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Shyam thakur
White अगर आप के दुश्मन नही है तो समझ लीजिए कि आपको जहां पर बोलना था बहा भी आप चुप रहे हो 🤫🤫🥺🤫🤫 ©Shyam thakur #fathers_day जहां बोलना था बहा पर 👉
#fathers_day जहां बोलना था बहा पर 👉 #विचार
read moreDevesh Dixit
मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां
#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां #Love #sandiprohila
read moreAnjali Singhal
"हमने तो कब का दर्द को मरहम बना लिया! थोड़े आँसू बहा लिए रोज थोड़ा दिल जला लिया!!" #Shayari #AnjaliSinghal #EXPLORE nojoto
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा तो मिल रही है अब खता मैं क्या छुपा लेता ।।३ तुम्हारे आज जाने से यही अच्छा मुझे लगता । तुम्हारे बाद ही अपना गला मैं भी दबा लेता ।।३ ज़फा करके करोगे तुम सामना इस तरह मेरा । पता होता तो मैं पहले निगाहें ये घुमा लेता ।।४ बुलाकर आप महफ़िल में रखोगे इस तरह प्यासा । कसम से जहर ही मैं फिर लवों से इन लगा लेता ।।५ अदब से पेश आते तो उन्हें कहना नही पड़ता । प्रखर ये सिर चरण उनके स्वयं से फिर झुका लेता ।।६ प्रखर से तोड़कर रिश्ता सजा तुम डोलियां लोगे । यकीं होता तो मैं अपनी वहीं अर्थी सजा लेता ।।७ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा
ग़ज़ल :- उसे कैसे यहाँ अपनी बता दुल्हन बना लेता । लिखा तकदीर में था ये कि मैं आँसू बहा लेता ।।१ वफ़ा उनसे किया जबसे तभी मुश्किल हुई यारो । सजा #शायरी
read moreDevesh Dixit
मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां
#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां #Poetry #sandiprohila
read moreNiaz (Harf)
White मैं एक बंजर ज़मीन हु , उम्मीद ना कर , मोहब्बत ना कर, प्यार के बीज। मुझमें दफन ना कर। मैं एक बंजर ज़मीन हु । काटें भी नहीं उगते , मेरे दामन में। मैं प्यार के बीज लिए, भटकता रहा संसार में । किसी दोस्त की तलाश में। मैं एक बंजर ज़मीन हु , उम्मीद ना कर , मोहब्बत ना कर, कुदरत भी खफा है मुझसे। उठे थे कई हाथ दुआ में। फिर भी , सैलाब मेरे ही, हिस्से आते है। बहा ले गए वो, प्यार के बीज । मैं एक बंजर जमीन हूं मुझे मिटा दिया जाए। मुझे अब खत्म किया जाए।। मुझे अब खत्म किया जाए।। मैं एक बंजर जमीन हूं ©Niaz (Harf) *प्यार के बीज* मैं एक बंजर ज़मीन हु , उम्मीद ना कर , मोहब्बत ना कर, प्यार के बीज। मुझमें दफन ना कर। मैं एक बंजर ज़मीन
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White बड़ी खामोशी से देख रहा था समंदर में यारो एक हवा का झोका सब कुछ बहा कर ले गया मेरा न मोका मिला संभलने का मुझको में देखता रहा अपनी कश्ती को साहिल पर डूबते हुए गुमनाम शायर poet of saharanpur ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Free बड़ी खामोशी से देख रहा था समंदर में यारो एक हवा का झोका सब कुछ बहा कर ले गया मेरा न मोका मिला संभलने का मुझको में देखता रहा अपनी कश्त
Devesh Dixit
मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां
#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां #Poetry #sandiprohila
read moreDevesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
#जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह #Poetry #sandiprohila
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
#5LinePoetry बड़ी ही खूबसूरती के साथ कट रही थी जिंदगी यारो ये कैसी गम की हवा चली जो सब कुछ एक पल में बहा कर ले गई रह गया सिर्फ टूटे हुए मकानों के किस्से ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #5LinePoetry बड़ी ही खूबसूरती के साथ कट रही थी जिंदगी यारो ये कैसी गम की हवा चली जो सब कुछ एक पल में बहा कर ले गई रह गया सिर्फ टूटे
#5LinePoetry बड़ी ही खूबसूरती के साथ कट रही थी जिंदगी यारो ये कैसी गम की हवा चली जो सब कुछ एक पल में बहा कर ले गई रह गया सिर्फ टूटे #शायरी
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