुझे अपनी डोर से, चाह कर भी इससे छूट नही सकता अपनी ओर से। ऐसा लगता है मोबाइल ही जिंदगी बन
DrLal Thadani
वो एक पागलपन का दौर था पागल मैं नहीं कोई और था सिर्फ गलतफहमियों का शोर था लकीर बढा़ने की बजाय मिटाने का होड़ था सच्चाई को नीचे गिराने पर जोर था झूठ, फरेब, गन्दगी का गठजोड़ था जहां कोई गाना संगीत विधा नहीं बस मिथ्या प्रशंसा मिल्खा दौड़ था डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिल से Participate in the #rapidfire and come up with a #434lovestory #yqdidi . #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba वो एक पागलपन
Shivangi
हम शब्दों के चित्रकार हैं, अक्षरों को जोड़-तोड़ कर नित-नए शब्द बनाते हैं, शब्दों के गठजोड़ करके नये किस्से-कहानियों की शक्ल में ढालते हैं, हम शब्दों के चित्रकार हैं, नित नई शक्लें बनाते हैं, शब्दों के मायाजाल से अजनबियों को भी अपना बनाते हैं, हम शब्दों के चित्रकार हैं, जिन्दगी के कोरे कैनवास को जज्बातों से सजाते हैं, शब्दों की सतरंगी दुनिया से रंगों को चुनकर इसे रंगीन बनाते हैं, हम शब्दों के चित्रकार हैं, हम असफलता में भी सफलता की राह दिखाते हैं, हम नाउम्मीद में भी उम्मीद की किरण दिखाते हैं।।।। हम शब्दों के चित्रकार हैं, अक्षरों को जोड़-तोड़ कर नित-नए शब्द बनाते हैं, शब्दों के गठजोड़ करके नये किस्से-कहानियों की शक्ल में ढालते हैं,
राजेश गुप्ता'बादल'
सियासी चोर please check my caption _______सियासी चोर______(१) चोर चोर चिल्ला रहे, चोरों के सरदार। जन मन में विष घोलते, बार बार मक्कार।।१ सबकी ढपली आपनी, सबके अपने र
प्रियदर्शन कुमार
क्या उपहार दूं ================== बापू ! तू बता, तुम्हारे जन्म-दिन पर मैं तुम्हें क्या उपहार दूं? घृणा दूं मॉब लिंचिंग दूं या फिर भ्रष
अभि "एक रहस्य"
कुछ भी कुछ भी कुछ भी करता है तू कुछ भी सोता नहीं रात को मानता नहीं बात को जिद्दपन की हद्द है छोड़ता नहीं ज़ज्बात को रात को
Abhishek Mishra
कुछ भी कुछ भी कुछ भी करता है तू कुछ भी सोता नहीं रात को मानता नहीं बात को जिद्दपन की हद्द है छोड़ता नहीं ज़ज्बात को रात को
Naresh Chandra
स्वदेशी अपनाये खालिस्तानियों और देशविरोधियों से भारत को बचाईये कृपया अनुशीर्षक मे जरूर पढ़े धन्यवाद 🙏🙏 ©Naresh Chandra *आज तक में चुप बैठा था क्योंकि किसान आंदोलन के पीछे की इस सच्चाई को बताता तो भी कौन मान सकता था...मेरे अपने ही कई मित्र साथी नहीं मानने को त
Divyanshu Pathak
‘या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्ये, नमस्तस्ये, नमस्तस्ये नमो नम: ॥’ हे दुर्गे! हे प्रकृते! तेरे तीनों गुण- सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण क्रमश: सुख, दु:ख और मोह स्वभाव वाले हैं ! प्रकाशक, प्रवर्तक एवं नियामक भी हैं। सत्वगुण का कार्य प्रकाश (प्रकट) करना, रजोगुण का कार्य प्रवर्तन करना तथा तमोगुण नियमन कर्ता है। तेरी शक्ति से ही शिव भिन्न-भिन्न रूप में विश्व बनता है। तेरे से बाहर विश्व में चेतन-अचेतन कुछ नहीं है। ( कैप्शन देख ही लें) क्रमशः-----01 (#या देवी सर्व भूतेषु ) हे दूर्गे ! हे शक्ति ! आजादी के समय देश ने कुछ सपने देखे थे। राष्ट्र का संचालन हमारे चिन्तन और संस्कृति के अनुकूल होगा। इसी के अनुरूप ज्ञान