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Md Jardees md jardees

मुहर्रम का आखारा का खेल #लव

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POET PRATAP CHAUHAN

# गली का मसीहा #poem

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Sabir Khan

मुहर्रम

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मैं दर्द हूँ, तकलीफ हूँ, हर जिस्म पे सवार हूँ। 
ज़ुल्म,ज़्यादती,ज़ख़्मों की कराह चीख़ पुकार हूँ। 
तारीख़ मेरी भी हर दौर में अज़ीमतरीन है,
अज़ीमतरीन में भीे अज़ीमुश्शान वाक्या-हुसैन है।
तड़प उठी थी रेत भीे तलवार के चाक से,
दरिया का सीना चिर गया मंज़रे-दर्दनाक से।
दहशत के शोले धूप में मिले घुले-घुले, 
हवा तो जैसे रुक गई नेज़ों की नोंक पे।
अर्श भी डरा-डरा, फर्श भीे सहम-सहम,
क़ायनात कैद थी, ज़ुल्मी विसात से।
ऐ हक़! तुम्हारा परचम फिर भी बुलंद था, 
नवाशा ऐ रसूल(सल्ल.) जो चाक-चौबंद था।
झुकते थे सर ख़ौफ़ की मुर्दा नमाज़ में, 
ज़िंदा कर गया नमाज़ को वो सर हुसैन का। 
मैंने भी हॅस कर कह गया- सुन ले,ऐ यजीद!
मैं आज जिस सीने में हूँ वो है सीना हुसैन का। 
माँगी दुआ मैंने- ऐ अल्लाह!ऐ मेरे रब,,,,
हर दौर में ज़िंदा रखना तू सीना हुसैन का। ।। मुहर्रम

Sabir Khan

मुहर्रम

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दर्द की दास्तान

कर्बला मुहर्रम

Narendra Sonkar

"मसीहा मरदूदे-हरम का" #जानकारी

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गज़ब बाज़ीगर है कलम का

मसीहा मरदूद-ए-हरम का

©Narendra Sonkar "मसीहा मरदूदे-हरम का"

Sabir Khan

मुहर्रम

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तारीख में दर्ज दुनिया के सबसे अजीमुश्शान 
मारका ऐ करबला के माह-मुहर्रम का दिली इस्तकबाल,,,

अल्लाह मारका ऐ करबला को याद करने से
 ज्यादा उस शहादत को दिलों में उतारने
 की तौफ़ीक़ अता फरमाए।
 

आमीन। मुहर्रम

Md Atabul Rahman 143

मुहर्रम का lathi ka Khel खरनाक खेल #erotica

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Ravi Bhushan Thakur

करीब उपरवाले के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने!
लहू जो बह गया कर्बला में,
उसके मकसद को समझो तो कोई बात बने!!

©Ravi Bhushan Thakur #मुहर्रम #Morning

Sudipta Mazumdar

मुहर्रम मुबारकबाद #nojotophoto

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 मुहर्रम मुबारकबाद

CK JOHNY

मसीहा

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उम्र भर इक मसीहा की इंतजार करते रहे 
जो आके हमारी दुख भरी जिंदगी बदल सके। 
आया था वो इनसान के वेश में  रब था जो
आम आदमी जान हम ही उसे पहचान न सके। 
दिल खोल के लुटा रहा था वो दौलते मुहब्बत 
कमनसीबी मेरी हम ही दिल खोल न सके। 
औंधे बर्तन में पड़ती कैसे रहमतों की बारिश
बावजूद उसके समझाने के सीधा कर न सके। 
सिर्फ इनसान को मय्यसर है खुदा हो जाना
लाहनत है उस पर जो इसका फ़ायदा उठा न सके। 

 मसीहा
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