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Deepti Garg
पहले पन्ने का पहला शब्द प्रतिज्ञा । बीच के जितने भी खाली शब्द हैं तेरी यादों के साए में। अंतिम पन्ने का शब्द प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा प्रतिज्ञा🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔 ©Deepti Garg #प्रतिज्ञा
Jk
प्रतिज्ञा एक प्रतिज्ञा केली राष्ट्रमाता जिजाऊ माऊलीने, शिवबाला उत्तम राजा घडविण्याची एक प्रतिज्ञा केली बहुजनप्रतिपालक छत्रपती शिवाजी महाराजांनी, स्वराज्य निर्माण करण्याची एक प्रतिज्ञा केली क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुलेंनी, बहुजनांना अंधःकारातून प्रकाशमान करण्याची एक प्रतिज्ञा केली ज्ञान माउली सावित्रीने, महिलांच्या उद्धारासाठी एक प्रतिज्ञा केली या दोन्ही उभयंत्यानी, मुलींना व अस्पुश्य मुलांना शिक्षण देण्यासाठी एक प्रतिज्ञा केली राजर्षी शाहू महाराजांनी, शेतकऱ्यांना संरक्षण व गोर गरीब मुलांच्या शैक्षणिक आरक्षणासाठी एक प्रतिज्ञा केली महामानव डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनी वर्षांनुवर्षे चालत आलेली गुलामगिरी नष्ट करून या देशात समता, बंधुता, स्वतंत्रता व लोकशाही प्रस्थापित करण्याची एक प्रतिज्ञा केली त्यागमूर्ती रमाई माउली ने आपल्या पतीच्या पाठीशी खंबीरपणे उभे राहण्याची आणि मी प्रतिज्ञा करते, या महापुरुषांच्या विचारांनी प्रेरित होऊन माणुसकी धर्म जपण्याची - ज्योती किरतकुडवे (साबळे) ©Jk #प्रतिज्ञा
SHEHZADA
प्रेम एक प्रतिज्ञा है।♥️♥️। प्रतिज्ञा टूट ते ही इंसान बिखर जाता है। ©SHEHZADA प्रतिज्ञा...
shree ji Ritu vashisth
मैं यहाँ से नहीं होने वाला ज़ब तक मैं कांग्रेस का सफाया ना कर दूँ ##प्रतिज्ञा
Narendra Sonkar
राधे राधे ना ही बपौती ना मुफ्त के माल से बनूंगा धनिक तो रिज़्के-हलाल से ©Narendra Sonkar "प्रतिज्ञा" #Zindagi
Yishu Tiwari
आज " भीष्म प्रतिज्ञा " पर एक कविता लिखना शुरू की है । पर तब अब पता चला कि जब कृष्ण की कृपा होगी तब ही आप उनपर कुछ लिख सकते हैं । प्रेम पर तो हर कोई लिख देता है, पर प्रसंग पर लिखने के लिए प्रभु की कृपा की आवश्यकता होती है । मां सरस्वती मेरी लेखनी में ज्ञान की गंगा प्रवाहित करें कि मैं भीष्म और केशव पर ये काव्य पूर्ण कर सकूं भीष्म प्रतिज्ञा
Archana Chaudhary"Abhimaan"
प्रतिज्ञा........ खाकी पहन कर निकले है भारत मां की रक्षा को फिर क्यूं तिरंगे में लिपटे लौट रहे अपने मां के आंचल में। देश की रक्षा करने को निकले रण बांकुरे फिर क्यूं ऐसे छूट रहे हमसे ये लाल हरे। धरती मां का सीना चौरा हो रहा फिर क्यूं मां रों रही सीना पिटे दोराहे। कुछ लोग घर बैठे विचार दे रहे क्यूं ऐसा हो रहा, क्यूं हम सह रहे लोगो को तो कहना है, हम कदम उठाएंगे क्यूं सिर्फ कह रहे, सिर्फ आहें भर रहे। अब कदम बढ़ा, प्रतिज्ञा कर आत्मनिर्भर बनना है, विदेशी वस्तु का उपयोग नहीं करना है हमें मुंहतोड़ जवाब देकर आगे बढ़ना है। प्रतिज्ञा.....#collaboath #collabpain
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक