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AJAY NAYAK
Men walking on dark street हर इश्क की अपनी अपनी एक कहानी है किसी की पूरी है, तो किसी की अधूरी है किसी की उसके ख़्वाबों में रची बसी है तो किसी की धरातल पर रुक्मणि बन पूर्ण है –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Emotional #इश्क #Love हर इश्क की अपनी अपनी एक कहानी है किसी की पूरी है, तो किसी की अधूरी है किसी की उसके ख़्वाबों में रची बसी है तो किसी
theunnamedpoet99
पंछी को किस बात का डर? जो खुले गगन में उड़ता जाए। पंख फैला मंडराता जाए। धरातल की सीमा से पड़े, असीमित नभ में ओझल हो जाए। पंछी को किस बात का डर? ©theunnamedpoet99 पंछी को किस बात का डर? जो खुले गगन में उड़ता जाए। पंख फैला मंडराता जाए। धरातल की सीमा से पड़े, असीमित नभ में ओझल हो जाए। पंछी को किस बात का
अदनासा-
स्वयं के अस्तित्व हेतु अपितु धरातल ही चाहिए अतः संसार में समस्त अस्तित्व को स्वीकार कर लिया कर परंतु प्रत्येक प्रश्न का केवल एक उत्तर सरल है अंततः संसार में समस्त का अस्तित्व स्थायी संभव ही नही है। ©अदनासा- #हिंदी #अस्तित्व #स्थायी #संभव #नही #धरातल #अंततः #Instagram #Facebook #अदनासा प्रस्तुत चित्र एवं चित्र पर शब्दों का चित्रण या वैचारिक काव्
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Parul (kiran)Yadav
" वो हर उड़ान बहुत अच्छी है .....जहां पहुँचकर तुम अपने धरातल को न भूलो , अपने यथार्थ को याद रखो ..... वो उड़ान जब तुम्हे उचाईयों तक पहुँचा दे , तब तुम अपनो को न भूलो .. अपना हर फर्ज बख़ूबी निभाओ .. ©Parul Yadav #udaan #उड़ान #दिल #सच्चाई #धरातल #रिश्ते #पारुल_यादव #नोजोतोहिन्दी
Bulbul varshney
घर में आया एक छोटू सा मेहमान जो है मासूम के साथ साथ बड़ा शैतान रात भर करेगा अपने मम्मी पापा को परेशान पर क्या करें एक यही तो है अपने मम्मी पापा की नन्ही सी जान। ©Bulbul varshney #मेहमान घर में आया एक छोटू सा मेहमान।
#suman singh rajpoot
नाम रहा हवाओं में धरातल पर कुछ नहीं था। ना आगोश में थे ना होश में थे! ©#suman singh rajpoot #chaandsifarish नाम रहा हवाओं में धरातल पर कुछ नहीं था। ना आगोश में थे ना होश में थे!
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी भटकना ही मकसद जिंदगी का हो गया है गांवों में सीमित संसाधन,गुजारा मुश्किल हो गया है झिल मिलाते शहर,आकर्षित बहुत करते है पनाह तो सबको देते है,उम्मीद भी भरते है मगर गुजारे के लिये, वेतन भी कम पड़ते है रीढ़ की हड़्डी ये से ही टूटी जा रही है डिप्रेशन की शिकार जिंदगी होती जा रही है रोटी कपड़ा मकान की कीमत बढ़ाकर जिंदगियाँ यहाँ तबाह की जा रही हैं गैर गुजरी है अब तक नीतियाँ सरकारो की गुमराह कर के,गुमनामी में धकेला जा रहा है अखर रहा है सबको,सौतेलापन इनका धरातल पर किसी को टिकने नही दिया जारहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Connections धरातल पर किसी को टिकने नही दिया जा रहा है #nojotohindi