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Bharat Bhushan pathak
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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल क्यों इतना मन मेरा दुखयारी होने लगता है । मान खुदा उन्हें ये दिल पुजारी होने लगता है ।। दूर दूर के नाते थे बंधन में जो बाँधें थे । उनकी खातिर दिल अब महतारी होने लगता है ।। रूठ नही जाएं हमसे हरपल चिंता है रहती । सोंच सोंच कर दिल मेरा भारी होने लगता है ।। झुक जाता था शीश हमारा देख सामने जिनको । रिश्तों का वो यारों व्यापारी होने लगता है ।। कितने और जन्म ले लूँ बोलों मैं उनकी खातिर । हर जीवन तो उनका ही आभारी होने लगता है ।। माँग भरा शृंगार कराया अपना हर सपना भूला । मगर प्रीत माँगता तो भिखारी होने लगता है ।। दो टूके भी खिला न सकता बाते करता ऊँची । आते द्वार भिखारी भण्ड़ारी होने लगता है ।। १८/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल क्यों इतना मन मेरा दुखयारी होने लगता है । मान खुदा उन्हें ये दिल पुजारी होने लगता है ।। दूर दूर के नाते थे बंधन में जो बाँधें थे ।
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल.... जो मुझमे थे सदा समाहित, वो संस्कार हमारे । लेकिन इस युग में है देखा , होते वारे न्यारे ।। अब कहाँ ज्ञान दादा-दादी से , पोता वो ले पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... ट्रेड ट्रेड में बदल गई है , देखो दुनिया सारी । अब तो सब ही माँग रहे हैं , पुस्तक हो व्यापारी ।। काल खण्ड़ की वो बातें अब , कौन यहाँ सुन पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल .... हानि-लाभ की बातें करते, देखो छोटे बच्चे । इसी आयु में हम आप कभी , थे तो दिल के सच्चे ।। लेकिन दुनिया बदल रही है , गौर न तू कर पाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में .... आज पुनः जीवित हो जाये , वो संस्कार हमारे । उठना सोना खाना पीना , वो व्यवहार हमारे ।। जिसे देख जीवन मेरा यह ,धन्य पुनः हो जाता । तख्ती दवात खड़िय़ो में कल ...। तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। २७/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सार छन्द :- तख्ती दवात खडिय़ो में कल, बचपन था मुस्काता । गावों के टेड़ी गलियों से, है अपना भी नाता ।। तख्ती दवात खडिय़ो में कल....
Dr.Vinay kumar Verma
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
बतंगड़ ही बनाना है,तो और कलह कर लो ,नही तो फिर आपस में ही *सुलह कर लो//१ * उधार की जीस्त में अब तक लुत्फ किसको मिला है ,के अब हासिले*उरूज़ को ही अंदाजे वजह कर लो//२ अगरचे जो मन में सुलगा रखी है चिंगारी*हसद की, गर दिल है*सियाह तो अपनी सफेद हर सुबह कर लो//३ अफसोस खुँ के रिश्ते भी हो चुके*तिजारती, इस तरह से नहीं तो उस तरह से कर लो//४*व्यापारी अक्सर ये पढ़कर *कत्ल_ओ _गारद की*तहरीरे,अ ब*हैबत में दम कहां है,जो सरेराह कर लो//६ "शमा"इंसानियत ने ऐसो को *इख्तियार कब दिया है, के जब जिसे चाहो, तुम भी *जिबह कर लो//७ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #GuzartiZindagi बतंगड़ ही बनाना है,तो और कलह कर लो,नही तो फिर आपस में ही *सुलह कर लो//१ *समझौता उधार की जीस्त में अब तक लुत्फ किसको मिला है,
Monika jayesh Shah
नवरात्रि की सभी भाईयों बहनों को शुभकामना हर दिन आपका शुभ हो.. माता के गरबे में आप सब झूमे नाचे गाएं.. मां की पूजा अर्चना करे..मां आपके हर दुख को हर ले.. सबको खुशी खुशी मां का प्रसाद मिले... 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 जय नवदुर्गा माता की जय–जयकार हो। शेरो वाली माता की जय –जयकार हो। भक्ति वाली माता की जय– जयकार हो। लक्ष्मी माता की जय –जयकार हो। सरस्वती माता की जय –जयकार हो। काली माता की जय जयकार हो। नवरात्री के नो दिन; नवरात्री नव माता का रूप नवरंग का नया संगम सबके लिए हैं..खुशियों का त्यौहार सब गरबे में मिलते मिलनसार! नो दिन नए कलर नया दिवस हर रंग में होता जगमग नवरात्र! नए नए घाघरे में झूलती नवरात्रन; मदमस्त झब्बे में जरकोटी लगाएं हर व्हाला बाल गुजराती और पुरूष.. झूमते नचाते नाचते बहिन बंधु! वात्सल्य भाव में झूमते हर गुजराती! म्यूजिक की ताल पर थिरकते लहराते हैं! माता के आंगन में जुगनू की तरह जगमगाते! माता का सदेव आर्शीवाद बना रहें! यही नवरात्रि महोत्सव की शुभकामना! Happy navratri ©Monika jayesh Shah #navratri नवरात्रि की सभी भाईयों बहनों को शुभकामना हर दिन आपका शुभ हो.. माता के गरबे में आप सब झूमे नाचे गाएं.. मां की पूजा अर्चना करे..मा
Neeraj Vats
आज शमशान में सीखा कि मर कर जलने में और जल कर मरने में बहुत फर्क है बंधु....... ©Neeraj Vats #good_night #goodvibes #Truth #Truth_of_Life #burningdeadbody #चिताकीआग #चिता #आग #शुभसंध्या आज शमशान में सीखा कि मर कर जलने में और
Anuj Ray
मेरे प्रिय जन आलसी बंधु सखा , नींद से उठ कर खड़े हो जाओ तुम, बोझ आलस तुम्हारी सहते सहते, अधमरी सी हो चुकी है ,जननी हमारी, धरती मां का, कम करो थोड़ा वजन। ©Anuj Ray # मेरे प्रिय जन आलसी बंधु सखा,