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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ
Ankit Singh
कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक नहीं कर रहे थे। ©Ankit Singh कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक न
Ashraf Fani【असर】
Village Life आरज़ूएँ बेतहासा और मजबूरियाँ बहुत हैं हज़ारों की भीड़ में भी तन्हाईयाँ बहुत हैं नकली हँसी है लब पर ग़मगिनियाँ बहुत हैं ख़ुशियों की धूप फीकी परछाईयाँ बहुत हैं ©Ashraf Fani【असर】 आरज़ूएँ बेतहासा और मजबूरियाँ बहुत हैं हज़ारों की भीड़ में भी तन्हाईयाँ बहुत हैं नकली हँसी है लब पर ग़मगिनियाँ बहुत हैं ख़ुशियों की धूप फीकी परछ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।। रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन । लब बेचारे मौन थे , कह न सके दो बैन ।। जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन । कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।। इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन । झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।। अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन । झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।। लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन । दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।। दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।। ०४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया ,
दीपा साहू "प्रकृति"
"हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच, पानी की तरह दर्द निचोड़कर बाहर आना ! फिर धूप में सुखाए कपड़े की तरह, सूखा आना! और झूठी हँसी की इस्त्री कर, गम के सिलवटों को हटाकर, नई निशान के साथ,फिर से चल पड़ना। जहाँ लोगो को हमेशा नए से लगो। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakhar_ #deepliner #love #Pain #intejar #poetry "हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच,
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Devesh Dixit
होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल कर हम सब रहें, देता है ये ज्ञान। बैर भाव छोड़ो सभी, कर सबका सम्मान।। हँसी खुशी सब खेलते, हैं रंगों के साथ। मिल जुल कर सब रंगते , ले रंगों में हाथ।। फागुन का यह मास है, रंगों का त्यौहार। दिल न दुखाना तुम कभी, है ये ही संस्कार।। मात पिता के छू चरण, बन जाओ तुम नेक। ईश ज्ञान देते यही, फिर मिलती है टेक।। बहुत बहुत शुभकामना, देते हैं हम आज। खुशी मनाओ झूम के, हो सुंदर सब काज।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #Holi #nojotohindi #nojotohindipoetry #होली होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल
Dil galti kr baitha h
ख़ुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते, सदा ख़ुशियाँ हो तेरे रास्ते, हँसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह, खुश्बू फूलों का साथ निभाती है जिस तरह। ©Dil galti kr baitha h ख़ुदा से क्या मांगू तेरे वास्ते, सदा ख़ुशियाँ हो तेरे रास्ते, हँसी तेरे चेहरे पे रहे इस तरह, खुश्बू फूलों का साथ निभाती है जिस तरह।