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saij salmani
कहां से आया, कहां है जाना भूल जाता हुं पुरानी वो गलियां अपना आश़ियाना भूल जाता हुं न बैठो यूं झुका के पलकें मेरे सामने तुम जांना निगाहें तुम पे पड़ती हैं तो ज़माना भूल जाता हुं मुश़लश़ल देखता रहता हुं तेरे रुख़शार पे रौनक़ खो जाता हुं कुछ ऐसे कि नजरें हटाना भूल जाता हुं ये गीत,ये गज़लें मुझे क्या ख़बर क्या हैं तुझे सुनकर मै दुनिया का हर तराना भूल जाता हुं ये पूंछा चांद से हमने बता कैसा है सनम मेरा वो बोला देखता हुं तो जगमगाना भूल जाता हुं तेरी बांहों मे सोने के मज़े अब क्या बताए ,, सैज ,, तेरी ज़ुलफों के साये मे हर मौसम सुहाना भूल जाता हुं ©saij salmani @ suman devi @ अdiति NIKHAT دل سے درد کا رشتہ Kishori (ᵔᴥᵔ) Ganesha•~•
@ suman devi @ अdiति NIKHAT دل سے درد کا رشتہ Kishori (ᵔᴥᵔ) Ganesha•~•
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जीवन को ही मौत के गले लगा ले अन्याय के डर से तोड़ दे आदमी को न्याय के दरबार से लिखी जाये पटकथा सौदे के लिये और फैलाया जाये मकड़जाल तारीखों के रूप में तोड़ दो भरम अब न्याय का मुँह यहाँ काला सच्चाई का होता है झूठे गवाह झूठे केसो से निर्वाह वकीलों और जजों का होता है जमानत और तारीखे बढ़ाने भर का बस यहाँ खेल होता है दम तोड़ती इंसानियत सुसाइड न्याय कर रहा है अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #justice अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है
#justice अंधा कानून बेकसूरों की जान निगल रहा है
read moreAnkitaishika
Har galiti ki saja hoti hai.. Phir galti kisiki bhi kyu n ho. ©Ankitaishika #justice
Ravi Gupta
“जो वकील अपने मुवक्किल की उम्मीदों को व्यापार समझे, वह न्याय की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है।” ©Ravi Gupta #justice
साँस लेती hui lash
White You must have understood what I am writing about rapist कुछ एक हादसों से पहले हमको ये लगता था की दरिन्दे आदमी के खाल में नहीं आते ✍️✍️ ©साँस लेती hui lash #rapist #girl #Rape #justice #Deep #duniya #matlabi #Bharosa #Nahi #Hona sad shayari
C2
इन दिनों कुछ शब्द है जो गूंज रहे है देश में असल में चुभ रहे है भविष्य के कानों में मॉब लिंचिंग से मौत और दंगे,अब हैरान नहीं करते खौंफ जगाते हैं बहुतों को अपने आज और कल के होने में कभी संभल तो कभी अजमेर, मणिपुर का तो अभी जिक्र भी नहीं आग की लपटें, चारों और धुआं ही धुआं और पथराव ये तस्वीरे हर रोज की खबर है, जिसे मैं देखना नहीं चाहता मैं भविष्य आज खड़ा हूं इस असीम शोर-नहीं-बवाल में शिमला कितना ठंडा है... फिर उसमें ऊबाल क्यों कुछ तो गलत है शायद सही सुझाव सोच से परे है क्या किसी को शांति पसंद नहीं जिस पर अमल हो क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं चाहता मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता वक्त रहते इसका अंत हो, समस्या का निदान हो ये सूरज की लालिमा का रंग सूरज से ही निकले तो अच्छा है धरती से सूरज को जाएगा तो सब कुछ जलना ही है मुझे तो कल में जीना है और ज्वलंत लपटें चुभ रही है मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं जानता।। -C2 . ©C2 #protest #peace #justice #harmony #poem
Shashi Goutam
Asfia Naaz
White chup chap sahte raho to aap ache ho. agar aap bol pade to bure ho. yahi dunya hai ©Asfia Naaz in in hindi
in in hindi
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