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Anjali Singhal

"दिल के तरकश में से निकाल फेंके हैं, हमने उनकी यादों के तीर! चुभने लगे थे गढ़कर धड़कनों में, बनकर साँसों की पीर!!" #AnjaliSinghal nojoto

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Ravendra

बहराइच में नाबालिग से गैंग रेप पर हुई पुलिस की कार्यवाही बहराइच जनपद के हरदी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी महिला ने पुलिस को तहरीर देकर ब #वीडियो

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Rajkumar Siwachiya

लागी ये पीर जो सुनहरी मेरय लागी चेहरा तय समझ सारी दुनिया मेरय आगी ✨🕉️🔱✨🔭📙🖋️ – Rajkumar Siwachiya ✍️♠️🙏 #harharmahadev #rajkumarsiwachiya # #Haryana #Haryanvi #bhiwani #oyedesi #Loharu #JhumpaKalan #Jhumpa_Kalan

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White  लागी ये जो पीर
सुनहरी मेरय लागी
चेहरा तय समझ सारी 
दुनिया मेरय आगी 
✨🥺✨🕉️🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya लागी ये पीर जो
सुनहरी मेरय लागी
चेहरा तय समझ सारी 
दुनिया मेरय आगी 
✨🕉️🔱✨🔭📙🖋️
– Rajkumar Siwachiya ✍️♠️🙏
#harharmahadev #rajkumarsiwachiya #

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया , #कविता

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लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन ।
आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।।

देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन ।
मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।।

रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन ।
लब बेचारे  मौन थे , कह न सके दो बैन ।।

जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन ।
कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।।

इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन ।
झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।।

अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन ।
झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।।

लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन ।
दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।।

दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान
धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।।

०४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन ।

आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।।


देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन ।

मन ये प्यासा रह गया ,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम  , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क #कविता

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Vishnu Bhagwan दोहा :-
कर्म रखो बस ध्यान तुम  , सोचों मत परिणाम ।
देने वाला और है , तू कर अपना काम ।।

कुण्डलिया:-

जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम ।
करता हूँ अरदास अब , मिले मुझे आराम ।।
मिले मुझे आराम , कृपा अब रघुवर कीजै ।
सह जाऊँ मैं पीर , और अब साहस दीजै ।।
विनय प्रखर की आज , सुना रघुनंदन माने ।
स्वप्न दिखाया दास , छोड़ अब हम सब जाने ।।

२९/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
कर्म रखो बस ध्यान तुम  , सोचों मत परिणाम ।
देने वाला और है , तू कर अपना काम ।।

कुण्डलिया:-

जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम ।
क

Eklakh Ansari

किस से माँगें कहाँ जाएँ किस से कहें और दुनिया में हाजत-रवा कौन है सब का दाता है तू सब को देता है तू तेरे बंदों का तेरे सिवा कौन है #Shayari #naat #Hamd #pirnaseeruddinnaseer #EklakhAnsari

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर  यह पीर हमारी है । #कविता

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माहिया/टप्पा छन्द
दुनिया दुखयारी है
पाँव पडूँ गिरधर 
यह पीर हमारी है ।।
पढ़कर दौड़े आना 
पाती हूँ लिखती
अब छूट गया दाना ।।
चाल चलूँ मतवाली 
देखो तुम साजन
हो अधरो पे लाली ।।
पट आज उठा लेना
बाते करने को
ढ़ल जाये जब रैना ।।
क्या प्रीति बिना फागुन
भायेगा मुझको
कुछ आकर कर अवगुन ।
२०/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR माहिया/टप्पा छन्द


दुनिया दुखयारी है

पाँव पडूँ गिरधर 

यह पीर हमारी है ।

Pushpvritiya

#चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे #कविता

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले #कविता

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Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं ।
पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे ,
कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं ।
वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं,
जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१

वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब ,
वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं ।
कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ,
मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं ।
भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम,
सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं,
असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे ,
देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२
१४/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले

लेखक ओझा

#achievement पीर पराई देखी जग में

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