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Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
Niaa_choubey
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
डूब जाने से पहले उस पार किनारे़ जाना अच्छा लगता है,कि जैसे मौत को हराकर जिंदगी पलटता है//१ किसी की कश्ती डूबोकर वो साहिल से यूं पलटता है,कि जैसे जिंदगी से खेल कर ज़ानी पलटता है//२ किसी की चश्म में भरकर अश्क हंसना अच्छा नहीं होता .कि ये वो अश्क हैं जिनसे तख़्त-ए-तानाशाही पलटता है//३ किसी का नशेमन तोड़कर,वो जो अट्टहास भरता है ,कि जैसे मुफलिसी से खेलकर कसाई पलटता है//४ घरौंदे तोड़ देना तानाशाही में बहुत आसान है"शमा, कि ऐसा तानाशाह ही देश की गद्दी पलटता है//५ ©shama writes Bebaak डूब जाने से पहले उस पार जाना अच्छा लगता है,कि जैसे कोई मौत को हराकर जिंदगी पलटता है//१ किसी की कश्ती डूबोकर वो साहिल से यूं पलटता है,कि जैस
BANA LAL
R K Mishra " सूर्य "
.....बकरा और कसाई का वार्तालाप..... बकरा हसे ठठाय के, अब सुन लो मेरी बात मैनें भी तो इसी तरह, तेरी गर्दन दी थीं काट जैसे मैंने काटा तेरी, अब तू काटे है मेरी खेला सभी प्रभू का है, बस होता हेरा फेरी सत्य यही है जीवन का, जो जैसा बोया काटा लेखा जोखा सही सही , सबके भाग्य में आता सोच समझ चिंतन करले, क्यों तूं जीव को मारे क्या मुंह लेकर जायेगा तूं, बनकर के हत्यारे महापाप है हत्या करना, सबका प्राण है प्यारा "सूर्य" कहें कुछ सोच, सबक बकरा का प्यारा ©R K Mishra " सूर्य " #बकरा#कसाई Rama Goswami Ashutosh Mishra Sethi Ji Sethi Ji Ayesha Aarya Singh
एसएम न्युज24टाइम्स
lakhimpur khire
एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था। एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है। उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी। ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है। कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है? निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया। मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है। हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा। उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था। अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया। तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे *कबूतर* का सूप पिलाने की सलाह दी। कबूतर अब पतीले में उबल रहा था। खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया। कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो *बकरे* को काटा गया। *चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….। _*अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।*_ *_समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है।_* जय हिंद🇮🇳 साभार..(( @A...k✍️ )) ©lakhimpur khire एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था। एक दिन *चूहे* ने देखा
Nipil Moran
RS Sumit Sipper
र लठां की मार कोनी बस की बात मेरी। आदत है बात मैं कलम की गैल करूंगा। अर भाई जरा गौर त सुणीयो बात मेरी। जमा एक-एक बात म्हं सच्जाई धरूगां। जब जाट आंदोलन का होया था मसला। उस टेम भी सरकार की चपेट म आए थे। किसे का नाम आतंकवाद मं था उछला। कई होगे घायल कई बिछड़े मां के जाए थे। र फेर रोड़ा प वे अन्नदाता आ के बैठे थे। उन प भी जूल्म करे जो भूख मिटावै हैं। इस घटिया राज न वे भी बोत घणे लपेटे थे। जितने रहे थे घर त बार वे कडै सुख पावै हैं। इब फेर यो नीच राजा चाल खेलग्या भारी। यो हर फौजी प बस फौज भूण्डी करावैगा। र फेर बणा मुकदमा जिंदगी खोवैगा सारी। कुछ नी धरया इन दग्यां मं जणा-२ पछतावैगा। ©RS Sumit Sipper #कह सुमित सिप्परिया #कलम म दम प। के #बस इब कुछ #ग़लत काम नी करणा। #पत्थर धर के दिल त काडदयो #अग्निपथ न। जीणा है थम न #कसाई के #हाथ नी मरणा।