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Himanshu Prajapati
हो गई हमसे गलती हम होश गवा बैठे, दो कदम पर था जहां हम चार कदम चल बैठे..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj हो गई हमसे गलती हम होश गवा बैठे, दो कदम पर था जहां हम चार कदम चल बैठे..!
sujeeta
Black सब कुछ गवा दिया जिसके पीछे अब देखते है कितना वफादार है वो ©sujeeta सब कुछ गवा दिया
Ankit Singh
“मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं।” ©Ankit Singh मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना इन्सान के लिए है जैसे ही कोई इन्सान खुशी और दर्द चाहता है वैसे ही अन्य जीव भी चाहते हैं #anima
Himanshu Prajapati
मैं होश तब गवा बैठा, जब वह मेरे पास आ बैठा, उनसे बोलने से पहले ही बड़बड़ाने लगा देखकर मेरा हालात वह मुस्कुरा बैठा..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj मैं होश तब गवा बैठा, जब वह मेरे पास आ बैठा, उनसे बोलने से पहले ही बड़बड़ाने लगा देखकर मेरा हालात वह मुस्कुरा बैठा..!
ओम नमः शिवाय
Sangeeta Kalbhor
मी काय म्हणते.. मी काय म्हणतेय तुला कळतेय कुठे तुझ्या ओसाड मनाला पालवी न फुटे जीव थांबला जीव रमला जीव शमला तू नाही रे , नाहीस ,नाहीस जीव जाणिला सहवासासाठी तुझ्या किती मी हरखायचे नानाविध प्रश्नांच्या उतरंडी मी उरकायचे काय मागितले तुला की तू जड झालास माझ्या शब्दांच्या सलोख्यालाही द्वाड झालास आता नकोय तू आणि तुझ्या प्रेमाचा ओलावा मी बरी आणि बरा रे माझ्या अंतरातला कालवा जमले तर जमव एवढे की मला विसरुन जा आला होतास शलाका बनून वारा बनून सरसरून जा.... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #retro मी काय म्हणतेय तुला कळतेय कुठे तुझ्या ओसाड मनाला पालवी न फुटे जीव थांबला जीव रमला जीव शमला तू नाही रे , नाहीस ,नाहीस जीव जाणिला सहव
Himanshu Prajapati
वह हर बात में अपने बातों से चमक लाती है, उसकी यही अदा मुझे बहुत भाती है, जब से देखा है उसका अंदाजे कारनामा हम होश गवा बैठे है, वह तो केक में भी नमक डालकर खाती है..! ©Himanshu Prajapati #longdrive वह हर बात में अपने बातों से चमक लाती है, उसकी यही अदा मुझे बहुत भाती है, जब से देखा है उसका अंदाजे कारनामा हम होश गवा बैठे है, व
Sangeeta Kalbhor
प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थरथरले काळीज दाटून नयनात अश्रूतून झुरझूरले काय चुकले माझे की मी माझेपण अर्पिले पाषाण ह्रदयी असणाऱ्याला शेंदुराने सजविले घाव बसता घावावर हाक तरी निघावी कशी निपचित पडून वेडे सत्त्व घेत असे वामकुक्षी ह्रदया तुझ्या कारणे मी काय काय सोसले शब्द आग ओकताना रे कुठले देऊ दाखले एक बरे जाहले मला वेडीला प्रेम रे घावले काळजाला काजळवणारे प्रेम मी रे जाणले..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #outofsight प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थर
वंदना ....
हमने रिश्ते को बिगड़ते हुए देखा ....... अपनों को अपनों से झगड़ते हुए देखा ........हमने घरों को उजड़ते हुए देखा हर इंसान को बदलते हुए देखा छल , कपट , खुदगर्जी ............... ...........……इन्हें अपनाते हुए देखा प्रेम , त्याग , इंसानियत को भुलाते हुए देखा ..............…........ पैसा , धर्म , जात ,रंग , भाषा , जमीन ..........…...........इसके लिए इंसान को जानवर होते हुए देखा सच में इंसान को ......................... इतनी नीचे गिरते हुए देखा ©वंदना .... हमारे पूर्वज जो बंदर थे ना ..धीरे-धीरे उनकी बुद्धि डेवलप होती गई ...आज उसका अंजाम हमारे सामने है ....कभी-कभी सवाल आता है . .और भी प्राणी थे
Satish Ghorela