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Divyanshu Pathak
लड्डू ले लेते पेड़ा ले ले ते काई उठ बैठे और ले लेते .... अपनी 'जीजी' को दान कर देते हे हे बृज अपनी कुंजगलियों और प्यारी प्यारी 'गालियों' के लिए प्रसिद्ध है... गलियों का प्रचलन फाल्गुन माह से शुरू हो लगभग अंतिम विवाह मुहूर्त तक चलत
अलक
हम जिन्दा हैं हमारा नाम है पर मर गयें तो हमारा काम है मैं याद किया जाऊंगा तब भी गर मैने पाप किया है पर गालियों के साथ और याद किया जाऊंगा तब भी गर मैनें भला किया है पर आँसुओ के साथ फर्क होता है दोस्त इस जमाने में कोई याद नहीं आता और किसी को जीवन बीत जाता है भुलाने में ।। ईश्वर आपकी आत्मा को शाँति दें आप सदैव याद किये जायेंगे जब तक सासें रहेंगी ।। हम जिन्दा हैं हमारा नाम है पर मर गयें तो हमारा काम है मैं याद किया जाऊंगा तब भी गर मैने पाप किया है पर गालियों के साथ और याद किया जाऊंगा तब
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat गुज़ार तो दोगे कई दिन महीने या साल गुज़रे ज़माने में जो खोया होगा उसकी भरपाई हूं मैं गुज़ार तो दोगे ज़िन्दगी यूं कि इन रास्तों पर उन रास्तों को नई रोशनी से रोशन करती हूं मैं गुज़ार तो दोगे ज़िन्दगी तंग गालियों के साथ बहुत मिलेगे गुज़रे ज़माने की तलाश में की वहीं तम्मना हूं मैं जिससे किसी हिस्से की कहानी सुन कर छोड़ आए थे तुम, अब गुज़रे लम्हों की कहानी सुनकर गिरा एक आंसू भी तो याद आयुगी मैं, गुज़ार तो दोगे ज़िन्दगी यूं ही पर कहीं जो कमी खली होगी वहीं कमी हूं मैं वहीं हर सांस में भर्ती वहीं आस हूं मैं , जो अब अधुरी कहानी हूं मैं, ना ख्वाब ना खयाल रखती अब वहीं नज़र का टीका लगाती वहीं निशानी हूं मैं ना वक़्त ना हालात ना बात ना मुलाकात बस भूली बिसरी यादों में ना भूल पायोगे वहीं प्यार के नाम में छिपी रवानी हूं मैं #life #realityoflife #relationship #memories #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat गुज़ार तो दोगे कई दिन महीने या साल गुज़रे ज
i am Voiceofdehati
आजकल गालियां भी तरक्की पर हैं अब गालियों के बिना हर लफ़्ज़ अधूरा लगता है... ★गालियां (abuses)★ गालियां आजकल हर शख्स अपने शब्दों में प्रयोग करता है, वो चाहे लड़का हो या लड़की हर बात में चाहे वो काम की हो तरक्की की हो
cursedboon
सही और गलत...... मतभेद सही और गलत के प्रश्न के साथ उत्पन्न होते हैं... जब दो या अधिक पक्षों में किसी भी प्रकार का आपसी संपर्क स्थापित होता है तब उनमें विभेद
Subhanjali Singh
मैंने सूरज देखा है चांद देखा है ।। बारिश भी देखी है और ढ़ लती शाम देखा है बहोत खूबसरत रहा ये सफर इस बार मैंने।। मां के बचपन की गुमनाम गलियों में ये रंगीन आसमान देखा है ।। @subhanjali singh #safar मा के बचपन की गालियों का
M.Alam. Ansari
वो फिर एक बार गैरों कि बाहों में सिमट रहीं हैं,,मैंने सोचा कि वो अब सम्भाल रहीं हैं,, मगर इश्क कि गालियों में वो आज फिर भटक रही है,, अंसारी इश्क कि गालियों में,,
M.Alam. Ansari
इश्क कि गालियों में जाना छोड़ दिया,, बड़ी दिल को सम्भाला और उससे रिश्ता तोड दिया,, मेरे मुस्कुराहट से उसे प्यार थी,, अंसारी खिलौने समझ कर मेरे दिल से खेल रहीं थीं,, इस लिए उसकी यादों में आज से मुस्कुराना छोड़ दिया,, दिल को सम्भाला और लब खोला तुझसे मुहब्बत नहीं है अब मुझे ये लफ़्ज़ हमनें कितने मुश्किल से बोला,, उसे लगता है कि मैं अब खुश हूँ,, मगर उसे क्या खबर तन्हाई में कितनी सब हैं रोया,, बड़ी मुश्किल से आज हमने बारसो बाद है सोया,, इश्क कि गालियों में जाना छोड़ दिया,,