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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
नि:शब्द अमित शर्मा
समय पर सब ने दे पर समाई ना होती ..(2) चाहत पूरी होज्या स , मन चाही ना होती ©निःशब्द अमित शर्मा #तृष्णा
Sanjay Tiwari
बादल मेहरबां हुए भी तो इस कदर एक एक बूंद को ढूंढा किये दरबदर रिमझिम फुहारों से तन मन तरबतर हुआ ये रूह तो प्यासी रही ,वो न मुत्तसिर हुआ मुत्तसिर -प्रभावित #तृष्णा
Ram Singh
तृष्णा तृष्णा,चैन लेने नही देती है हमें मन की बेचैनियां बढ़ाती है मैं सच कहता हूं सज्जनों रात में भी सोने नही देती है हमें। शाम ढलने के बाद रात होती है रात होने के बाद लोग सो जाते है दिनभर की थकावट दुर करते है पर तृष्णा, हमें रुलाती है। क्या सुनाऊं मैं,उस पल की कहानी जब तृष्णा होती है बलवती आंखों में होती है सिर्फ दुःख के आसूं और दिल में छाई रहती है वीरानी। यदि हृदय से किया परिश्रम तो पत्थर में भी फूल खिलता है और स्वयं को हीरा बनाना है तो तृष्णा से दूर रहना ही होगा हमें। किस्मत के सहारे बैठने वाला कुछ कहां भला कर पाता है अगर दुनिया जीतने की तृष्णा है तो संघर्ष में खुद को जलाना होगा। दो दिन बची है जिंदगी समय का पहिया बोल रहा है तृष्णा से तुम दूर रहो प्यारेँ नही तो पछताओगे। ©Ram Singh #तृष्णा#
CK JOHNY
मुँह में रहे न दाँत पेट में रही न आँत मन सदा है भ्रांत। इच्छाएं हुई न शांत। तृष्णा
Parasram Arora
कितना दौड़ते हो? कुछ तो मिलता नहीं अब रुको तृष्णा बेपेंदे की बाल्टी है भरो खड़खड़ाओ कुवें से खूब खींचो ये जिंदगी नहीं ाअनेक जिंदगी खींचते रहो खाली क़ि खाली रहेगी ज़ब भी बाल्टी आएगी खाली हाथ आएगी कुवें बदल लो... इस कुवें से उस कुवें. पर जाओ उस कुवें से उस कुवें पर जाओ यही हम लोग कर रहे हैँ मगर कुओं का क्या कुसूर? बाल्टी वही क़ि वही ©Parasram Arora #तृष्णा.......
Rajesh rajak
Alone आदि तो सबको मिला,न मिला किसी को अंत, घर ढूंढे,आंगन ढूंढ़े सब जग ढूंढे कंत, क्षितिज वहम है आपका,नहीं जमीं का छोर, परम सत्य है आत्मा,क्यों झांके चहुं ओर, ईश्वर अंश तू जीव है,कर मानव से प्रेम, माया तो छल रूप है, ज्यों राहु कालनेम, आया है सो जाएगा,फिर काहे का अभिमान, यम बंधन में कोई गया,कोई चढ़ गया विमान, मन मदिरा क्यों धारता,मन की बैरी प्रीत, मन,वचन अरू कर्म से,जीत सके तो जीत, तृष्णा,