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Rishu
वक़्त की कमी है,ताकत नही, पहुंच नहीं, मजबूरियां बहुत है वरना उसूल बनता है काम छोड़ कर, थोड़ा धूल फांका जाए यह जितने सफेदपोश मुखबिर है,मुखबिरी सिखाऊं इनको, फ़ोन टैप करके,तसल्ली से जिंदगी का कोना कोना झांका जाए इकट्ठी की जाए जानकारी, कमी कमज़ोरियाँ सारी चुन चुन कर, चोक चौराहों पर जलील कर, इनका भी चरित्र आंका जाए, दूसरों की ज़िंदगी को तमाशा बनाने वालों से भी हिसाब लिया जाए, इन 'सर्टिफिकेट' बांटने वालो का 'कुंडली' छापकर चोंक में टांगा जाए #yqbhaijan #yqdidi #सफेदपोश #जासूसी
Vidhi
शादी महज़ दो लोगों या दो परिवारों का मिलन नहीं है। शादी एक पुरुष के चरित्र पर लगे हुए दागों की सफाई करती हुई बीवी है। #दिखावा #शादी #सफेदपोशी #चरित्रहीन #पितृसत्ता
Vidhi
अच्छे बनो मत अच्छे दिखो बस देखो शायद फिर तुम्हारे भी दिन बहुर जाएं.. #cinemagraph #अच्छेदिन #दिखावा #सफेदपोशी #सभ्यता_का_रहस्य #पूंजीवाद #सामंती_जीवन
entertainment intertenment&intertenment
एक दिन डूबा ले जाएगी "कमली" गर्दिश–ए–सियाह को.. आप कुछ गद्दारों से जश्न उड़ाते रहिए।। –@कमली सफेदपोश 😞 #सियासत_है_साहब #सब_सियासत_है #yqbaba #yqdidi #yqthoughts #एक_गुलज़ार #राजनीति
Insprational Qoute
आजकल तो खतरनाक हो गई है खादी, भेड़ की खाल में छुपे बैठे है अवसरवादी। चेहरों पर चेहरा बच कर चलो दोस्त कौन बने अगला मोहरा। #अवसरवादी #नक़ाब #सफेदपोश #झूठ #फ़रेब #yourquotedidi
Prerna Singh
कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र दुसरे से दुरी बनाने के लिए रिश्ता अपवित्र कह देते हैं ... कर देते हैं जीवन तहसनहस और एहसान भी जताते हैं। सामिल होते हैं इन सब सफेदपोश फायदा बेहिसाब उठाते हैं कर देना बच्चे को माँ के गोद से दुर कह कर अब स्तनपान की उसे जरूरत नही और गैर को हितैषी बता कर सौंप देना हक समझकर जैसे वो कोई वस्तु हो वस्तु बता कर जिंदगी को दोजख बनवाने वाले ही चारो तरफ बन कर बैठे है मसीहा बन कर... ©Prerna Singh कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र दुसरे से दुरी
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
तलाशने निकले हो सुकून जिन राहों में जिंदगी की, हकीकत ये है कि इनमें दर्द बहुत है। गर्मजोशियां ख़त्म हो रही हैं इंसानों के दरम्यान, जेठ की रातें भी सर्द बहुत हैं। दिखने बंद हो गए अब रिश्ते मोहल्लों में खुली आंखों में भरी स्वार्थ की ग़र्द बहुत है। कैसे यकीं कर लें तुम्हारी शराफ़त पर, लिबास एक है और फ़र्द बहुत हैं। सफेदपोशी का दौर पूरे उफान पर हैं, अंदर से ये सारे ज़र्द बहुत हैं। वो बेसहारा बच्चों के संग सड़क पर बैठी है, चारों तरफ गिद्धों से मंडराते हुए मर्द बहुत हैं। मैं भी सोचता हूं बंद कर आंखें आगे निकल जाऊं, रुक जाते हैं कदम क्योंकी राखी और दूध के कर्ज बहुत हैं। तलाशने निकले हो सुकून जिन राहों में जिंदगी की, हकीकत ये है कि इनमें दर्द बहुत है। गर्मजोशियां ख़त्म हो रही हैं इंसानों के दरम्यान, जेठ की रा
Shree
चांद अमावस हो रहा 🌚🌝 रुक-रुक चुप-चुप गगन अगन सा हर ओर छलक रहा, चांद की सफेदपोशी.. नज़र का टीका अमावस लगा रहा! मिश्री सी मीठी-मीठी बातें आज महबूब मेरा परोस रह
Amit Mishra
एक बेहतर हिंदुस्तान (See caption) मुल्क के सिपहसालारों को भी कुछ काम दिया जाए सफेदपोशों को दग़ाबाज़ी का अब इनाम दिया जाए ख़्वाहिशे अधूरी हैं जिनकी ये मुल्क बाँटने की सर
Insprational Qoute
##कयामत के दिन## आँखे पथरा गई देख यह मंजर पल पल मानो सांसे रहे है गिन, अब वक़्त भी यहीं जायजा लेगा, यही होंगे कयामत के दिन, जिसने जैसा किया कर्म,वैसा मिलेगा न आड़े आएगा कोई धर्म, अब तक जो जी रहे थे अपनी सफेदपोशों में टूटेंगे उसके भ्रम, इतना खिलवाड़ कर कुदरत के साथ ख़ुद को बेगुनाह बताते हो, खाली हाथ आये अब हर किसी पर अपना अधिकार जताते हो, मात्र विचार करने से समूल सृष्टि का नक्शा नही बदलने वाला है, आगे बढ़ कर कुछ करने से ही कर्मो का फल तुझे मिलने वाला है, औदार्य सदाचार समृद्धता ही तो एक सम्पन्न समाज की निशानी है, कर शिष्टाचार , सदवृति , सद्कर्म जीवन तो मात्र ज़नाब फ़ानी है, कण कण से ले शौर्य,सौष्ठव त्याग,रीत जग की सबको निभानी है, पराकाष्ठा नियती की सर्वोच्च हो,मृदुभाषी व्यक्तित्व की गुरुवाणी है। मिलेगा फल किये का भविष्य में,टूटना नही दुनिया तो आनी जानी है, न हार मान बुलन्द कर हौसला,उठ निशा क्यो बनती तू अनजानी है।। ##कयामत के दिन## आँखे पथरा गई देख यह मंजर पल पल मानो सांसे रहे है गिन, अब वक़्त भी यहीं जायजा लेगा, यही होंगे कयामत के दिन, जिसने जैसा कि