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Chandan singh jat

नदिया किनारे वाली...... #Shayari

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वो लड़की नदियाॅ किनारे रहने वाली ,
नदी जैसा उसका प्रवाह ,
जिस तरफ चलती हवा ,उस दिशा चलता उसका प्रवाह ,
कोई नही नाप सका उसके मन की गहराई ,
कोई नही भाँप सका उसकी चलने की दिशा ,
ना ही उसकी सोचने की  चाल ,
कब बढ जाये उसका प्रवाह तो कब शान्त हो जाये उसका प्रवाह ,
मन करता है कभी बेठूं नदी किनारे उसके साथ और करू अपने दिल की बात और  पुछूं उसका हालचाल,
वो लड़की नदियाॅ किनारे बसने वाली ,
नदी जैसा उसका प्रवाह ||

©Chandan singh jat नदिया किनारे वाली......

Aditya Raj

चांद सितारे,नदिया ये किनारे... #Love

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sonia

# मैं नदिया

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मै नदिया
 मैं बहती जाती 
मुहाने पर नव मिट्टी हरिदूब 
सुंदर सुर्ख लाल फूल 
नम धरती में पलता जीवन
 मैं देती जाती
 मैं नदिया मैं बहती जाती
 विश्व की प्रत्येक समर्पण भाव से परिपूर्ण नारी को  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सूर्य प्रभा का सलाम # मैं नदिया

Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""

राधे तुमसे मिलने मैं आऊं......!

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कैसे कैसे रास रचाऊं,
राधे तुमसे मिलने मैं आऊं,
क्या क्या मैं भेष बनाऊं,
राधे तुमसे मिलने मैं आऊं,
कोई कहे मदारी आया,
कोई कहे चूड़ी वाला,
कोई कहे ब्राम्हण आया,
कोई कहे ग्वाला,
कैसे कैसे स्वांग रचाऊं,
राधे तुमसे मिलने मैं आऊं, राधे तुमसे मिलने मैं आऊं......!

URMILA CHOUDHARY

# किनारे सी मैं..

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मुझे खुद जैसा बनाकर वो समझदार बन गया..
किनारे पर ठहरा कर मुझे, खुद बहता चला गया. # किनारे सी मैं..

Ashutosh Singh Rana

मां मैं कल घर आऊं क्या? #कविता

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मां मैं कल घर आऊं क्या?
 तेरे हाथों का खाना मां मुझको याद बोहोत अब आता है ,
आंखो में मेरे बिन तेरे अब अंधियारा सा छाता है ,
तेरा हाथ तो सर पे है मां फिर भी दूरी अपनी मिलों की
 बातें तो हो ही जाती है पर खुशबू नहीं वो झीलों सी। 

बहुत नहीं कुछ चाहिए बस इस नींद का तू कुछ कर दे मां,
 अपनी गोदी का कुछ जादू इस तकिये में भी भर दे मां,
 आंखों में मेरे नींद भरी शायद ख्वाबों के नीचे है,
 तेरी भाजी रोटी की खुशबू अब भी जैसे मुझे खीचे,

 है आया हूं तुझसे दूर सही पर दूर नहीं हूं तुझसे मां
 बस किसी तरह ये कुछ दिन अपने जीवन के तू भर ले मां 
तेरी खामोशी ही कहती सब तू भले ही कुछ ना कहती 
मां मैं तो फिर भी रो लेता हूं तू अंदर ही अंदर सेहती मां

 लेखक: आशुतोष सिंह राणा मां मैं कल घर आऊं क्या?

Nisha Pandey

वो यमुना किनारे हैं मैं संगम किनारे हूँ।

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तुम यमुना बन के आ जाओ
मैं गंगा बन के मिल जाऊ। वो यमुना किनारे हैं
मैं संगम किनारे हूँ।

dilip khan anpadh

#मैं जो आऊं नित नवीन बन #rain #संगीत

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Mohitkumar

कभी मैं याद आऊं तो चले आना #संगीत

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रविन्द्र 'गुल' ek shayar

ये सवाल ही नहीं मैं लौट आऊं... #शायरी

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