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Amit Sir KUMAR
White मां एक शब्द नहीं, एहसास है मां से रिश्ता कुछ खास है जीवन का आधार है, मां मेरी उत्पत्ति का सार है, मां इश्वर का साक्षात्कार हैं, मां प्रेम और समर्पण का आधार है, मां मेरा रोम -रोम तेरा कर्जदार है, मां तेरी महिमा को बारंबार प्रणाम है, मां। ©Amit Sir KUMAR #mothers_day मां एक शब्द नहीं एहसास है.......
Manish Raaj
एहसास --------- एक उम्र गुज़र गई ख़ुद को एक मुक़ाम पर लाने में कई हिस्सों में बँट गए हम रिश्तों को निभाने में सितम इतने सहे, ख़ुशी की जगह दर्द नज़र आने लगा है मुस्कुराने में रिश्तों की रंजिश और ज़िंदगी की बंदिश में प्यार जैसे फ़ना हो गया है इस ज़माने में हालात ऐसे हुए की ख़ुद को भुला दिया नाम कमाने में चाँद की रौशनी में नज़रअंदाज़ कर दिया सितारों को अंजाने में ! क़ाश पनाह मिले इस मन को किसी के दिल में, बहुत तन्हा रह लिया आशियाने में ग़ौर से देखो तो शम्मा और परवाने दोनों ही जलते हैं एक दुसरे को आज़माने में क़द्र नहीं है ये जान कर भी न जाने क्यूँ करता हूँ क़ोशिश जज़्बातों को समझाने में ये मेरे बस में नहीं कि नज़ारा हमेशा एक सा रहे नज़रों के शामियाने में मनीष राज ©Manish Raaj #एहसास
Anjali Singhal
अमित कुमार
White कैसी है चांदनी की चंचलता ये पुनम की रात से पुछो क्यों होते हैं दिलकश तराने ये संगीत की साज से पूछो। किसी के अफसाने बेमिसाल होते हैं उल्फत के असर से यकीन ना हो करके मुहब्बत फिर उसके एहसास से पूछो।। ©Amit एहसास
Imran Shekhani (Yours Buddy)
Rose Rehan
पहला एहसास... मुलाकात छोटी थी, मगर लाज़वाब थी मेरे आने की ख़ुशी झलक रही थी तुम्हारी आँखों में दोनो के दिल धड़क रहे थे जोरो से उस वक्त मेरे सामने चलता फिरता गुलाब था बस देखता रहा तुमको क्या कहूँ क्या न कहूँ तुम्से तभी तुमने मेरे शर्ट का कालर पकड़ा और मुझे अपने करीब किया और अपने होंठों को मेरे होंठों से छू लिया और तुमने कहा कि यही तुम्हारा Good Bye गिफ्ट है... ये एहसास आज भी मेरे अन्दर करंट की तरह दौड़ता है और चेहरे पर मुस्कान बिखेर जाता है... ©Rose Rehan पहला एहसास...
Richa Dhar
मैं वो एहसास लिखना चाहती हूं जो तुमसे कभी कहा ही नही हृदय में विराजमान है तुम्हारी अप्रतिम मूर्ति और तुम्हें पता तक नहीं पूजती हूँ प्रातः और संध्या तुम्हें लेकिन इस विह्वल मन की पुकार तुम तक पहुचती ही नहीं कैसे बताऊं कैसे पीड़ा दिखाऊँ तुम्हें इस हृदय की वेदना के भाव तुम तक पहुँचते ही नहीं लिख कर छोड़ देती हूं पन्नों पर मन की अभिव्यक्ति के तुम कभी तो पढ़ोगे जो डायरी तुमने कभी उठाई तक नहीं ©Richa Dhar #aaina एहसास
srikant singh
कभी शांति से बैठ कर एकांत में सोचना जरूर? मोहब्बत में क्या सिर्फ हम ही थे मगरुर, या फिर तुम में भी था कुछ एहसाह का शुरूर। ©srikant singh #एहसास