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Divyanshu Pathak
5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया कि जीवन के आरंभ और पोषण के साथ सृष्टि में होने वाले कौतूहल के साथ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में प्रथम चार देवियों का योग निहित हुआ। स्कंदमाता के दिन में सुमार नवरात्रों का ये 5 वां दिन है।आज के दिन तिथि भी पञ्चमी है। सम्पूर्ण सृष्टि का सूक्ष्मतम रूप पंच महाभूत ( आकाश Space , वायु Air- Quark, अग्नि fire-Energy, जल water- Force तथा पृथ्वी Earth-Matter ) माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। देवताओं को भोग लगाने के लिए 5 तरह के द्रव्य मिलाए जाते हैं जिनसे पंचामृत बनता है। देहधारियों में 5 ज्ञानेंद्रिय और 5 ही कर्मेन्द्रीयाँ हैं।शब्द ,रूप, रस, गंध और स्पर्श ये 5 इंद्रियों के विषय हैं।किसी मसले को सुलझाने के लिए पाँच लोगों का आगे आकर निराकरण करने में सहयोग 'पञ्च परमेश्वर' के रूप में देखा जाता है। हमारे राजस्थान में पंच पीरों को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में एक प्रसिद्ध दोहा है- पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा । पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा।। 5. पांचवां दिन और स्कंदमाता की उपासना। -- हमने आपको मैया शैलपुत्री,ब्रह्मचारिणी,चन्द्रघण्टा,कूष्मांडा क्रमशः अंक 9,8,7,6 के बारे में बताया क
कवि प्रदीप वैरागी
तुम क्या जानो पीर पराई , छान रहे हो दूध मलाई मेरे घर सन्नाटा है, अपना गीला आटा है। #पीर
Rashid MoMeen
में आईना की तलाश में दर बा दर भटकता रहा, जब मिला मेरे पिरो मुरशिद से राजो नियाज, तो वली की हकीकत को समजने लगा, इशकू में सचचाही का समंदर मिलता है , चला अगर मुरीद हक परसती पर तो पिर के वासीले से खुदा मिलता हैं,, ना मायूस होकर बैठना अपने ही घर में, ठोक ए शेख अपने ही दिलका दरवाजा फिर देख किसकी शकल में खुदा मिलता हैं, पीर
gio creation
इक देश राझां इक देश हीर। किथे मिल जावे बदली नू समन्दर दोवें मनावें इको जेहा पीर।। ©gio creation #पीर #WalkingInWoods
manav raj(मानव)
मौसम भी तेरी फितरतों की तरह, बदल रहा है आजकल । लगता है रब को भी, बस बहुत हुआ! नादानीयों तक तो ठीक था,गल्तियां भी शायद माफ थी,लेकिन जान बुझ कर... नहीँ साहब, ये रब हैं, इसका दुलार और वार,दोनो ही बहुत सधे हुए होते हैं । उसने जग बनाया हैं,उसे तू क्या बनाएगा। सुधर जाएँ हम तो ठीक हे , वर्ना वो मंजर भी आएगा जब वो मोहिनी नृत्य नहीं तांडव दिखाएगा । अन्तस पीर#