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Divya Joshi
सहेज के रखा है कुछ ख़्वाबों और कुछ उपलब्धियों को अलमारी के एक कोने में। कैद सी महसूस होती होगी न उन्हें!? मगर कोई और विकल्प नहीं होता कुछ लोगों के पास! कुछ ख़्वाब हासिल कुछ लाहासिल हैं। और इन सबके साथ सहेजे हैं कुछ राज़ मैंने। हर वक़्त हर पल कुछ न कुछ जाहिर किया जाए ये जरूरी तो नहीं। कुछ चीजें, कुछ बातें, कुछ ख़्वाब, कुछ ख्याल, सिर्फ जीने के लिए होते हैं। जिन्हें बांटा नहीं जा सकता!! चाहकर भी नहीं! या शायद आज बांटा नहीं जा सकता। हाँ! क्योंकि कुछ बातें साझा होने के लिए वक़्त.... continue read in caption ©Divya Joshi सहेज के रखा है कुछ ख़्वाबों और कुछ उपलब्धियों को अलमारी के एक कोने में। कैद सी महसूस होती होगी न उन्हें!? मगर कोई और विकल्प नहीं होता कुछ लोग
Nisheeth pandey
Jiyalal Meena ( Official )
Rishika Srivastava "Rishnit"
Nisheeth pandey
किताब तुम बिलकुल उस शाम की तरह हो, जिसका इंतज़ार मुझे रोज़ रहता है.... टेबल पर रखी चाय और चुस्की तलब सा रहता है ... तुम्हारे अध्याय कुछ मस्तिष्क में कंठस्थ रहता है , कुछ अध्याय का सारांश मस्तिष्क से खो जाता है लगता है यूँ जैसे सपना का कोई दृश्य हो..... जो आंखें खुलते ही दृश्य विलीन हो गया हो ..... #निशीथ ©Nisheeth pandey किताब तुम बिलकुल उस शाम की तरह हो, जिसका इंतज़ार मुझे रोज़ रहता है.... टेबल पर रखी चाय और चुस्की तलब सा रहता है ...
rajkumar
यह कहानी जरूर पढ़ना ©rajkumar घर में आज सुबह से ही बड़ी चीख पुकार मची हुई थी। ना जाने आज घर में कौन सा हंगामा हो गया था? रमेश की बीवी जोर जोर से चिल्ला रही थी। इतनी जोर से
AJAY NAYAK
मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तराने होंगे। एक हाथ में कांच का गिलास होगा, एक हाथ में साथी का हाथ होगा, सामने खड़ा एक साकी होगा, जो गिलास को समय पर रंगता होगा। कुछ अच्छी बातें होंगी, तो थोड़ी बहुत नोकझोक होगी, निकलेंगे हम वहां से गरम मिजाज़ में, अगले दिन फिर एक टेबल पर होंगे । कुछ तो बात है इस मदिरा में, जो छलकते ही पूरा पूरा बिखर जाता है पर कभी अपना गुणधर्म नही है छोड़ता तीस मिली में भी कमाल दिखा जाता है । जो जो जाता है इसके साए में वह उसका होकर रह जाता है बस एक घूंट कंठ से उतरते ही दुश्मन भी दोस्त बन जाता है । मैं भी अब सोच रहा हूं थोड़ा लेकर इसे अंदाजू साकी से कहकर भर लूं अपना गिलास। चख लूं दोस्तों के साथ इसका स्वाद देख लूं क्यों है यह दुनिया में विशेष जो भी जाता है इसके आगोश में, वह कैसे? ऊंच नीच, अमीर गरीब का, भूल जाता है भेद । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Wine #मदिरा मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तरा