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Mehfil-e-Mohabbat
दर्द ने मीर तकी मीर बना रखा है मुझको इस इश्क़ ने कश्मीर बना रखा है ©राहुल रौशन ✍️♥️ लियाकत जाफरी ♥️✍️
Mehfil-e-Mohabbat
भरोसा एक ने तोड़ा है मेरा मगर दुनियाँ से नफ़रत हो गई है ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️❤️ लियाकत जाफरी ❤️✍️
Hasanand Chhatwani
खुद के लिए मांगने की भी, लियाकत कहा थी मुझमें, सबके लिए मांगने का हुनर भी, मेरे रहबर ने सिखाया हैं। ...... खुद के लिए मांगने की भी लियाकत कहा थी मुझमें, सबके लिए मांगने का हुनर भी मेरे रहबर ने सिखाया हैं। ......
Hasanand Chhatwani
खुद के लिए मांगने की भी,, लियाकत कहा थी मुझमें, सबके लिए मांगने का हुनर भी,, मेरे रहबर ने सिखाया हैं। ...... खुद के लिए मांगने की भी लियाकत कहा थी मुझमें, सबके लिए मांगने का हुनर भी मेरे रहबर ने सिखाया हैं। ......
Hasanand Chhatwani
🌹खुद के लिए माँगने की भी लियाकत कहां थी मुझमे, सबके लिए मांगने का हुनर भी मेरे रहबर ने सिखाया है। 🌹खुद के लिए माँगने की भी लियाकत कहां थी मुझमे, सबके लिए मांगने का हुनर भी मेरे रहबर ने सिखाया है।
Dr Vassundhara Rai
बड़ी गंदी बड़ी उलझी अब विरासत है तुम्हारी चिता पर गर्म हुई सियासत है बेटियां जल गयीं कोई फरक नहीं पड़ता है क्यों तुम्हारे भाषण में दिखती नहीं लियाकत है Dr Vassundhara Rai बड़ी गंदी बड़ी उलझी अब विरासत है तुम्हारी चिता पर गर्म हुई सियासत है बेटियां जल गयीं कोई फरक नहीं पड़ता है क्यों तुम्हारे भाषण में दिखती नह
Anamika Nautiyal
थपेड़ों से ज़िंदगी के आशुफ़्ता होना वाजिब था किससे खफ़ा रहूँ ,मैं ख़ुद अपनी किस्मत का कातिब था। __________________________ आश़ुफ्ता ही रखा जिम्मेदारियों के इल्म ने, लियाक़त जिंदगी ने सिखाई तो बहुत थी । ___________________________ आशु
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- झूठ की ही हुई अदालत है । रोज होती वहाँ सियासत है ।।१ बिक रहा आदमी टका में जो । सब अमीरों कि यह इनायत है ।।२ दीन ईमान अब वही देखे । हाथ जिनके न आज दौलत है ।।३ लुट गये जब वफ़ा कि खातिर हम । होश आया कि सब रवायत है ।।४ बात वह तो बड़े अदब करता । देख परिवार की लियाकत है।।५ चाहती प्यार में करूँ शादी । जानती हूँ नही शराफत है ।।६ भूल जाओ उन्हें प्रखर तुम भी । कह गये वह नही मुहब्बत है ।।७ ०६/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR झूठ की ही हुई अदालत है । रोज होती वहाँ सियासत है ।।१ बिक रहा आदमी टका में जो ।
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
मर्द रोए क्यू नही...? दरअसल मर्द और औरत दोनो ही जन्मजात,इक दूजे के पूरक रहे है, लेकिन मर्द के नाजुक दिल को धीरे धीरे रौंदा गया, के मर्द रोते नहीं,कहकर उनके अश्कों को बहने से रोका गया... मर्द को दर्द नहीं होता,कहकर बताया और बनाया गया ,सख्त और निष्ठुर ,बार बार उनके नाजुक दिल को सख्त किया गया,वो रोना चाहते है, कभी कभी,फूट फूट कर,पर बिलाखिर उन्हें मर्द बनना ही पङा ..... औरत की हस्ती और लियाकते पल पल रोंधी गई,के औरत ये नहीं करती,वो नही करती,कहकर दबा दी गई, उनकी,बेशुमार हसरते,लियाकते,और काबिलीयते ...??? औरत ये,वो नहीं कर सकती,कहकर मेहदूद कर दी गई उनकी हदें... बार बार उनके स्त्रीत्व कोरोंधा दबाया गया,मारा गया वो भी कभी कभी हँसना चाहती थी,खिल खिलाकर ठहाके मारकर, पर बिलाखिर उन्हें औरत बनना पङा.....?? तो इस मुआश्रे में औरत कभी खुलकर हंसी नही..? और मर्द कभी रोए नहीं..?,🙏🙏🙏🙏 Blog By✍️ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #mard मर्द क्यों रोए नही...? दरअसल मर्द और औरत दोनो ही जन्मजात,इक दूजे के पूरक रहे है, लेकिन मर्द के नाजुक दिल को धीरे धीरे कुचला गया,के मर