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चिंतन चैतन्य
हे मेरे दुर्भाग्य के देश! तूने किया था जन समुदाय का अपमान अब चाहता है पाना सम्मान यह कैसे संभव है, याद कर तूने मानव अधिकारों की अवज्ञा की थी, ऊंच नीच का भेद पैदा कर देवों को भी किया था तिरष्कृत क्या हो गया सब विस्मृत #RABINDRANATHTAGORE #गीतांजलि
Mohan Sardarshahari
परतंत्र भारत को दी आवाज नये युग का किया आगाज गीतों की बना दी गीतांजलि नोबल के तमगे से भर दी झोली जन गण मन से देश की सीमा बनी शांतिनिकेतन सभ्यता बनी ज्योति गुरुदेव नाम सारे विश्व में जली तस्वीर दाढ़ी वाली भारतीय साहित्य की पयार्य तभी से हो चली।। ©Mohan Sardarshahari गीतों की गीतांजलि
Kamal bhansali
जीवन को न अवसाद दो न ही कोई उसे विषाद दो मनुज, धरा के तुम सिपाही गुरुदेव कहते सिर्फ प्रयास दो सिर्फ गीतों से गीतांजलि नहीं बनी आत्मा को पथ मिला तब श्रद्धांजलि बनी आज टैगोर होते तो, अफसोस के गीत लिखते भारत का भाग्य कहाँ है ? वो जरूर टटोलते देश को नेताओं ने, गलत पथ जो दिखलाया श्रद्धांजलि देने वालों ने, उनका सिर्फ नाम भुनाया ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali गीतांजलि को श्रद्धांजलि #RABINDRANATHTAGORE
स्मृति.... Monika
स्मृति की गीतांजलि गीत [4] अपने ही विचारों की श्रृंखला से है मुझे पता चला तुम ही परम सत्य हो जिसने मेरे ह्रदय में सुबुद्धि को जागृत किया, प्रेम के अश्रुधार से सकल कलख को बहा और अंतर्मन में प्रणय -पुष्प को खिला भाव की गंगा बहा, स्व ह्रदय में तव आलय बना दिया तुम मुझमें हो निहित यह कर्म से ही होगा विदित मनसा, वाचा, कर्मणा से न कभी होऊँ मैं च्युत मुक्ति का तुम द्वार हो,तुम अक्षर, तुम अच्युत | ©स्मृति.... Monika #स्मृति की गीतांजलि #गीत (4)
स्मृति.... Monika
स्मृति की गीतांजलि गीत [4] अपने ही विचारों की श्रृंखला से है मुझे पता चला तुम ही परम सत्य हो जिसने मेरे ह्रदय में सुबुद्धि को जागृत किया, प्रेम के अश्रुधार से सकल कलख को बहा और अंतर्मन में प्रणय -पुष्प को खिला भाव की गंगा बहा, स्व ह्रदय में तव आलय बना दिया तुम मुझमें हो निहित यह कर्म से ही होगा विदित मनसा, वाचा, कर्मणा से न कभी होऊँ मैं च्युत मुक्ति का तुम द्वार हो,तुम अक्षर, तुम अच्युत | ©स्मृति.... Monika #स्मृति की गीतांजलि #गीत (4)
स्मृति.... Monika
sapna kumari
पहला पेज रेत की समाधि ©sapna kumari बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री जी का उपन्यास