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Sneh Prem Chand
टेढ़ी मेढी सी ये रेखा एक दिन तो सीधी हो जानी है। ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है।। नहीं समझते गर हम ये सच्चाई, ये अपनी ही नादानी है।। ©Sneh Prem Chand टेढ़ी मेढी सी ये रेखा #Heartbeat
RituRaj Gupta
हाथों कि रेखाएं ही टेढ़ी मेढी हैं, वर्ना मोहब्बत तो सीधी सीधी की है !! ©RituRaj Gupta पेश है एक नई शायरी :: हाथों कि रेखाएं ही टेढ़ी मेढी हैं, वर्ना मोहब्बत तो सीधी सीधी की है !! © Ritu Raj Gupta #selflove #riturajgupta #poe
बे-फ़सील
सुख दुख से सजी, सच्चे झुठे रिस्तोँ से बँधी, कभी कठीन कठीन कभी सरल लगे, टेढी मेढी राहोँ सी चले, कभी अतरँगी कभी सतरँगी है, बस इसी का नाम जिन्दगी है...! सुख दुख से सजी, सच्चे झुठे रिस्तोँ से बँधी, कभी कठीन कठीन कभी सरल लगे, टेढी मेढी राहोँ सी चले, कभी अतरँगी कभी सतरँगी है, बस इसी का नाम
DrLal Thadani
हाथ पकड़ कर तुझे चलना सिखाया ऊबड़ खाबड़ रास्तों से तुझे बचाया ऊंची नीची टेढ़ी मेढी़ राह आए भी तो याद करना पापा को जो कभी नहीं घबराया #अल्फ़ाज़_दिलसे ♥️ पिता v/s पुत्र ♥️ #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ अपने मित्रों के साथ कोलाब करें। ♥️ कोलाब करने के बाद
Pinki Khandelwal
घुमक्कड़ मन... हर पल कुछ करने की कोशिश में रहती हूं, हर पल खुद में ही उलझी रहती हूं, खुद को समझने की कोशिश में दिन भर, खुद को परखती रहती हूं, हम दूसरों जैसा बनने की कोशिश में, खुद को कहीं भूल से जाते हैं, पर मेरा ध्यान खुद की पहचान बनाने में, खुद को दुनिया के सामने साबित करने की धुन में, दिन भर अनेकों उलझनों में उलझा रहता है, मन तो टेढ़ी मेढी चाल बदलता रहता है, कभी यहां तो कभी वहां जाने की कोशिश में, दिन भर खुद में उलझा रहता है, मन चंचल है थोड़ा घुमक्कड़ भी, हमें खुद को तैयार करना है, एक लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना है, तब जाकर हम अपनी पहचान बना सकते हैं, वरना घुमक्कड़ मन और घुमक्कड़ चाल, दिन भर हमें इधर उधर घुमाती रहेगी। ©Pinki Khandelwal घुमक्कड़ मन... हर पल कुछ करने की कोशिश में रहती हूं, हर पल खुद में ही उलझी रहती हूं, खुद को समझने की कोशिश में दिन भर, खुद को परखती रहती हू
subodh kumar
इश्क-ए-बनारस... कुछ दिन ही साथ गुजरी थी तेरे मैने तब खुद को पहचाना था हां इश्क हुआ था मुझको भी, बनारस मै भी तेरा दिवाना था। वो CHS का पहला दिन पूरा हुआ
Shashi Aswal
इंतजार... (Read in caption) ये कविता पहाड़ों की सच्चाई को उजागर करती हुई। जो कि कड़वा सच है। वो जो दरवाजे पर है बैठी जैसे जिंदगी हो उससे रूठी आँखें है सुनसान राहों को
Tarun Vij भारतीय
कितना आसान होता है ना एक बहन का बड़ा भाई होना, कोई चिंता परेशानी कुछ नहीं, या कुछ शायद, है ना? (रचना अनुशीर्षक मे पढें) कितना आसान होता है ना एक बहन का बड़ा भाई होना, कोई चिंता परेशानी कुछ नहीं, या शायद कुछ मुश्किल, है ना? मै छोटा था जब हमारे घर मे एक मेहमान
Tarun Vij भारतीय
कितना आसान होता है ना एक बहन का बड़ा भाई होना, कोई चिंता परेशानी कुछ नहीं, या शायद कुछ मुश्किल, है ना? (रचना अनुशीर्षक मे पढें) कितना आसान होता है ना एक बहन का बड़ा भाई होना, कोई चिंता परेशानी कुछ नहीं, या शायद कुछ मुश्किल, है ना? मै छोटा था जब हमारे घर मे एक मेहमान
Tarun Vij भारतीय
कितना आसान होता है ना एक बहन का बड़ा भाई होना, कोई चिंता परेशानी कुछ नहीं, या शायद कुछ मुश्किल, है ना? (रचना अनुशीर्षक मे पढें) कितना आसान होता है ना एक बहन का बड़ा भाई होना, कोई चिंता परेशानी कुछ नहीं, या शायद कुछ मुश्किल, है ना? मै छोटा था जब हमारे घर मे एक मेहमान