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शैलेन्द्र यादव
*विचारणीय* नदी से पानी नहीं, रेत चाहिए. पहाड़ से ओषधि नहीं, पत्थर चाहिए. वृक्ष से छाया नहीं, लकड़ी चाहिए. खेत से अन्न नहीं, नक़द फ़सल चाहिए. रेत से पक्की सड़क, मकान बनाकर, नक्काशीदार दरवाजे सजाकर, अब भटक रहे हैं। उलीच ली रेत, खोद लिए पत्थर, काट दिए वृक्ष, तहस-नहस कर दी मेड़ें; अब भटक रही सभ्यता !!! सूखे कुओं में झाँकते, खाली नदियाँ ताकते, झाड़ियां खोजते लू के थपेड़ों में, बिना छाया ही हो जाती सुबह से शामें....!!! बूँद-बूँद बिक रही जल की। साँस लेने हवा भी बिकेगी, कल्पना करें उस कल की! ©शैलेन्द्र यादव #जल#पानी#पेड़#प्रकृति
#R.J..!मुरखनादान#
आज और भी प्यारे लग रहे हो तुम ©#R.J..!#मुरखनादान@# आज और भी प्यारे लग रहें हो आप
कलम की दुनिया
मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मेरे प्रत्येक बुंद से तुम्हारा आस मेरे कण कण में तुम्हारा श्वास मै देव नहीं लेकिन कण कण में व्याप्त हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मेरे होने से तुम्हारा कल था आज है कल होगा मैं तुम्हारा अस्तित्व हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मैं शुद्ध मुझे अशुद्ध तुमने किया मैं अमर मुझे मर(खत्म होने के कगार पर) तुमने किया मैं कण कण में जन जन के लिए मुझे कुछ जन के लिए बोतलों में व्याप्त तुमने किया मैं प्रत्येक जीव का श्वास हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ मैं जल हूँ तुम्हारा कल हूँ तुम्हारे कल के लिए तुमसे कह रहा हूँ मुझे बर्बाद करोगे खुद को नष्ट करोगे एक के जगह हजार बुंद प्रयोग करोगे कल एक बुंद को तरसोगे मेरी संरक्षण करोगे खुद को जीवनदान दोगे मैं तुम्हारे कल के लिए तुमसे ये सब कह रहा हूँ मैं तुम्हारा कल हूँ मैं जल हूँ मैं तुम्हारा कल हूँ ©कलम की दुनिया #जल
Ashutosh Mishra
--क्या आप सहमत है-- जिंदगी एक खूबसूरत छलावा है क्योंकि,,,,,, इंसान को खुद से ज्यादा दूसरों की जीवन शैली प्रभावित करती है लेकिन हमेशा दूसरों के सामने खुद को ही बेहतर साबित करते है अलफ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #sad_shayari #क्या-आप-भी-सहमत-है #हिंदीnojoto #विचार_मन_के #विचार KK क्षत्राणी Dr Anoop Kshitija Ranjit Kumar Mili Saha
लेखक ओझा
White कुछ जुगनू जल–बूझ रहे है फिर भी रात सुहानी है क्योंकि संघर्ष ही मेरी कहानी है।। ©लेखक ओझा #Night कुछ जुगनू जल बुझ रहे
Anuj Ray
White इक वक्त के बिछड़े दिलों की दास्तान के पन्ने, न जाने कब से बर्फ की परत में ढके थे। बह बह के आंसुओं का जम गया था समंदर, खुली हवा में, आहिस्ता आहिस्ता पिघल रहे हैं। टूटा है पहाड़ गलत फहमी का, मुद्दत के बाद आज फिर से, पुरानी यादों के अलाव जल रहे हैं। ©Anuj Ray # यादों के अलाव जल रहे हैं"
कलम की दुनिया
व्यर्थ जो कर रहे हो मुझे अर्थ मेरा समझ आएगा तरसोगे एक एक बूंद के लिए पर मुझ तक पहुंच न पाओगे उस दिन तुम्हे मेरा अर्थ समझ आएगा ©कलम की दुनिया #जल
Krishna
मछली जल की रानी हे जीवन उसका पानी है हाथ लगाओ दर जायेगी बाहर निकलो मर जायेगी ©Krishna #मछली जल की रानी हे #