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Nisheeth pandey
आँखों ने इजाज़त नहीं दी, अश्क दरवाज़ा खटखटाते रहे ...... कुछ अनकहा रह गया था, नींदों में हम बडबडाते रहे ....... @निशीथ ©Nisheeth pandey आँखों ने इजाज़त नहीं दी, अश्क दरवाज़ा खटखटाते रहे ...... कुछ अनकहा रह गया था, नींदों में हम बडबडाते रहे ....... @निशीथ
Nisheeth pandey
शीर्षक-घड़ी की टिक टिक 🤔🤔🤔🤔 समय केवल घड़ी तक ही सीमित नहीं रह जाती/रह पाती। घड़ी की टिक टिक के साथ समय भिन्न भिन्न प्रकार के भाव का बीजारोपण करती है ।। तर्क से कुतर्क तक, प्रेम से घृणा तक । समय हर प्रकार के भाव का पेड़ बनाती जीवन के अंतिम छन तक।। सौंदर्य से कामवासना तक, अध्यात्म से सन्यास तक। व्यवहार से व्यभिचार तक, ज्ञान से विज्ञान तक ।। समय एक बहुत सशक्त हथियार है। समय की मार तीर तलवार से भी अधिक अचूक है ।। समय इतिहास बनाती है। लेखनी समय की लिखी इतिहास छुपा ले अगर ।। इतिहास की लेखनी मोहताज अगर कीमत की जाए तो , ऊथल पुथल मचाती है सृस्टि के धरा पर।। समय विषैला भी है। समय औषधि सा सकूँ भी है ।। समय गृहस्त का छत बनाना सिखाती है। समय सन्यास का वन भी ले जाती है ।। समय हंसाती है, गुदगुदाती भी है। समय डराती है, रातों की नींदें उड़ाती भी है ।। समय के वार बड़े कोमल, बड़े तीखे भी हो सकते हैं। समय सौम्यता है तो तीव्रता अंगार भी है ।। समय होंठों पे लाली लाती है, दिल की धड़कन धड़काती है । तो समय दिल की धड़कनें भी रोक जाती है ।। बहुत बड़ी जादूगरनी है घड़ी की टिक टिक । भांति भांति के नज़रबन्द का भ्रम पैदा करती है ।। घड़ी की टिक टिक प्रकृति का समय ही नही बताती । इंसान को कठपुतली सा टिक टिक कराती है ।। 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey #samay शीर्षक-घड़ी की टिक टिक 🤔🤔🤔🤔 समय केवल घड़ी तक ही सीमित नहीं रह जाती/रह पाती। घड़ी की टिक टिक के साथ समय भिन्न भिन्न प्रकार के भाव का बी
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तन के बन्धन टूट जाएंगे, सम्बन्ध सारे फिसल जाएंगे, समय के साथ एक दूसरे से खो जाएंगे मगर ! आत्मा के सम्बंध ? मन के बन्धन ??? @निशीथ ©Nisheeth pandey #brokenbond तन के बन्धन टूट जाएंगे, सम्बन्ध सारे फिसल जाएंगे, समय के साथ एक दूसरे से खो जाएंगे मगर ! आत्मा के सम्बंध ? मन के बन्धन ??? @
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शहर ----- कोलाहल ही कोलाहल चारो तरफ है इमारते पर इमारते पेड़ कहाँ गायब है रात भी उजालो से भरा दिन लगता है ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है सड़क पर गाड़ियां ही गाड़ियां हैं साँसों में यहां धुँआ ही धुँआ हैं घर तो प्लास्टिक के फुलों से मनमोहक हैं ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है जिक्र अपनों से फुर्सत का किया हमने जब जब हर दफ़ा बहाने मिलें बहुत लगा अपने बेवफा तब तब वक्त नहीं निभाने को रिश्ते नाते जज्बातों की क़दर कहाँ अब ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है धुंध ही धुंध यहां आँखों में हर एक इंसान में प्राकृतिक धुंध तो डरता है झाने से अब शहरों में आँखों में जलन कानो मे शोर यहां प्रदूषण का जोर है ये शहर है भईया यहां वीरानगी भी वीरान नही लगता है @निशीथ ©Nisheeth pandey #Dhund शहर ----- कोलाहल ही कोलाहल चारो तरफ है इमारते पर इमारते पेड़ कहाँ गायब है रात भी उजालो से भरा दिन लगता है ये शहर है भईया यहां वी
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लगता यूँ है जब से होशियार हुए हैं तब से मौत की खोज में यात्रा किये जा रहें हैं निरन्तर इस यात्रा बढ़ती उम्र के पड़ाव में खुशियाँ , सुंदरता , प्यार , अपनापन , अपने लोग जैसे चीजों को खरीद रहें हैं इन चीजों को जी भर कर गले लगाया भी नही की मानों रेलगाड़ी प्लेटफॉर्म से चल पड़ी और मधुर खरीदारी रह गयी जीवन की इस यात्रा के चोर उचक्के लुटेरे भी मिले जो खुशियाँ , प्यार , सुंदरता , अपने लोग जैसे अनमोल चीजों को कभी चोरी तो कभी लूट कर ले गये। और मुझे गम , चिंता , व्याकुलता ,अकेला , बिलखता यात्रा में छोड़ गया मौत के सफर में । मेरा दिल है और दिमाग जो गलती पर गलती किये जा रहें हैं मेरा तन है जो उनकी हरकतों से रोज ज़ख्म पर ज़ख्म सह रहा है । @निशीथ ©Nisheeth pandey #Yaatra लगता यूँ है जब से होशियार हुए हैं तब से मौत की खोज में यात्रा किये जा रहें हैं निरन्तर इस यात्रा बढ़ती उम्र के पड़ाव में खुशियाँ
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कुछ दोस्त थे, वो कहीं गुम हैं, कुझ अपने थे , वो स्वार्थ में डूबे हैं उनकी नज़रों में खटकने लगे हैं .... वक्त खराब चल रहा , जानने वाले लोग किनारा सा करने लगे हैं, आसपास भीड़ बहुत है पर ,भीड़ में भी अब तो तन्हा सा दिल होने लगा है.... @निशीथ ©Nisheeth pandey कुछ दोस्त थे, वो कहीं गुम हैं, कुझ अपने थे , वो स्वार्थ में डूबे हैं उनकी नज़रों में खटकने लगे हैं .... वक्त खराब चल रहा , जानने वाले लोग
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निशीथ अक्सर डूबते सूरज से पूछता है क्या टूटा दिल भी जोड़ा है फ़रियाद से रब ने #निशीथ ©Nisheeth pandey #tootadil निशीथ अक्सर डूबते सूरज से पूछता है क्या टूटा दिल भी जोड़ा है फ़रियाद से रब ने @निशीथ #BadhtiZindagi #uskebina #intezaar
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वक्त है साहब किसी के लिये थमा कहाँ है । बढ़ती जिंदगी किसी की किसी के लिये रुकी कहाँ है । 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey #BadhtiZindagi वक्त है साहब किसी के लिये थमा कहाँ है । बढ़ती जिंदगी किसी की किसी के लिये रुकी कहाँ है ।
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कभी वक्त मिले तो मुझपे भी नज़रे घुमा लेना .... माना कोई ख़ासियत नहीं मुझमें पर तुम्हें चाहना किसी ख़ासियत से कम भी तो नहीं .... तुम्हें देखना तुम्हे पाना तुम्हें चाहना.... इन हसरतों मे ही जीना अब अच्छा लगता है ... जिंदगीं गुजारने का सहारा लगता है .... 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey कभी वक्त मिले तो मुझपे भी नज़रे घुमा लेना .... माना कोई ख़ासियत नहीं मुझमें पर तुम्हें चाहना किसी ख़ासियत से
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गांधी जयंती पर मेरी धारणा ............. *भारत देश हमारा है तो प्रगति और उन्नति के लिये हमें अर्जुन का धनुष उठाना ही पड़ेगा दुष्टों और स्वार्थी और अधर्मी के लिये अहिंसा त्यागना हमें ही पड़ेगा .... *क्योंकि अगर हम #गांधी_के_आदर्श पर चलेंगे तो अपने देश की जमीन को गवाते चले ही जाएंगे, दुश्मन शांति का हार नहीं पहनायेंगे कमजोर पड़े तो सीधा गर्दन काटेंगे ... अपने अधिकार के लिये अपने सुरक्षा के लिये व्यक्तित्व के लिये जलिलों तो आँखे दिखाने पड़ेंगे घात करें तो पटकनियाँ लगाने पड़ेंगे गांधीगिरी सफल होता अगर बॉर्डर पर वीर तैनात न होते अहिंसा गर परमो धर्म होते देश की सरहद के सैनिक न होते गांव हो या शहर यहां पुलिस न होते सज़ा के लिये अदालत और जेल न होते सुरक्षा और शांति हेतु बल चाहिए डर चाहिए जरूरत पड़े तो हिंसा भी चाहिए राक्षस रूपी भेड़िये को परास्त हेतु युद्ध चाहिए , यह मैं नहीं हमारा इतिहास का हर पन्ना बताता है । 🤔निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey #gandhijayanti गांधी जयंती पर मेरी धारणा ............. *भारत देश हमारा है तो प्रगति और उन्नति के लिये हमें अर्जुन का धनुष उठाना ही पड़ेगा